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६ सितम्बर २०१८Czech Republic: The PM and fraud
176 साल की हुई पिल्स बियर
175 साल की हुई पिल्स बियर
दुनिया की सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली बियर पिल्स पहली बार 5 अक्टूबर 1842 को ब्रू की गयी थी. आज अधिकतर कंपनियां पिल्स के ही फॉर्मूले पर बियर बनाती हैं.
क्रांतिकारी बियर
यह बियर पहली बार बनाई गयी पिल्सन शहर में, जो आज चेक गणराज्य में है. इसी से उसे अपना नाम भी मिला. 19वीं सदी की शुरुआत में पिल्सन के लोग स्याह रंग वाली स्थानीय बियर से इतना ऊब चुके थे कि उन्होंने वहां के टाउन हॉल के सामने कई बैरल बहा दिए. बवेरिया से मशहूर ब्रुअर योसेफ ग्रोल के बुलाया गया. उन्होंने वहां पहली बार सुनहरे रंग वाली बियर बनायी.
यहां से हुई शुरुआत
कम ही लोग जानते हैं कि योसेफ ग्रोल जब पिल्सन गये तो अपने साथ बियर बनाने के सभी उपकरण भी ले कर गये. यही वजह है कि पिल्स की बोतलों पर "बवेरिया के परंपरागत तरीके से बनी बियर" लिखा जाता था. आज भी पिल्स की कई बोतलों पर ऐसा टैग मिल जाएगा.
स्वाद का राज
पिल्स का स्वाद थोड़ा सा कड़वा होता है. पिल्सन शहर के पानी के कारण इसे ऐसा स्वाद मिला और साथ ही 'हॉप्स' के बीजों के कारण भी. हॉप्स या फिर राजक एक किस्म की बूटी जिसका इस्तेमाल बियर बनाने के लिए किया जाता है.
शहर के नीचे
पिल्स में खास तरह का खमीर मिलाया जाता है, जो उसे सुनहरा रंग देता है. पिल्स बनाने की प्रक्रिया में खमीर बियर के बैरल में नीचे की ओर जमा हो जाता है. किण्वन की प्रक्रिया धीमी गति से होती है. इसके लिए इन बैरलों को जमीन से 20 मीटर नीचे बनी खास गुफाओं में ठंडा में रखा जाता है.
समझौता भी हुआ
1976 में चेकोस्लोवाकिया ने स्विट्जरलैंड के साथ एक समझौता किया जिसके तहत यह माना गया कि केवल चेकोस्लोवाकिया में बनी असली बियर को ही पिल्स का नाम दिया जा सकता है. बदले में उसने चीज के लिए एमेंटालर नाम का इस्तेमाल करना छोड़ दिया क्योंकि वह स्विट्जरलैंड में नहीं बनाया जाता था.
सबसे लोकप्रिय
पिल्स इस बीच बहुत ही कामयाब बियर है. दुनिया भर में बनने वाली दो तिहाई बियर अब पिल्स के फॉर्मूले से ही बनती है. जर्मनी में बनने वाली कुल बियर का 37 फीसदी हिस्सा पिल्स का ही है.
जापान के हाथों में
चेक गणराज्य में मौजूद पिल्स की सबसे पुरानी ब्रुअरी अब पर्यटकों में काफी लोकप्रिय है. वात्सलाव बेरका यहां सैलानियों को बियर ब्रू करने का तरीका समझाते हैं. 1999 से 2016 तक ब्रुअरी दक्षिण अफ्रीका की एक कंपनी के पास थी. दिसंबर 2017 में जापानी कंपनी असाही ने इस ब्रुअरी को खरीद लिया.