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अपराधभारत

मध्य प्रदेश में दलित युवक की हत्या

२८ अगस्त २०२३

मध्य प्रदेश में कुछ लोगों ने एक दलित युवक की हत्या कर दी और उसकी मां को निर्वस्त्र कर दिया. मृतक की बहन ने इन लोगों के खिलाफ 2019 में यौन शोषण की शिकायत दर्ज करवाई थी. परिवार पर शिकायत वापस लेने का दबाव डाला जा रहा था.

दलितों के खिलाफ अपराध
दलितों के खिलाफ अपराधों को लेकर प्रदर्शनतस्वीर: Mayank Makhija/NurPhoto/picture alliance

मामला मध्य प्रदेश के सागर जिले का है. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक आरोपियों ने 18 साल के इस युवक को डंडों से पीट पीट कर मार दिया, उसकी मां को निर्वस्त्र कर दिया, उसकी बहन को भी पीटा और परिवार के मकान में तोड़ फोड़ भी की है.

पूरी घटना गुरुवार 24 अगस्त को घटी. पुलिस ने मीडिया को बताया कि इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली गई है, जिसमें कुल नौ लोगों के खिलाफ हत्या की कोशिश और तीन के खिलाफ एससी/एसटी कानूनके तहत आरोप दर्ज किये गए हैं. आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है.

पूरे परिवार पर हमला

2019 में मृतक की बहन ने चार लोगों के खिलाफ यौन शोषण की शिकायत की थी, जिसके बाद पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था. मामले में अभी भी एक स्थानीय अदालत में सुनवाई चल रही है.

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मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक यह आरोपी लगातार इस परिवार पर शिकायत को वापस ले लेने का दबाव डाल रहे थे. इंडियन एक्सप्रेस की वेबसाइट पर छपे मृतक के भाई के बयान के मुताबिक सभी आरोपी कथित "ऊंची जाति" के थेऔर उनका संबंध पूर्व सरपंचों के परिवार से है.

मृतक की मां ने एनडीटीवी को बताया, "उन्होंने उसे बहुत मारा. वो बच नहीं सका. हमें बेपर्दा कर दिया. मुझे निर्वस्त्र कर दिया गया था. फिर पुलिस वाले आये और मुझे एक तौलिया दिया. मैं तौलिये में ही वहां खड़ी रही और बाद में उन्होंने मुझे एक साड़ी ला कर दी."

उन्होंने यह भी कहा कि आरोपियों ने उनके घर का सारा सामान तोड़ फोड़ दिया, लूट मचाई और मकान की छत भी तोड़ दी. एनडीटीवी के मुताबिक आरोपी मृतक के दो भाइयों की तलाश में उनके एक रिश्तेदार के घर भी गए और वहां जा कर लोगों की धमकी दी.

जिला कलेक्टर ने जब मृतक के परिवार को गिरफ्तारियों का ब्यौरा दिया और सरकारी योजनाओं के तहतउनकी मदद करने का आश्वासन दिया, उसके बाद पीड़ित परिवार ने अंतिम संस्कार किया. इस समय गांव में तनाव है और भारी संख्या में पुलिस तैनात है.

कई राज्यों में यही हालात

भारत में दलितों के खिलाफ अपराध के मामलों में कड़ी सजा वाले कानून के मौजूद होने के बावजूद देश में इस तरह के अपराध बढ़ते जा रहे हैं.

दलितों के खिलाफ अपराध के मामले बढ़ते जा रहे हैंतस्वीर: Sameeratmaj Mishra/DW

राष्ट्रीय आपराधिक रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में अनुसूचित जातियों के लोगों के खिलाफ 45,935 अपराध हुए, जो 2018 में हुए अपराधों के मुकाबले 7.3 प्रतिशत ज्यादा थे. इस संख्या का मतलब है दलितों के खिलाफ हर 12 मिनट में एक अपराध होता है.

राज्य की कुल आबादी में अनुसूचित जाति के लोगों की आबादी के अनुपात के लिहाज से, अपराध की सबसे ऊंची दर राजस्थान, मध्य प्रदेश और बिहार में पाई गई. अनुसूचित जन जातियों के लोगों के खिलाफ हुए अपराधों में सबसे ज्यादा मामले (358) मध्य प्रदेश से थे से.

त्रासदी यह है कि दलितों के खिलाफ अपराध के 90 प्रतिशत से ज्यादा मामलों में सुनवाई भी लंबितरह जाती है. 2019 में अनुसूचित जातियों के लोगों के खिलाफ हुए 2,04,191 मामलों में सुनवाई होनी थी, लेकिन इनमें से सिर्फ छह प्रतिशत मामलों में सुनवाई पूरी हुई. इनमें से सिर्फ 32 प्रतिशत मामलों में दोषी का अपराध साबित हुआ और 59 प्रतिशत मामलों में आरोपी बरी हो गए.

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