पर्यावरण संरक्षकों की हत्या में आई रिकॉर्ड तेजी
२९ जुलाई २०२०लंदन स्थित ग्लोबल विटनेस नाम के एक गैर सरकारी संगठन ने अपनी ताजा रिपोर्ट में बताया है कि कैसे दुनिया भर में पर्यावरण कार्यकर्ताओं की हत्या की घटनाएं बढ़ी हैं. केवल 2019 में ही जंगलों और धरती को बचाने में लगे 212 संरक्षकों की हत्या हुई, जो कि पिछले साल के मुकाबले 30 फीसदी का उछाल है. मारे गए कार्यकर्ताओं में से करीब 40 फीसदी लोग इन इलाकों में जमीन के पारंपरिक मालिक और स्थानीय निवासी रहे थे.
इन सारी हत्याओं में से एक तिहाई से भी ज्यादा केवल लैटिन अमेरिका से रिपोर्ट हुई हैं. कोलंबिया सबसे ऊपर रहा जहां 64 हत्याएं हुईं. यहां फार्क के साथ तय हुए 2016 के शांति समझौते को लागू ना किए जाने के कारण ऐसा हुआ. इसके अलावा उन किसानों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ा जो कोकेन के उत्पादन को छोड़ कर, कोका से कोकोआ और कॉफी की खेती की ओर बढ़ना चाहते थे.
ग्लोबल विटनेस की एक कैपेंनर रेचल कॉक्स ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा कि चूंकि हमारी धरती पर जमीन सीमित है इसलिए बढ़ती आबादी के साथ ही इस सीमित संसाधन को लेकर विवाद भी बढ़ रहे हैं. यही कारण है कि कई इलाकों में वहां के रहने वाले मूल निवासियों और पारंपरिक समुदायों को उनकी जमीन से हटाने और बेदखल करने की तमाम कोशिशें की जाती हैं.
कॉक्स कहती हैं, "कई ऐसे समुदायों के नेता अपने इन्हीं पारंपरिक इलाकों को बचाने की कोशिश करते हैं लेकिन उन पर हमले कराए जाने का खतरा बहुत ज्यादा है." कई मामलों में स्थानीय अल्पसंख्यकों ने किसी इलाके में खनन किए जाने, जंगल काटे जाने या एग्रीबिजनेस की योजनाओं का विरोध किया और उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी.
हमलों की संख्या कहीं ज्यादा, दोषी बेखौफ
कॉक्स बताती हैं कि हत्याओं की तादाद तो केवल एक छोटी संख्या है और अगर देखा जाए कि "ऐसे प्रयासों के कारण कितने लोगों पर हमले कराए गए, जेल में डलवा दिया गया या फिर बदनाम करने के अभियान चलाए गए तो वह बहुत ज्यादा होगी."
नेचर पत्रिका में 2019 में छपी एक रिपोर्ट में इन हत्याओं से जुड़े एक बड़े चलन पर प्रकाश डाला गया था. उसमें लिखा था कि 2002 से 2017 के बीच के 15 सालों में करीब 1,558 पर्यावरण संरक्षकों की जान ले ली गई यानि हर हफ्ते चार ऐसे कार्यकर्ताओं की हत्या हुई. इनकी हत्या के आरोपियों में से केवल 10 फीसदी को ही सजा हुई.
2019 में दुनिया के जिन पांच देशों में सबसे ज्यादा कार्यकर्ता मारे गए वे हैं - फिलिपींस, ब्राजील, मेक्सिको, रोमानिया और होंडुरास. राष्ट्रपति डुटेर्टे के शासन में फिलिपींस में ऐसी हत्याएं काफी बढ़ीं. 2018 में कम से कम 46 पर्यावरण संरक्षकों की हत्या कर दी गई थी, जिसमें से 26 लोग ऐसे थे जो किसी एग्रीबिजनेस प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे थे.
जंगलों के लिए लड़ने वालों के कैसे हैं हाल
कलिकासान पीपल्स नेटवर्क फॉर इनवायर्नमेंट के राष्ट्रीय समन्वयक लियॉन डुलचे का कहना है कि अब भी सरकार "कोविड-19 आर्थिक सुधारों के नाम पर जंगलों और जमीन पर कब्जे की कोशिशें कर रही है." कथित तौर पर राष्ट्रपति डुटेर्टे ने ऐसे कई लोगों पर आतंकरोधी कानून लगवा कर उन्हें अपराधी करार दिया है जो असल में पर्यावरण संरक्षण का प्रयास कर रहे थे. फिलिपींस पर जलवायु परिवर्तन के कारण बड़ा खतरा मंडराता है और देश कई खतरनाक टाइफून भी झेल चुका है.
ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो ने बहुत ही आक्रामक तरीके से देश में बड़े स्तर के माइनिंग प्रोजेक्टों और एग्रीबिजनेस को बढ़ावा दिया है. इसके कारण अमेजन इलाके के स्थानीय निवासियों की पारंपरिक धरती पर पेड़ों की कटाई में एक साल पहले की तुलना में 2019 में करीब 74 फीसदी का उछाल आया. इस साल देश में जिन कुल 24 धरती संरक्षकों की हत्या हुई, उनमें से 90 प्रतिशत अमेजन में ही दर्ज हुईं.
लैटिन अमेरिका से यूरोप तक खतरा
मेक्सिको में 18 और यूरोपीय देश रोमानिया में दो कार्यकर्ताओं की हत्या हुई. रोमानिया में प्राचीन जंगलों का खजाना है जिसे "यूरोप के फेफड़े" भी कहा जाता है. इन्हीं अहम जंगलों में पेड़ों की अवैध कटाई का विरोध करने वाले दो फॉरेस्ट रेंजरों की जान ले ली गई. ग्रीनपीस के अनुसार, "जंगल माफिया” इस बेशकीमती जंगल का करीब 3 हेक्टेयर हिस्सा हर घंटे बर्बाद कर रहे हैं. अब तक इन हत्याओं के सिलसिले में किसी को भी सजा नहीं हुई है.
वहीं होंडुरास में भी सन 2018 में 4 हत्याओं से बढ़कर 2019 में ऐसे 14 लोगों की हत्या हुई. यह देश पर्यावरण कार्यकर्ताओं के लिए तो खतरनाक है ही लेकिन यहां महिला पर्यावरण कार्यकर्ताओं पर खासतौर पर जानलेवा हमले कराए गए. सन 2016 में होंडुरास की एक्टिविस्ट और स्थानीय नेता बेर्ता सेसेरस की निर्मम हत्या के बाद से इसमें और भी बढ़त आई है. सेसेरस को उनकी हत्या के कुछ महीने पहले ही प्रतिष्ठित गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार दिया गया था क्योंकि उन्होंने अपने इलाके में एक बांध के निर्माण का पुरजोर विरोध किया था.
मीजोअमेरिकन इनीशिएटिव ऑफ वीमेन ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स की मारुसिया लोपेज ने 2017-18 के बीच ऐसी 1,233 महिलाओं पर हुए हमलों को दर्ज किया है. लोपेज का कहना है, "लालची कंपनियों और आपराधिक गुटों से अपनी जमीन को बचाने में महिलाओं ने हमेशा बेहद अहम नेतृत्व दिखाया है."
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