फर और फैशन के लिए उदबिलाव की एक प्रजाति मिंक को जंगल से घसीटकर बड़े ब्रीडिंग फार्मों में कैद किया गया. अब आशंका है कि मिंक फार्मों के कारण भी कोरोना फैल रहा है.
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आयरलैंड में प्रशासन पूरे देश के फार्मों में पल रहे मिंकों को कुचलकर मारने की तैयारी कर रहा है. आयरलैंड के कृषि मंत्रालय के मुताबिक डेनमार्क के मिंक फार्म में कोविड-19 के म्यूटेशन की आशंका के बाद यह कदम उठाया जा रहा है.
अब तक किए गए टेस्टों में आयरलैंड के किसी मिंक फार्म में कोविड-19 के सबूत नहीं मिले हैं. इसके बावजूद स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है, "मिंक पालन जारी रखने से मिंकों में फैलने वाले कोरोना वायरस के नए रूप का खतरा बना हुआ है." आयरिश मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक देश के तीन बड़े मिंक फार्मों में ही करीब एक लाख मिंक पाले जा रहे हैं.
मिंक की शामत क्यों आई?
बीते हफ्ते डेनमार्क में मिंक फार्म में काम करने वाला एक कर्मचारी कोविड-19 पॉजिटिव पाया गया. जांच में बड़े अलग किस्म का कोविड-19 वायरस मिला. इसके बाद आशंका जताई जा रही है कि मिंकों में कोविड-19 म्यूटेट कर चुका है. वायरस के किसी जीव में दाखिल होकर रूप बदलने को म्यूटेशन कहा जाता है.
इस बीच गुरुवार को स्वीडन के स्वास्थ्य अधिकारियों ने दावा किया कि मिंक इंडस्ट्री में काम करने वाले कई लोग कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए हैं. प्रशासन अब इस बात की जांच कर रहा है कि क्या मिंक में मिला कोरोना वायरस का स्ट्रेन ही इंसानों में भी मिला है.
महामारी को रोकने के लिए डेनमार्क में डेढ़ करोड़ से ज्यादा मिंकों को मारने की योजना है. हालांकि इतने बड़े पैमाने पर मिंक मारने का डेनमार्क में विरोध भी हो रहा है. मिंको को मारने का आदेश देने वाले कृषि मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा है. उन पर अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाते हुए सारे मिंक फॉर्मों के लिए आदेश जारी करने के आरोप सही साबित हुए.
58 लाख की जनसंख्या वाले डेनमार्क में इंसान के मुकाबले तीन गुना ज्यादा मिंक पाले जाते हैं. डेनमार्क दुनिया में मिंक का सबसे बड़ा निर्यातक है.
मिंक पालक चिंता में
डेनमार्क, स्वीडन और आयरलैंड से आ रही खबरों ने अमेरिका, इटली, नीदरलैंड्स और स्पेन के मिंक पालकों को परेशान कर दिया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक अमेरिका, इटली, नीदरलैंड्स और स्पेन के मिंकों में भी कोरोना वायरस मिला है.
कोरोना महामारी फैलने के 11 महीने बाद नंवबर में डब्ल्यूएचओ ने कहा कि मिंक कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकते हैं और ये इंसान में भी वायरस का संक्रमण कर सकते हैं.
मिंक उदबिलाव प्रजाति का ही एक जीव है. जमीन और पानी में रहने वाले मिंक उदबिलाव से थोड़े छोटे होते हैं. मूल रूप से मिंक उत्तरी अमेरिका और यूरोप में पाई जाने वाले प्रजाति है. फर के लिए अमेरिकन मिंक की लंबे समय के फार्मिंग हो रही है. पशु प्रेमियों के विरोध के बावजूद हर साल लाखों मिंक फर के लिए मारे जाते हैं.
जानवरों के साथ क्या क्या करते हैं लोग
जानवरों से मिलने वाली तमाम चीजों का इस्तेमाल करना इंसान ने बहुत पहले ही सीख लिया था. लेकिन जब कुछ अजीब से शौक और धारणाओं के चलते जानवरों के अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगे, तो ठहर के सोचना होगा.
तस्वीर: Getty Images/AFP/R. Gacad
'स्टेट्स सिंबल'
हाथी दांत, गैंडे के सींग तो थे ही, भालू के पंजे भी कई एशियाई देशों में खाने की खास चीज के तौर पर पेश किए जाते हैं. बहुत दर्दनाक तरीके से भालू का पित्त निकाला जाता रहा है जिसका इंसान के लिए दवाएं बनाने में इस्तेमाल होता है.
तस्वीर: picture-alliance/ChinaFotoPress
बालों में कछुए का खोल?
कछुए के खोल का सदियों से इस्तेमाल होता आया है. कभी गहनों में तो कभी बालों की एक्सेसरी के रूप में. लेकिन एक खास किस्म के कछुए डॉकसबिल टर्टिल के खोल के पीछे पड़ जाने के कारण इस किस्म को "गंभीर खतरे" वाली सूची में शामिल करना पड़ा है. 1973 से ही इसके खोल के व्यापार पर प्रतिबंध है लेकिन इन्हें मारा जाना जारी है.
तस्वीर: Robert Harding
बाघ की हड्डी से वाइन
बाघों की खाल को पुराने जमाने से रसूखदार लोग दिखावे के लिए इस्तेमाल करते आए हैं. लेकिन इनकी हड्डियों से बनने वाली वाइन को जब से गठिये और नपुंसकता के इलाज के तौर पर पेश किया गया, इनकी मांग बढ़ती ही चली गई.
तस्वीर: EIA
शार्क फिन
एशिया के कई हिस्सों में शार्क के पंखों यानि फिन के सूप बड़े उम्दा माने जाते हैं. जब शार्क के फिन काट के निकाल लिए जाते हैं तो वे उसके बिना तैर नहीं पातीं. लेकिन चूंकि उनके मांस की उतनी मांग नहीं है उन्हें इस तरह अपंग बनाकर वापस पानी में ही फेंक दिया जाता है. जाहिर है वे डूब जाती हैं और धीमी कष्टदायक मौत मरती हैं.
तस्वीर: Gerhard Wegner/Sharkproject
असली चीते की छाप
बाघों की तरह ही हिम तेंदुए का भी उनकी खाल के लिए शिकार होता है. सेंट्रल एशिया. पूर्वी यूरोप और रूस में तो इनकी खूब मांग है. इनकी हड्डियों से भी कुछ पार्ंपरिक दवाएं बनाते हैं. अब तो दुनिया में केवल 4,000 स्नो लेपर्ड ही बचे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
गोरिल्ला ट्रॉफी
इन्हें इनके मांस के लिए मारा जाता है. ये काफी ऊंची कीमत पर बिकता है. तो कई लोग इस बात में गर्व महसूस करते हैं कि उन्होंने पहले ही खतरे में पड़े इस विशाल जानवर का शिकार किया.
तस्वीर: picture alliance/WILDLIFE/G.Lacz
महक ने ली जान
कस्तूरी मृग की काफी मांग है. उसकी सुगंधित ग्रंथियों से कई तरह के इत्र बनाए जाते हैं. हालांकि मृग को बिना जान से मारे भी उसका मस्क पॉड निकाला जा सकता है लेकिन शिकारी कई बार उन्हें मार ही डालते हैं. ये जीव भी खतरे में पड़े जानवरों की सूची में रखे गए हैं लेकिन अब भी इनका व्यापार जारी है.
इस पक्षी का नाम है राइनोसिरस हॉर्नबिल. ऐसी चिड़िया जिसके सिर पर गैंडे की तरह एक सींग होती है. शिकारी इस पक्षी के पंखों और सींग के लिए इसे पकड़ते हैं. इसकी बड़ी कीमत है और इसके गहने बनाए जाते हैं. लोग बिना इस बात की परवाह किए इन्हें खरीदते हैं कि उस गहने के लिए कितने जानवरों को मारा गया होगा.