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भारत में सिर्फ एक प्रतिशत लोग लगाते हैं सीट बेल्ट

६ सितम्बर २०२२

साइरस मिस्त्री की मौत ने एक बार फिर भारत में सड़क सुरक्षा के नियमों की अनदेखी पर ध्यान खींचा है. हर साल सड़क हादसों में मारे जाने वालों की संख्या भारत में सबसे ज्यादा है.

साइरस मिस्त्री
साइरस मिस्त्रीतस्वीर: Divyakant Solanki/AP Photo/picture alliance

टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष 54 वर्षीय साइरस मिस्त्री की सड़क हादसे में मौत से जुड़ी विस्तृत जानकारी पुलिस ने अभी सार्वजनिक नहीं की है, लेकिन मीडिया रिपोर्टों के आधार पर भारत में सड़क सुरक्षा के नियमों की अनदेखी पर एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई है.

कई मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि गाड़ी की पिछली सीट पर बैठे मिस्त्री और उनके बगल में बैठे एक और यात्री की हादसे के बाद तत्काल ही मृत्यु हो गई थी, जबकि गाड़ी चलाने वाली और उनके बगल में बैठे व्यक्ति को चोटें तो आई लेकिन उनकी जान बच गई.

वो गाड़ी जिसमें साइरस मिस्त्री सवार थेतस्वीर: AP Photo/picture alliance

लोग नहीं पहनते सीट बेल्ट

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक मिस्त्री ने सीट बेल्ट नहीं पहनी थी. यह सच है या नहीं इसकी अभी पुष्टि नहीं हुई है लेकिन अगर यह सच है तो यह भारत में अक्सर सामने आने वाले प्रचलन के अनुकूल है. भारत में आम तौर पर सीट बेल्ट पहनने को अहमियत नहीं दी जाती है और पिछली सीट पर तो और भी कम.

(पढ़ें: शोध: सड़क सुरक्षा सुधारने से भारत में बच सकती हैं सालाना 20 हजार जानें)

एनजीओ सेवलाइफ फाउंडेशन के एक सर्वेक्षण के मुताबिक देश में एक प्रतिशत से भी कम लोग पिछली सीट पर बेल्ट का इस्तेमाल करते हैं. सड़क हादसों पर सड़क परिवहन मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में भी, जब महामारी की वजह से कई महीनों तक लोगों का यहां से वहां जाना कम ही रहा, सीट बेल्ट ना लगाने से कम से कम 15,146 लोगों की जान गई.

2019 में यह संख्या 20,885, जो सड़क हादसों में हुई सभी मौतों का करीब 14 प्रतिशत थी. आम तौर पर लोग सीट बेल्ट लगाने को नजरअंदाज करते हैं. जो लगाते भी हैं वो सिर्फ अगली सीट वालों के लिए इसे जरूरी समझते हैं.

यह स्थिति तब है जब कानूनन चलती गाड़ी में आगे और पीछे दोनों तरफ बैठे यात्रियों का सीट बेल्ट लगना अनिवार्य है. ऐसा ना करने पर 1,000 रुपए जुर्माने का भी प्रावधान है. लेकिन छोटे शहरों में पुलिस भी इस नियम के पालन पर ज्यादा मेहनत नहीं करती है.

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ना नियम मालूम, ना अहमियत

बड़े शहरों में सड़कों पर नियमों के पालन का ज्यादा निरिक्षण होता है लेकिन वहां भी पुलिस पिछली सीट पर बेल्ट लगाने के नियम के उल्लंघन को नजरअंदाज कर देती है. लोगों में भी इस बात की जानकारी बहुत कम है कि पिछली सीट पर भी बेल्ट लगाना अनिवार्य है.

(पढ़ें: भारत में सड़क हादसों में जान गंवाते युवा)

विशेषज्ञों का कहना है कि जब गाड़ी तेज गति से चल रही होती है तब उसमें बैठे यात्रियों का शरीर भी तेज गति से चल रहा होता है. ऐसे में अचानक ब्रेक लगाने से गाड़ी तो रुक जाती है लेकिन अगर यात्रियों ने सीट बेल्ट ना लगाई हो तो उनके शरीर की गति नहीं टूट पाती है.

ऐसे में उनका शरीर पहले पीछे और फिर आगे की तरफ तेज गति से धकेल दिया जाता है. इसे व्हिपलैश कहते हैं और इससे रीढ़ पर ऐसी चोट लग सकती है जिससे दिमाग तक ऑक्सीजन की सप्लाई भी कट सकती है और तुरंत मौत हो सकती है.

विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि अच्छी से अच्छी गाड़ी में भी लगे एयरबैग तभी यात्री को सुरक्षित रख सकते हैं जब उसने सीट बेल्ट लगाई हो. ऐसे में सीट बेल्ट की अहमियत को ना समझना अक्सर एक घातक भूल साबित होती है.

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