'क्रिप्टो-किंग' सैम बैंकमैन-फ्रीड अरबों के फ्रॉड का दोषी
३ नवम्बर २०२३
सैम बैंकमैन-फ्रीड को कभी दुनिया के पहले संभावित खरबपति के रूप में देखा जाता था. आज वह एक मामूली अपराधी है जिसे सौ साल तक की कैद हो सकती है.
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न्यूयॉर्क में एक महीने तक चली सुनवाई के बाद एक अदालत ने क्रिप्टो करंसी एक्सचेंज एफटीएक्स के संस्थापक सैम बैंकमैन-फ्रीड को धोखाधड़ी का दोषी पाया है. सिर्फ पांच घंटे की चर्चा के बाद जूरी ने अपना फैसला सुना दिया. बैंकमैन-फ्रीड को सजा का ऐलान अगले साल 28 मार्च को किया जाएगा.
इसके साथ ही क्रिप्टो जगत के सबसे चमकते चेहरों में से एक 31 साल के बैंकमैन-फ्रीड का बहुत छोटा करियर समाप्त हो गया. उसे पिछले साल तब गिरफ्तार किया गया था जब एफटीएक्स दीवालिया हो गी थी.
फैसले के बाद अमेरिका के सरकारी वकील डेमियन विलियम्स ने एक बयान में कहा, "सैम बैंकमैन-फ्रीड ने अमेरिकी इतिहास के सबसे बड़े घोटालों में से एक को अंजाम दिया. यह अरबों डॉलर का घोटाला था जिसका मकसद उसे क्रिप्टो जगत का बादशाह बनाना था. यह मामला हमेशा झूठ, धोखाधड़ी और चोरी का मामला था और हम इसे बिल्कुल सहन नहीं कर सकते.”
अधिकारियों ने सैम बैंकमैन-फ्रीड पर निवेशकों को धोखा देने, झूठ बोलने और एफटीएक्स एक्सचेंज से अरबों डॉलर का गबन करने का आरोप लगाया था. जानकारों का कहना है कि इन आरोपों में सौ साल से भी ज्यादा की सजा हो सकती है.
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एफटीएक्स का उभार
एफटीएक्स के दिवालिया होने से पहले बैंकमैन-फ्रीड दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों में शामिल था. कागज पर उसकी संपत्ति 32 अरब डॉलर से ज्यादा आंकी गई थी. अमेरिका के राजनीतिक गलियारों में वह एक जानी-मानी हस्ती था.
उसे डेमोक्रैटिक पार्टी और वामपंथी गतिविधियों के लिए भारी-भरकम दान देने के लिए जाना जाता था. तमाम अखबार और टीवी चैनल उसका इंटरव्यू कर रहे थे. बहामास स्थित अपने घर से वह वीडियो जारी करता था जिसे दुनियाभर में देखा जाता था.
एफटीएक्स बहुत कम समय में ही बहुत बड़ी कंपनी बन गई थी. वह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा क्रिप्टो एक्सचेंज बन गया था. सैम बैंकमैन-फ्रीड को ‘किंग ऑफ क्रिप्टो' कहा जाता था. हालांकि सिर्फ आठ दिन में यह कंपनी अर्श से फर्श पर आ गई.
एक अनुमान के मुताबिक एफटीएक्स में 12 लाख लोगों ने खाता बनाया था जिसे वे क्रिप्टोकरंसी में निवेश के लिए इस्तेमाल करते थे. निवेश कंपनी सेकोया कैपिटल ने एफटीएक्स में अरबों का निवेश किया था.
अर्श से फर्श पर
बैंकमैन-फ्रीड अमेरिका के प्रतिष्ठित मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से पढ़ाई की थी. उसने फिजिक्स और गणित की पढ़ाई के बाद बैंकिंग में करियर बनाने का फैसला किया और शेयर बाजार में हाथ आजमाया.
न्यूयॉर्क की एक कंपनी जेन स्ट्रीट में काम करने के बाद वह बिटकॉइन की ओर मुड़ गया. उसने एफटीएक्स की स्थापना की, जहां लोगों को क्रिप्टोकरंसी में निवेश के लिए एक प्लैटफॉर्म दिया जाता था.
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एफटीएक्स पर 10-15 अरब डॉलर का व्यापार रोजाना हो रहा था. 2021 में सैम बैंकमैन-फ्रीड आधिकारिक तौर पर अरबपति बन गया. अमेरिका में एक एनबीए स्टेडियम का नाम भी उसकी कंपनी के नाम पर रखा गया.
वैसे, बैंकमैन-फ्रीड खुद को निर्दोष बताता है. उसका कहना है कि उसने गलतियां कीं लेकिन उसकी मंशा गलत नहीं थी. जूरी के फैसले के बाद बैंकमैन-फ्रीड के वकील मार्क कोहेन ने कहा, "हम जूरी के फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन हम इससे बहुत निराश हैं. बैंकमैन-फ्रीड अपने निर्दोष होने पर कायम हैं और अपने ऊपर लगे आरोपों के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे."
शुद्ध सट्टेबाजी
विशेषज्ञ कहते हैं कि बैंकमैन-फ्रीड का दोषी साबित होना क्रिप्टो बाजारों के खतरों को उजागर करता है, जहां लोग सिर्फ नाम पर व्यापार करते हैं जिसकी कोई कीमत नहीं है. कैनबरा यूनिवर्सिटी में सीनियर लेक्चरर जॉन हॉकिंस कहते हैं कि क्रिप्टो जगत की फाइनैंशल मशीनरी बेहद खराब और जटिल है.
बिटकॉइन कैसे काम करता है और यह किस काम आता है
हाल में बिटकॉइन के मूल्य में काफी उतार चढ़ाव देखे गए हैं, जिसकी वजह से निवेशकों को संदेह हो गया है कि इसमें अपना पैसा डालें या नहीं. डीडब्ल्यू कोई सलाह नहीं देता लेकिन आइए आपको बताते हैं कि आखिर बिटकॉइन काम कैसे करता है.
डिजिटल मुद्रा
बिटकॉइन एक डिजिटल मुद्रा है क्योंकि यह सिर्फ वर्चुअल रूप में ही उपलब्ध है. यानी इसका कोई नोट या कोई सिक्का नहीं है. यह एन्क्रिप्ट किए हुए एक ऐसे नेटवर्क के अंदर होती है जो व्यावसायिक बैंकों या केंद्रीय बैंकों से स्वतंत्र होता है. इससे बिटकॉइन को पूरी दुनिया में एक जैसे स्तर पर एक्सचेंज किया जा सकता है. एन्क्रिप्शन की मदद से इसका इस्तेमाल करने वालों की पहचान और गतिविधियों को गुप्त रखा जाता है.
तस्वीर: STRF/STAR MAX/IPx/picture alliance
एक रहस्यमयी संस्थापक
बिटकॉइन को पहली बार 2008 में सातोशी नाकामोतो नाम के व्यक्ति ने सार्वजनिक रूप से जाहिर किया था. यह आज तक किसी को नहीं मालूम कि यह एक व्यक्ति का नाम है या कई व्यक्तियों के एक समूह का. 2009 में एक ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में जारी किए जाने के बाद यह मुद्रा लागू हो गई.
तस्वीर: picture-alliance/empics/D. Lipinski
कैसे मिलता है बिटकॉइन
इसे हासिल करने के कई तरीके हैं. पहला, आप इसे कॉइनबेस या बिटफाइनेंस जैसे ऑनलाइन एक्सचेंजों से डॉलर, यूरो इत्यादि जैसी मुद्राओं में खरीद सकते हैं. दूसरा, आप इसे अपने उत्पाद या अपनी सेवा के बदले भुगतान के रूप में पा सकते हैं. तीसरा, आप खुद अपना बिटकॉइन बना भी सकते हैं. इस प्रक्रिया को माइनिंग कहा जाता है.
डिजिटल बटुए की जरूरत
बिटकॉइन खरीदने से पहले आपको अपने कंप्यूटर में वॉलेट सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना पड़ता है. इस वॉलेट में एक 'पब्लिक' चाभी होती है जो आपका पता होता है और एक निजी चाभी भी होती है जिसकी मदद से वॉलेट का मालिक क्रिप्टो मुद्रा को भेज सकता है या पा सकता है. स्मार्टफोन, यूएसबी स्टिक या किसी भी दूसरे डिजिटल हार्डवेयर का इस्तेमाल वॉलेट के रूप में किया जा सकता है.
अब बिटकॉइन से कुछ खरीदा जाए
आइए जानते हैं भुगतान के लिए बिटकॉइन का इस्तेमाल कैसे किया जाता है. मान लीजिए मिस्टर एक्स मिस वाई से एक टोपी खरीदना चाहते हैं. इसके लिए सबसे पहले मिस वाई को मिस्टर एक्स को अपना पब्लिक वॉलेट पता भेजना होगा, जो एक तरह से उनके बिटकॉइन बैंक खाते की तरह है.
ब्लॉकचेन
मिस वाई से उनके पब्लिक वॉलेट का पता पा लेने के बाद, मिस्टर एक्स को अपनी निजी चाभी से इस लेनदेन को पूरा करना होगा. इससे यह साबित हो जाता कि इस डिजिटल मुद्रा को भेजने वाले वही हैं. यह लेनदेन बिटकॉइन से रोजाना होने वाले हजारों लेनदेनों की तरह बिटकॉइन ब्लॉकचेन में जमा हो जाता है.
डिजिटल युग के खनिक
अब मिस्टर एक्स द्बारा किए हुए लेनदेन की जानकारी ब्लॉकचेन नेटवर्क में शामिल सभी लोगों को पहुंच जाती है. इन लोगों को नोड कहा जाता है. मूल रूप से ये निजी कम्प्यूटर होते हैं, जिन्हें 'माइनर' या खनिक भी कहा जाता है. ये इस लेनदेन की वैधता को सत्यापित करते हैं. इसके बाद बिटकॉइन मिस वाई के पब्लिक पते पर चला जाता है, जहां से वो अपनी निजी चाभी का इस्तेमाल कर इसे हासिल कर सकती हैं.
बिटकॉइन मशीन रूम
सैद्धांतिक तौर पर ब्लॉकचेन नेटवर्क में कोई भी खनिक बन सकता है. लेकिन अधिकतर यह प्रक्रिया बड़े कंप्यूटर फार्मों में की जाती है जहां इसका हिसाब रखने के लिए आवश्यक शक्ति हो. इस प्रक्रिया में लेनदेन को सुरक्षित रखने के लिए नए लेनदेनों को तारीख के हिसाब से जोड़ कर एक कतार में रखा जाता है.
एक विशाल सार्वजनिक बही-खाता
हर लेनदेन को एक विशाल सार्वजनिक बही-खाते में शामिल कर लिया जाता है. इसी को ब्लॉकचेन कहा जाता है क्योंकि इसमें सभी लेनदेन एक ब्लॉक की तरह जमा कर लिए जाते हैं. जैसे जैसे सिस्टम में नए ब्लॉक आते हैं, सभी इस्तेमाल करने वालों को इसकी जानकारी पहुंच जाती है. इसके बावजूद, किसने किसको कितने बिटकॉइन भेजे हैं, यह जानकारी गोपनीय रहती है. एक बार कोई लेनदेन सत्यापित हो जाए, तो फिर कोई भी उसे पलट नहीं सकता है.
बिटकॉइनों का विवादास्पद खनन
खनिक जब नए लेनदेन को प्रोसेस करते हैं तो इस प्रक्रिया में वे विशेष डिक्रिप्शन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर नए बिटकॉइन बनाते हैं. डिक्रिप्ट होते ही श्रृंखला में एक नया ब्लॉक जुड़ जाता है और उसके बाद खनिक को इसके लिए बिटकॉइन मिलते हैं. पूरे बिटकॉइन नेटवर्क में चीन सबसे बड़ा खनिक है. वहां कोयले से मिलने वाली सस्ती बिजली की वजह से वो अमेरिका, रूस, ईरान और मलेशिया के अपने प्रतिद्वंदी खनिकों से आगे रहता है.
बिजली की जबरदस्त खपत
क्रिप्टो माइनिंग और प्रोसेसिंग के लिए जो हिसाब रखने की शक्ति चाहिए, उसकी वजह से बिटकॉइन नेटवर्क ऊर्जा की काफी खपत करता है. यह प्रति घंटे लगभग 120 टेरावॉट ऊर्जा लेते है. कैंब्रिज विश्वविद्यालय के बिटकॉइन बिजली खपत सूचकांक के मुताबिक इस क्रिप्टो मुद्रा को इस नक्शे में नीले रंग में दिखाए गए हर देश से भी ज्यादा ऊर्जा चाहिए. - गुडरून हाउप्ट
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एक लेख में जॉन हॉकिंस लिखते हैं, "यह फैसला क्रिप्टो जैसे अनियमित वित्तीय बाजारों के खतरों को लेकर एक चेतावनी है." हॉकिंस कहते हैं कि बिटकॉइन जैसे क्रिप्टो टोकन की कोई आधारभूत कीमत नहीं है.
वह कहते हैं, "उनसे मुनाफा तभी हो सकता है जब उन्हें खरीद कीमत से ज्यादा पर बेचा जा सके और वो भी किसी ऐसे व्यक्ति को, जो सोचता है कि कीमत और ज्यादा बढ़ेगी. यह सट्टेबाजी का सबसे शुद्ध रूप है.”