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कानून और न्यायमध्य पूर्व

1,000 मौतों के बाद स्वेइदा में हालात कुछ शांत

ओंकार सिंह जनौटी डीपीए, एएफपी, रॉयटर्स
२० जुलाई २०२५

हफ्ते भर की बर्बर हिंसा के बाद सीरिया के स्वेइदा में हालात काबू में आने लगे हैं. द्रुजे अल्पसंख्यकों को खत्म करने के इरादे से पहुंचे हजारों कबाइली लड़ाकों को स्वेइदा और उसके आस पास से हटा दिया गया है.

Syrien Suwaida 2025 | Kämpfe zwischen beduinischen Arabern und drusischen Gruppen
तस्वीर: Izettin Kasim/Anadolu/picture alliance

सीरिया के हालात के बारे में दुनिया को जानकारी देने वाली सीरियन ऑब्जर्वेट्री फॉर ह्यूमन राइट्स के मुताबिक, रविवार को स्वेइदा में हालात काफी हद तक नियंत्रण में दिखाई दिए. ब्रिटेन स्थित इस ऑब्जर्वेट्री ने बताया कि, दक्षिणी सीरिया के स्वेइदा के आस पास जमा कबाइली लड़ाकों को सेना ने वहां से हटा दिया है. ये कबाइली लड़ाके बदूनी सुन्नी लड़ाकों के समर्थन में सीरिया के कई हिस्सों से स्वेइदा पहुंचे थे. 13 जुलाई को दक्षिणी सीरिया में बदूनी और द्रुजे समुदाय के बीच झड़प शुरू हुई. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक स्वेइदा और राजधानी दमिश्क को जोड़ने वाले एक हाइवे पर हुई एक लूटपाट की घटना के बाद शुरू हुई झड़प जल्द ही धार्मिक संघर्ष में बदल गई. हफ्ते भर चले इस संघर्ष में करीब 1,000 लोग मारे गए.

ब्रिटेन स्थित सीरियन ऑब्जर्वेट्री फॉर ह्यूमन राइट्स के मुताबिक, द्रुजे अल्पसंख्यकों की बहुलता वाले स्वेइदा में हुए इस संघर्ष में 406 स्थानीय लोग और 330 सैनिक मारे गए हैं. ऑब्जर्वेट्री का दावा है कि मृतकों में 26 महिलाएं और छह बच्चे भी हैं. सीरिया की सेना पर इन उन्हें गोली मारने के आरोप हैं. वहीं द्रुजे हथियारबंदों पर तीन बदूनों की हत्या करने के आरोप लगे हैं. संघर्ष के दौरान स्वेइदा में महिलाओं से बलात्कार के अपराध भी सामने आए हैं.

स्वेइदा अपने इतिहास में ज्यादातर वक्त स्वायत्त रहा है. लेकिन दिसंबर 2024 में सीरिया के तत्कालीन राष्ट्रपति बशर अल असद के रूस भागने के बाद द्रुजे अल्पसंख्यकों का गढ़ कहे जाने वाले स्वेइदा में हालात नाजुक हो चुके हैं.

भीषण संघर्ष के बाद स्वेइदा के लिए निकलता राहत सामग्री का काफिलातस्वीर: Omar Sanadiki/AP/picture alliance

कौन हैं द्रुजे अल्पसंख्यक

द्रुजे धर्म, शिया इस्लाम से निकली एक शाखा है. इतिहासकारों के मुताबिक, 10वीं-11वीं शताब्दी में अपने रीति रिवाजों के साथ ये समुदाय अलग हो गया.

द्रुजे धर्म में, सत्य और सत्य की खोज को काफी अहमियत दी जाती है. यह पंथ दूसरों की देखभाल करने के साथ ही गलत विश्वासों को त्यागने पर जोर देता है. द्रुजे निश्चित समय पर प्रार्थना नहीं करते हैं, वे तीर्थ यात्रा के लिए मक्का नहीं जाते हैं और रमजान के दौरान रोजा भी नहीं रखते हैं.

अनुमान के मुताबिक आज दुनिया भर में करीब 10 लाख द्रुजे लोग हैं. इनकी बड़ी आबादी दक्षिणी सीरिया में रहती हैं. सीरिया के अलावा यह समुदाय इस्राएल, जॉर्डन और लेबनान में भी बसता है.

संघर्ष के दौरान 16 जुलाई को इस्राएली सेना ने सीरियाई राजधानी दमिश्क पर हवाई हमले भी किए. इस्राएल ने रक्षा मंत्रालय और सेना के मुख्यालय को निशाना बनाया. इस्राएल द्रुजे समुदाय को खुला समर्थन देता है और उन्हें अपना साझेदार कहता हैं. द्रुजे समुदाय के लोग स्वेच्छा से इस्राएली सेना में काम करते हैं.

संघर्ष के दौरान स्वेइदा का आस पास जमा हुए अरब और बदूनी लड़ाकेतस्वीर: Hisam Hac Omer/Anadolu/picture alliance

सीरिया की धार्मिक विविधता पर अविश्वास की मार

सीरिया में पूर्व राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ 14 साल तक चले गृहयुद्ध के दौरान द्रुजे समुदाय ने भी असद के खिलाफ आंदोलन में हिस्सा लिया. लेकिन दिसंबर 2024 में असद की सत्ता के ढहने के बाद सीरिया की कमान विद्रोही रह चुके सुन्नी नेता अहमद अल शरा के हाथ में आ गई. अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की तरह द्रुजे समुदाय का भी आरोप है कि अल शरा की सेना अलग धार्मिक नजरिया रखने वालों का सफाया करने पर तुली है. मार्च में सीरियाई सेना पर अलावी समुदाय के जनसंहार के आरोप लगे.

शनिवार को सीरिया सरकार ने स्वेइदा की ओर बड़ा सैन्य काफिला रवाना किया. इससे ठीक पहले देश को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति अहमद अल शरा ने कहा कि वे सीरिया की जातीय और धार्मिक विविधता को समझते हैं और वह इसकी रक्षा करेंगे. अल शरा ने यह भी एलान किया के वह हिंसा करने वाले हर इंसान को न्याय की चौखट तक लाएंगे.

सीरिया में फैलती धार्मिक और जातीय हिंसा राष्ट्रपति अल शरा के लिए सबसे बड़ी चुनौतीतस्वीर: Khalil Ashawi/REUTERS

राष्ट्रपति के इस एलान के बावजूद शनिवार शाम तक सीरिया के तमाम कोनों में बदूनी लड़ाके स्वेइदा की ओर बढ़ते रहे हैं. कुछ लड़ाकू कबीले भी बदूनियों के समर्थन में उतर आए. द्रुजे समुदाय के खिलाफ लड़ाकों को उकसाते हुए एक कबीलाई कमांडर अबु जासेम ने कहा, "आगे बढ़ो, कबीलों! हम उनके घर में घुसकर उन्हें मौत के घाट उतारेंगे."

माना जा रहा था कि शनिवार और रविवार की दरम्यानी रात, अल शरा का भी इम्तिहान होगी. अमेरिका और इस्राएल के दबाव के बीच रविवार सुबह स्वेइदा में हालात नियंत्रण में नजर आने लगे. लेकिन 14 साल लंबे गृह युद्ध से बिखरे देश में ये शांति कितनी टिकाऊ रहेगी, इस पर संदेह अभी बरकरार है.

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