पटना रैली में हुए ब्लास्ट में चार आतंकियों को फांसी
२ नवम्बर २०२१27 अक्टूबर 2013 को हुए सीरियल ब्लास्ट के मामले में चार आतंकियों को फांसी तथा दो को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. अदालत ने घटना को 'रेयरेस्ट ऑफ द रेयर' मानते हुए आतंकियों को प्राण निकलने तक फांसी पर लटकाए रखने को कहा है.
सीरियल ब्लास्ट की घटना के ठीक आठ साल बाद 27 अक्टूबर 2021 को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) कोर्ट के विशेष न्यायाधीश गुरविंदर सिंह मल्होत्रा की अदालत ने इस मामले में नौ आतंकियों को दोषी करार दिया व एक को रिहा कर दिया था. सजा के बिंदु पर 1 नवंबर को सुनवाई की गई.
अदालत ने 15 मिनट में एक-एक कर दिए गए अपने फैसले में साजिश के मास्टरमाइंड हैदर अली उर्फ ब्लैक ब्यूटी व नुमान अंसारी, इम्तियाज अंसारी तथा मुजीबुल्लाह अंसारी को फांसी की सजा सुनाई. उमर सिद्दीकी व अजहरुद्दीन कुरैशी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई जबकि अहमद हुसैन व फिरोज आलम को दस-दस साल तथा इफ्तिखार आलम को सात वर्ष की कैद की सजा सुनाई.
सभी दोषियों पर अर्थदंड भी लगाया गया है. अदालत ने यह भी कहा है कि कोई भी आतंकी 30 दिनों के अंदर इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील कर सकता है अन्यथा दी गई सजा पर अमल किया जाएगा. इनमें पांच झारखंड के, दो छत्तीसगढ़ के तथा दो उत्तर प्रदेश के निवासी हैं.
नाबालिग समेत 12 के खिलाफ थी चार्जशीट
हैदर, मुजीबुल्लाह, उमर, अजहर तथा इम्तियाज सात जुलाई 2013 को बोधगया (गया) में हुए बम विस्फोट के मामले में भी अभियुक्त हैं तथा पहले से ही उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. ये सभी प्रतिबंधित संगठन सिमी (आईएम) के सदस्य थे. इन सभी ने बोधगया में सिलेंडर बम से विस्फोट किया था. हालांकि उस विस्फोट में किसी की जान का नुकसान नहीं हुआ था.
इस कांड में एक नाबालिग समेत 12 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई थी. सुनवाई के दौरान एक आरोपी की मौत हो गई जबकि नाबालिग को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने पहले ही तीन साल की सजा सुना दी थी. फकरुद्दीन नामक एक आरोपी को कोर्ट ने रिहा करने का निर्देश दिया था.
सीरियल ब्लास्ट की इस घटना में छह लोगों की मौत हो गई थी जबकि 89 अन्य घायल हो गए थे. इस कांड की जांच का जिम्मा एनआइए को 31 अक्टूबर 2013 को दिया गया था तथा दिल्ली के एनआइए थाने में एफआइआर 1 नवंबर 2013 को दर्ज की गई थी. पटना के एनआइए कोर्ट में 6 अक्टूबर 2021 को इस कांड की सुनवाई पूरी हुई. 27 अक्टूबर को विशेष अदालत ने नौ आरोपियों को दोषी करार दिया.
20 बमों के सहारे दहलाने की थी साजिश
पटना में 20 बम प्लांट किए गए थे जिनमें अकेले गांधी मैदान में 18 बम रखे गए थे. यहां पांच बम विस्फोट हुए जबकि पटना स्टेशन के शौचालय में दो बम फटे. 13 को विस्फोट से पहले बरामद कर लिया गया. आतंकियों का उद्देश्य हर पांच मिनट पर एक विस्फोट करना था.
पटना जंक्शन के प्लेटफार्म संख्या 10 के शौचालय में तीसरा बम प्लांट करने के दौरान ही फट गया था. विस्फोट से तारिक नाम का आतंकी बुरी तरह घायल हो गया जिसकी बाद में मौत हो गई.
जिन नौ आतंकियों को सजा दी गई है उनमें हैदर अली उर्फ ब्लैक ब्यूटी सबसे दुर्दांत है. वह कई नामों से जाना जाता था. बताया जाता है कि इंडियन मुजाहिदीन के संस्थापक यासीन भटकल ने उसे वकास के साथ प्रशिक्षण लेने के लिए पाकिस्तान भेज दिया था. वहां से लौटने के बाद उसने भारत में कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया.
शिकंजा कसने पर वह बांग्लादेश भाग गया. पहली बार उसे बांग्लादेश में ढाका से पकड़ा गया था. पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार जब उसे पेशी के लिए ले जाया जा रहा था तो उसने बगल में बैठे सुरक्षा गार्ड के गले में चम्मच घोंप कर उसकी हत्या कर दी और फरार हो गया.
वहीं एनआइए की चार्जशीट के अनुसार सीरियल ब्लास्ट के मास्टरमाइंड व झारखंड के रांची निवासी हैदर ने अलकायदा की आनलाइन मैगजीन को पढ़कर बम बनाना सीखा था. बम बनाने का सामान तीन राज्यों, छत्तीसगढ़ के रायपुर, झारखंड के रांची तथा उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर व इलाहाबाद से खरीदा गया था. बोधगया ब्लास्ट के लिए भी सिलेंडर बम हैदर अली ने ही बनाया था.
आतंकियों ने पूछताछ में बताया था कि नरेंद्र मोदी की हुंकार रैली के पहले उनकी अंबिकापुर, कानपुर व दिल्ली में रैली स्थल की रेकी की गई थी. सिमी के इन आतंकियों की योजना पहले मानव बम के जरिए सीधे नरेंद्र मोदी को टारगेट करने की थी. इसके लिए रांची में ट्रायल भी किया गया था. किंतु रेकी के दौरान रैली स्थलों की सख्त सुरक्षा व्यवस्था देखकर ही इन सबों ने फिदायीन हमले का इरादा बदल दिया था. बोधगया में महाबोधि मंदिर परिसर में ब्लास्ट के बाद हैदर अली, उमर व अजहरुद्दीन छत्तीसगढ़ के रायपुर में मिले तथा वहीं पटना के गांधी मैदान में सीरियल ब्लास्ट की साजिश रची.
पटना स्टेशन पर कुली ने पकड़ा था इम्तियाज को
प्लेटफॉर्म नंबर 10 के डीलक्स शौचालय में 27 अक्टूबर 2013 को प्रात: साढ़े नौ बजे विस्फोट हुआ. पूरा इलाका धमाके से थर्रा उठा. इसी बीच धुएं को चीरते हुए एक कुली ने शौचालय में प्रवेश किया. वहां एक युवक खून से लथपथ पड़ा था जबकि दूसरा बुरी तरह कांप रहा था. उसने उसे कब्जे में लेकर पुलिस को सूचित किया.
वह कुली धर्मनाथ यादव था तथा उसके द्वारा पकड़ा गया युवक इम्तियाज अंसारी आतंकी था. उसके बैग से एक बम बरामद किया गया जबकि शौचालय से और दो बम बरामद हुए. यदि कुली धर्मनाथ यादव ने इम्तियाज को नहीं पकड़ा होता तो पुलिस को गांधी मैदान में प्लांट किए गए बमों के बारे में जानकारी नहीं मिलती.
इसी सूचना पर पुलिस ने बड़ी तत्परता से विस्फोट के बाद मचने वाली भगदड़ से भारी मात्रा में होने वाले जानमाल के नुकसान को काबू में कर लिया था. गांधी मैदान में एक के बाद एक करके हुए पांच विस्फोट के बाद भी मंच पर मौजूद नेताओं ने भी बड़ी समझदारी से काम लिया था. वे मंच से लगातार घोषणा करते रहे कि उत्साह में पटाखे न छोड़ें, जबकि उन्हें भी पता था कि बम विस्फोट हो रहा है. बम को पटाखा समझ कर भीड़ डटी रही.
'हुंकार' रैली में सीरियल ब्लास्ट में मारे गए बिहारशरीफ के अहिया मुसहरी गांव निवासी राजेश कुमार के पिता अंजनी कुमार कहते हैं, "दोषियों को सजा मिल गई, लेकिन मेरा बेटा तो चला गया."