क्रिप्टोकरंसी में कारोबार करने वाली एक और कंपनी दिवालिया हो गई है. क्रिप्टो क्रेडिट लैंडर कंपनी सेल्सियस नेटवर्क ने दिवालियेपन की अर्जी लगाई है.
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क्रिप्टो लैंडर फर्म सेल्यिस नेटवर्क ने खुदको दिवालिया घोषित कराने के लिए अदालत में अर्जी दाखिल की है. कंपनी के एक लाख से ज्यादा ग्राहकों का पैसा डूब गया है. कंपनी ने कहा है कि उसने अपने कारोबार में स्थिरता लाने के मकसद से यह कदम उठाया है और अब वह पूरा ढांचा बदलने पर काम करेगी जो सभी हिस्सेदारों के लिए होगा. कंपनी ने न्यूयॉर्क में अर्जी दाखिल की है.
सेल्सियस दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टो लैंडर कंपनियों में शामिल थी. उसने 18 प्रतिशत तक की ऊंची ब्याज दर की पेशकश कर रखी थी और 20 अरब डॉलर जुटा लिए थे लेकिन मई-जून में जब क्रिप्टो बाजार में उतार शुरू हुआ तो कंपनी के ग्राहकों में भी हड़बड़ी मच गई और वे अपना निवेश वापस मांगने लगे. तब मध्य जून में कंपनी ने धन वापस निकालने पर रोक लगा दी थी. ताजा बयान में सेल्सियस ने कहा है कि उसकी संपत्ति और देनदारियों की कुल कीमत एक से दस अरब डॉलर के बीच है.
सेल्सियस का पूरा कारोबार लोगों से उधार पर लिए गए धन पर खड़ा था. इस निवेश के बदले में कंपनी भारी-भरकम ब्याज दे रही थी. जून में धन निकासी पर रोक लगाने के बाद कंपनी ने कहा था कि उसने सभी ग्राहकों का भला सोचकर ही धन निकालने पर रोक लगाई थी. एक बयान जारी कर कंपनी ने कहा कि धन निकालने पर रोक इसलिए लगाई गई ताकि अचानक धन निकासी होने से "जो पहले कदम उठा लेंगे उन्हें पूरा पैसा मिल जाएगा जबकि बाकियों को तब तक के लिए इंतजार करना पड़ेगा जबकि सेल्सियस अपनी संपत्ति से धन उगाहे."
गुरुवार को न्यूयॉर्क में दाखिल दिवालियेपन की अर्जी में कंपनी ने आग्रह किया है कि उसे कारोबार जारी रखने की अनुमति दी जाए. कंपनी के सह-संस्थापक और सीईओ ऐलेक्स माशिंस्की ने एक बयान जारी कर कहा कि इस कदम से कंपनी का भविष्य मजबूत होगा.
क्रिप्टो बाजार में हाहाकार
सेल्सियस का डूबना उस सिलसिले की एक कड़ी मात्र है जो क्रिप्टोकरंसी की दुनिया में पिछले करीब दो महीने से जारी है. इस डिजिटल दुनिया में कारोबार करने वालीं दुनिया की कई बड़ी कंपनियां डूब चुकी हैं. मार्च में क्रिप्टो करंसी निवेश का प्रबंधन करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक थ्री ऐरोज कैपिटल (थ्रीएसी) डूब गई थी. दस अरब डॉलर की रकम का प्रबंधन देख रही यह कंपनी अब दिवालिया होने की ओर है क्योंकि क्रिप्टोकरंसी की कीमतें दुनियाभर में गर्त में हैं और कंपनी के पास अपने निवेशकों का पैसा लौटने के लिए कुछ नहीं है.
बिटकॉइन कैसे काम करता है और यह किस काम आता है
हाल में बिटकॉइन के मूल्य में काफी उतार चढ़ाव देखे गए हैं, जिसकी वजह से निवेशकों को संदेह हो गया है कि इसमें अपना पैसा डालें या नहीं. डीडब्ल्यू कोई सलाह नहीं देता लेकिन आइए आपको बताते हैं कि आखिर बिटकॉइन काम कैसे करता है.
डिजिटल मुद्रा
बिटकॉइन एक डिजिटल मुद्रा है क्योंकि यह सिर्फ वर्चुअल रूप में ही उपलब्ध है. यानी इसका कोई नोट या कोई सिक्का नहीं है. यह एन्क्रिप्ट किए हुए एक ऐसे नेटवर्क के अंदर होती है जो व्यावसायिक बैंकों या केंद्रीय बैंकों से स्वतंत्र होता है. इससे बिटकॉइन को पूरी दुनिया में एक जैसे स्तर पर एक्सचेंज किया जा सकता है. एन्क्रिप्शन की मदद से इसका इस्तेमाल करने वालों की पहचान और गतिविधियों को गुप्त रखा जाता है.
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एक रहस्यमयी संस्थापक
बिटकॉइन को पहली बार 2008 में सातोशी नाकामोतो नाम के व्यक्ति ने सार्वजनिक रूप से जाहिर किया था. यह आज तक किसी को नहीं मालूम कि यह एक व्यक्ति का नाम है या कई व्यक्तियों के एक समूह का. 2009 में एक ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में जारी किए जाने के बाद यह मुद्रा लागू हो गई.
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कैसे मिलता है बिटकॉइन
इसे हासिल करने के कई तरीके हैं. पहला, आप इसे कॉइनबेस या बिटफाइनेंस जैसे ऑनलाइन एक्सचेंजों से डॉलर, यूरो इत्यादि जैसी मुद्राओं में खरीद सकते हैं. दूसरा, आप इसे अपने उत्पाद या अपनी सेवा के बदले भुगतान के रूप में पा सकते हैं. तीसरा, आप खुद अपना बिटकॉइन बना भी सकते हैं. इस प्रक्रिया को माइनिंग कहा जाता है.
डिजिटल बटुए की जरूरत
बिटकॉइन खरीदने से पहले आपको अपने कंप्यूटर में वॉलेट सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना पड़ता है. इस वॉलेट में एक 'पब्लिक' चाभी होती है जो आपका पता होता है और एक निजी चाभी भी होती है जिसकी मदद से वॉलेट का मालिक क्रिप्टो मुद्रा को भेज सकता है या पा सकता है. स्मार्टफोन, यूएसबी स्टिक या किसी भी दूसरे डिजिटल हार्डवेयर का इस्तेमाल वॉलेट के रूप में किया जा सकता है.
अब बिटकॉइन से कुछ खरीदा जाए
आइए जानते हैं भुगतान के लिए बिटकॉइन का इस्तेमाल कैसे किया जाता है. मान लीजिए मिस्टर एक्स मिस वाई से एक टोपी खरीदना चाहते हैं. इसके लिए सबसे पहले मिस वाई को मिस्टर एक्स को अपना पब्लिक वॉलेट पता भेजना होगा, जो एक तरह से उनके बिटकॉइन बैंक खाते की तरह है.
ब्लॉकचेन
मिस वाई से उनके पब्लिक वॉलेट का पता पा लेने के बाद, मिस्टर एक्स को अपनी निजी चाभी से इस लेनदेन को पूरा करना होगा. इससे यह साबित हो जाता कि इस डिजिटल मुद्रा को भेजने वाले वही हैं. यह लेनदेन बिटकॉइन से रोजाना होने वाले हजारों लेनदेनों की तरह बिटकॉइन ब्लॉकचेन में जमा हो जाता है.
डिजिटल युग के खनिक
अब मिस्टर एक्स द्बारा किए हुए लेनदेन की जानकारी ब्लॉकचेन नेटवर्क में शामिल सभी लोगों को पहुंच जाती है. इन लोगों को नोड कहा जाता है. मूल रूप से ये निजी कम्प्यूटर होते हैं, जिन्हें 'माइनर' या खनिक भी कहा जाता है. ये इस लेनदेन की वैधता को सत्यापित करते हैं. इसके बाद बिटकॉइन मिस वाई के पब्लिक पते पर चला जाता है, जहां से वो अपनी निजी चाभी का इस्तेमाल कर इसे हासिल कर सकती हैं.
बिटकॉइन मशीन रूम
सैद्धांतिक तौर पर ब्लॉकचेन नेटवर्क में कोई भी खनिक बन सकता है. लेकिन अधिकतर यह प्रक्रिया बड़े कंप्यूटर फार्मों में की जाती है जहां इसका हिसाब रखने के लिए आवश्यक शक्ति हो. इस प्रक्रिया में लेनदेन को सुरक्षित रखने के लिए नए लेनदेनों को तारीख के हिसाब से जोड़ कर एक कतार में रखा जाता है.
एक विशाल सार्वजनिक बही-खाता
हर लेनदेन को एक विशाल सार्वजनिक बही-खाते में शामिल कर लिया जाता है. इसी को ब्लॉकचेन कहा जाता है क्योंकि इसमें सभी लेनदेन एक ब्लॉक की तरह जमा कर लिए जाते हैं. जैसे जैसे सिस्टम में नए ब्लॉक आते हैं, सभी इस्तेमाल करने वालों को इसकी जानकारी पहुंच जाती है. इसके बावजूद, किसने किसको कितने बिटकॉइन भेजे हैं, यह जानकारी गोपनीय रहती है. एक बार कोई लेनदेन सत्यापित हो जाए, तो फिर कोई भी उसे पलट नहीं सकता है.
बिटकॉइनों का विवादास्पद खनन
खनिक जब नए लेनदेन को प्रोसेस करते हैं तो इस प्रक्रिया में वे विशेष डिक्रिप्शन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर नए बिटकॉइन बनाते हैं. डिक्रिप्ट होते ही श्रृंखला में एक नया ब्लॉक जुड़ जाता है और उसके बाद खनिक को इसके लिए बिटकॉइन मिलते हैं. पूरे बिटकॉइन नेटवर्क में चीन सबसे बड़ा खनिक है. वहां कोयले से मिलने वाली सस्ती बिजली की वजह से वो अमेरिका, रूस, ईरान और मलेशिया के अपने प्रतिद्वंदी खनिकों से आगे रहता है.
बिजली की जबरदस्त खपत
क्रिप्टो माइनिंग और प्रोसेसिंग के लिए जो हिसाब रखने की शक्ति चाहिए, उसकी वजह से बिटकॉइन नेटवर्क ऊर्जा की काफी खपत करता है. यह प्रति घंटे लगभग 120 टेरावॉट ऊर्जा लेते है. कैंब्रिज विश्वविद्यालय के बिटकॉइन बिजली खपत सूचकांक के मुताबिक इस क्रिप्टो मुद्रा को इस नक्शे में नीले रंग में दिखाए गए हर देश से भी ज्यादा ऊर्जा चाहिए. - गुडरून हाउप्ट
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थ्रीएसी इतनी बड़ी कंपनी थी कि कई अन्य कंपनियों ने उसमें पैसा लगाया था. सीएनबीसी के मुताबिक क्रिप्टो एक्सचेंज ब्लॉकचेन डॉट कॉम को थ्रीएसी के डूबने से 27 करोड़ डॉलर का झटका लगा है जो उसे कर्ज में दिया गया था. थ्रीएसी के दिवालिया होने के बाद वोयाजन डिजिटल ने भी दिवालियेपन की अर्जी लगा दी क्योंकि थ्रीएसी में उसका लगभग 67 करोड़ डॉलर का निवेश था, जो डूब गया था. थ्रीएसी के डूबने का नुकसान क्रिप्टो लैंडर जेनेसिस और ब्लॉकफाई के अलावा बिटमेक्स और एफटीएक्स जैसी क्रिप्टो कंपनियों को भी हिला गया है. इससे पहले टेरा क्रिप्टोकरंसी भी डूब चुकी है.
ब्लॉकचेन निवेश पर काम करने वाली कंपनी कासल आईलैंड वेंचर्स के एक साझीदार निक कार्टर ने सीएनबीसी को बताया, "क्रेडिट या तो नष्ट किया जा रहा है या निकाला जा रहा है. हर कोई क्रिप्टो लैंडर से अपना पैसा वापस चाहता है."
ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में काम करने वाले निवेशक, ग्लो ट्रे़ड प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ अतीव डांग कहते हैं कि निवेशक क्रिप्टोकरंसी को मुद्रास्फीति के खिलाफ दांव समझ बैठे और धोखा खा गए. वह बताते हैं, “यह भी नैस्डैक या किसी टेक कंपनी जैसा ही है. क्रिप्टोकरंसी को आप किसी टेक स्टार्टअप जैसा समझिए. ये आगे बढ़ने के लिए इधर-उधर से मिलने वाले सस्ते धन पर निर्भर हैं. ब्याज दरों के बढ़ना शुरू होने पर एक ब्याज-रहित संपत्ति की तरह इनका डूबना तय था.”
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क्या होगा निवेशकों का?
अप्रैल में जब बिटकॉइन और इथीरियम जैसी डिजिटल मुद्राओं का डूबना शुरू हुआ तो बाकी छोटी-छोटी क्रिप्टो करंसी भी उसी गड्ढे में गिरती चली गईं. तब से अब तक क्रिप्टोकरंसी बाजार में एक खरब डॉलर का नुकसान हो चुका है. जिसका नतीजा थ्रीएसी से लेकर सेल्सियस तक तमाम बड़ी-बड़ी कंपनियां झेल रही हैं.
क्रिप्टोकंपेयर द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक सबसे बड़ी क्रिप्टोकरंसी बिटकॉइन का भाव अब दिसंबर 2020 के बाद से न्यूनतम स्तर पर है और बाजार में इस वक्त क्रिप्टोकरंसी के रूप में पिछले साल जनवरी के बाद से सबसे कम धन उपलब्ध है. हालांकि गुरुवार को बिटकॉइन का भाव 2.8 फीसदी बढ़कर 20,208 अमेरिकी डॉलर पर था लेकिन सबसे बड़े डिजिटल कॉइन का एक्सचेंजड एमवीआईएस क्रिप्टोकंपेयर डिजिटल एसेट 100 इंडेक्स इस साल 60 फीसदी नीचे जा चुका है.
डांग कहते हैं कि अभी भी क्रिप्टोकरंसी कपंनियों को धरातल नहीं मिला है. वह कहते हैं, “जैसे-जैसे ब्याज दरें बढ़ेंगी, दर्द भी बढ़ेगा. मुझे बिल्कुल हैरत नहीं होगी अगर बिटकॉइन नवंबर तक दस हजार डॉलर पर जा गिरे.”
डूबती कंपनियों में जिन लोगों ने निवेश कर रखा है, उनका धन मिलेगा कि नहीं और मिलेगा तो कब मिलेगा, इस बारे में कोई कुछ नहीं कहा जा सकता. भारत समेत दुनियाभर के केंद्रीय बैंक लगातार क्रिप्टो निवेशकों को चेता रहे थे कि यह सुरक्षित निवेश नहीं है. इसके बावजूद भारत में भी एक अनुमान के मुताबिक ढाई करोड़ से ज्यादा लोगों ने क्रिप्टो करंसी में निवेश किया है और सभी का भविष्य अनिश्चित है.
बिटकॉइन किंग, लेकिन ये भी कम नहीं..
बिटकॉइन को अब किसी परिचय की जरूरत नहीं है. यह क्रिप्टो करंसी की दुनिया का किंग बन चुका है. लेकिन ऐसी कई और करंसी हैं जिसमें लोग पैसा लगा रहे हैं. चलिए डालते हैं टॉप10 क्रिप्टो करंसियों पर नजर.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Kalaene
बिटकॉइन (BTC)
2017 में बिटकॉइन का जलवा रहा और उसकी कीमत में 12 हजार प्रतिशत का उछाल देखने को मिला. इस दौरान एक बिटकॉइन की कीमत 16 हजार डॉलर तक जा पहुंची. हालांकि बाद में उसमें कुछ गिरावट दर्ज की गई. लेकिन अब भी एक बिटकॉइन का ट्रेडिंग प्राइस लगभग 15 हजार डॉलर है. बिटकॉइन क्रिप्टो करंसी की दुनिया का बादशाह है.
तस्वीर: Reuters/D. Ruvic
रिपल (XRP)
रिपल को 2012 में लॉन्च किया गया. 91.79 अरब डॉलर के मार्केट कैप के साथ यह बिटकॉइन के बाद दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टो करंसी है. 2017 में इसमें 35 हजार प्रतिशत की वृद्धि देखी गई. यानि जिस व्यक्ति ने जनवरी 2017 में रिपल में 100 डॉलर लगाए, उसकी रकम जनवरी 2018 में लगभग 35 हजार डॉलर हो गई. एक रिपल लगभग 2.73 डॉलर के बराबर है.
तस्वीर: ripple.com
नेम (XEM)
नेम को 2015 में शुरू किया गया था. यह पिअर टू पिअर क्रिप्टोकरंसी प्लेटफॉर्म है. इसका इस्तेमाल वित्तीय संस्थान और निजी कंपनियां मिजिन कही जाने वाली एक व्यवसायिक ब्लॉक चेन में करती हैं. 2017 में नेम के मूल्य में 29 हजार प्रतिशत का इजाफा हुआ. एक नेम लगभग 1.27 डॉलर के बराबर है.
तस्वीर: DW/F. Hofmann
स्टेलर (XLM)
इसे 2014 के शुरुआत में रिलीज किया गया. स्टेलर 2017 में ग्रोथ के मामले में नंबर तीन पर आता है जो लगभग 14 हजार प्रतिशत की रही. अक्टूबर 2017 में स्टेलर और आईबीएम ने एक समझौता किया जिसका मकसद ग्लोबल पेमेंट्स की स्पीड को बढ़ाना था. एक स्टेलर की कीमत लगभग 0.76 डॉलर है.
तस्वीर: Getty Images/L. Neal
डैश (DASH)
बुनियादी तौर पर इसे 2014 में एक्सकॉइन के नाम से जारी किया गया. मार्च 2015 में इसे डैश नाम दिया गया. यह इंस्टैंट ट्रांजेक्शन की सुविधा देता है. इससे होने वाले ट्रांजेक्शंस चंद सेकंडों में कन्फर्म हो जाते हैं जबकि बिटकॉइन के ट्रांजेक्शन में दस मिनट तक भी लग जाते हैं. 2017 में इसमें 9,300 प्रतिशत का इजाफा हुआ और एक डैश लगभग 1,162.84 के बराबर है.
एथेरियम (ETH)
बिटकॉइन से उलट एथेरियम का मकसद 'स्मार्ट कॉन्टैक्ट्स' को ऑपरेट करना है ना कि मुद्रा के तौर पर चलन में रहना. स्मार्ट कॉन्टैक्ट्स कोड की स्क्रिप्ट्स हैं जिन्हें एथेरियम ब्लॉकचेन में डिप्लोय किया जा सकता है. 2017 में इसकी कीमतों में 9,200 प्रतिशत का उछाल आया. एक एथेरियम की कीमत 879.91 डॉलर के आसपास है. साल 2017 में इथेरियम गूगल की टॉप 10 सर्चों में शामिल रही.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/J. Arriens
लाइटकॉइन (LTC)
2011 में जारी किया गया लाइटकॉइन बहुत हद तक बिटकॉइन जैसा ही है. कॉइनमार्केटकैप के अनुसार मार्केट कैप के मामले में यह छठे नंबर पर आता है. 2017 में इसके दामों में 48,00 प्रतिशत की वृद्धि हुई. अगर आप एक लाइटकॉइन खरीदना चाहते हैं तो इसके लिए आपको लगभग 250 डॉलर खर्च करने होंगे.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/M. Romano
कारडानो (ADA)
कारडानो को 2014 में स्थापित किया गया था और अक्टूबर 2017 में इसकी ट्रेडिंग बिट्रिक्स एक्सचेंज में शुरू हुई. तीन महीने के भीतर इसने लगभग 18.6 अरब डॉलर का मार्केट कैप हासिल कर लिया. इस तरह यह मार्केट कैप के मामले में पांचवें नंबर पर आ गया. 2017 में इसके मूल्य में तीन हजार प्रतिशत का इजाफा हुआ. एक कारडानो की कीमत 0.99 डॉलर है.
तस्वीर: Cardanohub.org/t3n.de
बिटकॉइन कैश (BCH)
बिटकॉइन से जन्मे बिटकॉइन कैश को 1 अगस्त 2017 को जारी किया गया. इसे तेजी से ट्रांसजेक्शन करने के लिए जारी किया गया ताकि ब्लॉकसाइज लिमिट को 8 एमबी तक बढ़ाया जा सके. 2017 में इसके मूल्य में लगबग 500 प्रतिशत का इजाफा हुआ. एक बिटकॉइन कैश के लिए आपको 2,748.33 चुकाने होंगे. इसे बिटकाइन का सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी माना जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/M. Romano
आयोटा (IOTA)
आयोटा को जून 2016 में शुरू किया गया और बिटफिनेक्स पर इसकी ट्रेडिंग जून 2017 में शुरू हुई. 11.19 अरब मार्केट कैप के साथ यह नौवें पायदान पर है. 2017 में इसके दामों में 450 प्रतिशत का उछाल आया. एक आयोटा की कीमत 4.03 डॉलर के आसपास है.
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अतीव डांग कहते हैं कि इसे 1999-2000 के डॉट कॉम क्रैश जैसा मामला माना जाना चाहिए. डॉयचे वेले से बातचीत में उन्होंने कहा, “तब हर कोई डॉट कॉम की दौड़ में कूद पड़ा था और जब बुलबुला फूटा तो कंपनियां डूब गईं. एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट, एमेजॉन जैसी कंपनियां ना सिर्फ बची रहीं बल्कि नई ऊंचाई पर पहुंचीं. यहां भी वैसा ही होगा. ब्लॉकचेन तकनीक भविष्य है. जब धूल बैठ जाएगी तो खराब कंपनियां और हास्यास्पद क्रिप्टोकरंसी चली जानी चाहिए और अच्छी कंपनियां ऊंचाई की ओर एक नई दौड़ शुरू करेंगी.”