पहले बलात्कार फिर हत्या, खौफनाक वारदात से दहला लखीमपुर खीरी
आमिर अंसारी
१५ सितम्बर २०२२
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में दो सगी दलितों बहनों की मौत के मामले में पुलिस ने छह आरोपियो को गिरफ्तार किया है. बुधवार को दोनों बहनों के शव खेत में पेड़ से लटके मिले थे.
उत्तर प्रदेश पुलिस ने छह आरोपियों को गिरफ्तार किया तस्वीर: IANS
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लखीमपुर खीरी जिले के निघासन थाना इलाके के एक गांव में अनुसूचित जाति की दो सगी बहनों के शव पेड़ से लटके मिलने के बाद परिवार और गांव वालों ने बुधवार देर रात तक काफी हंगामा किया, जिसके बाद पुलिस के आला अधिकारियों को मौके पर पहुंचकर माहौल को शांत कराना पड़ा.
मृतक बहनें नाबालिग बताई जा रही हैं और पुलिस ने इस मामले में रेप और हत्या के तहत मामला दर्ज किया है. पुलिस ने वारदात के 24 घंटे के भीतर इसको सुलझाने का दावा भी किया है और छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है. पुलिस का दावा है कि दोनों लड़कियों की आरोपियों से दोस्ती थी. मृतक लड़कियों की उम्र 15 और 17 साल बताई जा रही है.
लखीमपुर खीरी के पुलिस अधीक्षक संजीव सुमन ने पत्रकारों को बताया कि दुष्कर्म के बाद घटना को कुल छह लोगों ने अंजाम दिया. नामजद छोटू सहित छह आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं. पुलिस ने बताया कि एक आरोपी (जुनैद) को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया गया. जुनैद के पैर में गोली लगी है.
पुलिस ने छह आरोपियों की पहचान छोटू, जुनैद, सुहैल, हफीजुर रहमान, करीमुद्दीन और आरिफ के रूप में की है. संजीव सुमन ने मीडिया से कहा, "सभी आरोपी और लड़कियां एक ही गांव की हैं. छोटू पहले से लड़कियों को जानता था और उसने ही तीनों आरोपियों से लड़कियों का परिचय कराया था. बाद में जब लड़कियों ने उन्हें शादी के लिए मजबूर करना शुरू किया, तो आरोपियों ने गला घोंटकर उन्हें फांसी पर लटका दिया."
पुलिस का कहना है कि हत्या से पहले दोनों लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया था. साथ ही पुलिस ने कहा, "जबरदस्ती अगवा करने जैसा मामला नहीं है, लड़कियों को बहला-फुसलाकर ले जाया गया था. लड़कियां मर्जी से बाइक पर बैठी थीं. वहां उनके साथ जबरदस्ती संबंध बनाए गए. उनकी हत्या करके शव फंदे पर लटका दिया गया." पुलिस का कहना है कि आरोपियों ने इस वारदात को सुसाइड दिखाने के लिए शव को पेड़ से लटका दिया.
पोस्टमार्टम में बहनों के साथ रेप और गला घोंटने की पुष्टि हुई है.
अमेरिका: जब जानने वाला ही हो महिलाओं का कातिल
अमेरिकी के राष्ट्रीय थिंक टैंक हिंसा नीति केंद्र (वीपीसी) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक देश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा एक महामारी की तरह बढ़ रही है. जाने पहचाने पुरुषों से भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं.
तस्वीर: REUTERS
निकोल ने खोई अपनी मां
हिंसा नीति केंद्र (वीपीसी) की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में 10 में से नौ महिलाओं की हत्या उन पुरुषों ने की थी जिन्हें वे जानते थे. इस तस्वीर में निकोल शार्प मां हीथर हर्ले की एक तस्वीर दिखा रही हैं. जब निकोल छोटी थी, उसकी मां की उसके पिता विंस्टन रिचर्ड्स ने न्यूयॉर्क में हत्या कर दी थी. अब निकोल 46 साल की हो गईं हैं और कहती हैं कि लोग अब भी पीड़ित पर ही इल्जाम लगाते हैं.
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कुछ इस तरह मां को ढूंढती हैं निकोल
निकोल के बिस्तर पर हीथर हर्ले की शादी की ड्रेस टंगी है. अब निकोल अपनी मां को तस्वीरों, कपड़ों आदि में ढूंढती हैं. 1993 में मां की हत्या के दोष में पिता को सजा सुनाई गई थी. पिता ने 16 साल जेल की सजा काटी और उसकी मौत 2012 में हो गई.
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एक दादी का दर्द
मार्च 2020 में टैमी सुओमी डुलुथ की बेटी डेफोए और उनके 21 महीने के बेटे केविन की उसके प्रेमी ने पीट-पीटकर हत्या कर दी. डेफोए 13 सप्ताह की गर्भवती भी थीं.
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उजड़ गया हंसता खेलता परिवार
मई 2022 में अदालत ने डेफोए के प्रेमी शेल्डन थॉम्पसन को दोषी ठहराया. उसे अजन्मे बच्चे की मौत में प्रथम श्रेणी की हत्या का दोषी पाया. उसे लगातार तीन आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
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प्रेमी ही हत्यारा बना
डेल कुक के गले की यह हार कभी नहीं उतरती है. क्योंकि इसमें उनकी बेटी हेलेन बकल और पोती ब्रिटनी पासलाक्वा की तस्वीरें हैं. जब हेलेन 34 वर्ष की थी और ब्रिटनी 12 वर्ष की थी, तब उनके प्रेमी जॉन ब्राउन ने दोनों की चाकू मारकर हत्या कर दी थी. जॉन को 2010 में 40 साल जेल की सजा सुनाई गई.
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यादों में जिंदा हैं डेफोए
बेटी डेफोए और पोते केविन की यादें अब टैमी सुओमी डुलुथ के घर पर छाई हुई हैं. दोस्तों ने मृतक मां और बेटे की याद में सम्मान देने के लिए तरह-तरह की चीजें बनाईं हैं.
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मृतक लड़कियों की मां ने क्या कहा
मृतक दलित बहनों की मां ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में बताया कि जब वह बुधवार दोपहर करीब तीन बजे नहा रही थी तो उसने छोटू को अपनी बेटियों को बुलाने की आवाज सुनी. उसके बाद तीन लड़के आए और उसकी बेटियों को घसीटने लगे. मां ने कहा, "मैंने उन्हें रोकने की कोशिश की और उनके पीछे भागी, लेकिन उन्होंने मुझे पीटा और वहां से भाग गए. मैं चीखती रही और गांव वालों को बुलाने के लिए भागी."
लड़कियों के परिवार वालों ने भविष्य में इस तरह के अपराधों को रोकने की उम्मीद में आरोपियों के लिए मौत की सजा की मांग की है. मृतकों के भाई ने कहा, "हम बस आरोपी के लिए फांसी चाहते हैं."
दलित अधिकारों के लिए काम करने वाले और कांग्रेस के पूर्व सांसद डॉ. उदित राज देश में दलितों के खिलाफ बढ़ते अपराध पर कहते हैं कि इसका स्रोत धर्म और सामाजिक ढांचे में हैं. डॉ. उदित राज डीडब्ल्यू से कहते हैं, "हजारों सालों से दलितों को कीड़े-मकौड़ों की तरह समझा गया और वह सोच आज भी बरकरार है."
उदित राज का कहना है कि समाज में दलितों के प्रति सोच में अब भी बदलाव नहीं आया है और कई ऐसी सोसायटी हैं जहां दलित समुदाय के लोग फ्लैट तक नहीं ले सकते हैं.
उदित राज का कहना है कि दलितों को एकजुट होना होगा और अत्याचार के खिलाफ खुद ही आवाज उठानी होगी.
उत्तर प्रदेश सरकार ने भी लखीमपुर मामले में सख्त कार्रवाई का भरोसा दिया है. उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि आरोपियों को सख्त सजा दी जाएगी और उन्होंने विपक्ष से मामले पर राजनीति नहीं करने को कहा है.
इस घटना के बाद कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर योगी सरकार को घेरा है. अखिलेश ने ट्वीट कर कहा, "लखीमपुर में किसानों के बाद अब दलितों की हत्या 'हाथरस की बेटी' हत्याकांड की जघन्य पुनरावृत्ति है."
दलितों के खिलाफ थम नहीं रहे अपराध
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 में देशभर में दलितों के खिलाफ 50,900 हिंसा के मामले दर्ज हुए जो कि साल 2020 में दर्ज 50,291 से कहीं अधिक है. एनसीआरबी की रिपोर्ट की माने तो 2021 में हर एक घंटे में छह दलितों के साथ हिंसा हुई. उत्तर प्रदेश में दलितों के खिलाफ 2021 में 13,146 हिंसा के मामले सामने आए थे. वहीं अगर दलित महिलाओं के यौन शोषण के मामले की बात की जाए तो यूपी में 2021 में 176 मामले सामने आए थे.
"महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित दिल्ली"
एनसीआरबी ने साल 2021 के आंकड़े जारी कर दिए हैं. इन आंकड़ों से पता चलता है कि महिलाओं के लिए महानगर कितने असुरक्षित हैं. देश की राजधानी दिल्ली को एनसीआरबी ने अपनी रिपोर्ट में महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित बताया.
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औसतन रोज दो बच्चियों से बलात्कार
एनसीआरबी की साल 2021 की रिपोर्ट कहती है कि दिल्ली में औसतन हर रोज दो नाबालिग लड़कियों से बलात्कार किए गए. इस रिपोर्ट में महिलाओं के खिलाफ अपराध को लेकर जो जानकारी सामने आई है वह काफी चौंकाने वाली है.
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"महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित दिल्ली"
साल 2020 की तुलना में 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध काफी बढ़ा है. एनसीआरबी के डेटा के मुताबिक दिल्ली में जहां 2020 में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 9,782 मामले दर्ज किए गए वहीं यह 40 फीसदी उछाल के साथ 2021 में 13,892 हो गए.
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सबसे ज्यादा अपहरण भी दिल्ली में
महानगरों में सबसे ज्यादा अपहरण के मामले भी दिल्ली में ही दर्ज हुए हैं. 2021 में राजधानी दिल्ली में 3,948 अपहरण के मामले दर्ज हुए.
तस्वीर: Aamir Ansari/DW
हर तरह की क्रूरता
20 लाख से अधिक आबादी वाले अन्य महानगरों की तुलना में दिल्ली में पति द्वारा क्रूरता के 4,674 मामले दर्ज किए गए. 2021 में लड़कियों के रेप के 833 मामले दर्ज किए गए. एनसीआरबी के डेटा के मुताबिक दिल्ली में 2021 में दहेज हत्या के 136 मामले दर्ज किए गए.
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कम नहीं हो रहे अपराध
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक देश में 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4,28,278 मामले दर्ज किए गए, जो 2020 की तुलना में 15.3 प्रतिशत (3,71,503 मामले) की वृद्धि दर्शाता है.
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बच्चों के खिलाफ भी बढ़े अपराध
2021 के दौरान बच्चों के खिलाफ अपराध के कुल 1,49,404 मामले दर्ज किए गए, जो 2020 (1,28,531 मामले) की तुलना में 16.2 फीसदी की बढ़ोतरी दिखाता है.
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कम नहीं मुंबई-बेंगलुरू
19 महानगरों में महिलाओं के खिलाफ अपराध सबसे अधिक दिल्ली में दर्ज किए गए तो वहीं वित्तीय राजधानी मुंबई इस मामले में दूसरे स्थान पर रही. यहां 5,543 मामले दर्ज किए गए इसके बाद बेंगलुरू में 3,127 केस आए.
तस्वीर: Rafiq Maqbool/AP Photo/picture alliance
कुल घटनाओं में 15 फीसदी की वृद्धि
एनसीआरबी के मुताबिक भारतीय दंड संहिता के तहत दर्ज होने वाले मामलों में भी 2021 में बढ़ोतरी दर्ज की गई. 2019 में ऐसे मामले 2,94,653 थे, जो 2020 में घटकर 2,45,844 हुए थे, लेकिन 2021 में इनकी संख्या दोबारा बढ़कर 2,89,045 हो गई.