स्कूली छात्राओं की मौत से ईरान में फिर आक्रोशित हुई जनता
२१ अक्टूबर २०२२16 साल की असरा पनाही ईरान के उत्तरी-पश्चिमी शहर अर्देबिल में रहती थीं. अजेरी अल्पसंख्यक समुदाय की इस छात्रा की कथित तौर पर सुरक्षा बलों की पिटाई के बाद मौत हो गई. यह खबर सुनते ही पूरे शहर में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए. हालांकि, अधिकारियों ने पिटाई की वजह से मौत की खबरों का खंडन करते हुए कहा कि छात्रा की मौत हृदय से जुड़ी पुरानी समस्या के कारण हुई है और पुलिस ने उन्हें नहीं मारा है.
पुलिस के बयान के बावजूद, पनाही की मौत ने जनता को एक बार फिर से आक्रोशित कर दिया. दरअसल, ईरान के सख्त हिजाब कानून का कथित रूप से उल्लंघन करने के आरोप में नैतिकता पुलिस ने पिछले महीने युवा कुर्द महिला महसा अमीनी को गिरफ्तार किया था.
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गिरफ्तारी के बाद 22 वर्षीय महसा अमीनी की तेहरान में पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी. इसके बाद से पूरे देश में हिंसक विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए थे. उस समय भी पुलिस ने दावा किया था कि अमीनी की मौत दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुई थी, जबकि परिवारवालों का कहना था कि मौत पुलिस की पिटाई के कारण हुई. इस बार पनाही की मौत ने जनता को और आक्रोशित कर दिया है.
पनाही की मौत के बारे में क्या जानकारी है?
कथित तौर पर 13 अक्टूबर को अर्देबिल स्थित शहीद गर्ल्स हाई स्कूल में सुरक्षा बलों ने छापेमारी की थी और वहां की छात्राओं को इस्लामिक शासन की प्रशंसा में गाना गाने का आदेश दिया था. कुछ छात्राओं ने गाने से इनकार किया, तो उनकी बुरी तरह पिटाई की गई. इस वजह से कई छात्राओं को अस्पताल ले जाना पड़ा. पनाही भी इन्हीं छात्राओं में से एक थी. इसके अगले दिन 14 अक्टूबर को पनाही की मौत हो गई. मौत की वजह स्कूल में पिटाई से लगी चोट बताई गई.
ईरान में व्यापक रूप से इंटरनेट बंद होने के बावजूद, यह खबर सोशल मीडिया नेटवर्क पर तेजी से फैल गई. वहीं, तसनीम जैसी समाचार एजेंसियों ने पनाही के चाचा के हवाले से कहा कि छात्रा की मौत हृदय से जुड़ी पुरानी समस्या की वजह से हुई थी. ये समाचार एजेंसियां ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स की करीबी हैं.
हालांकि, कुछ ही समय बाद इंटरनेट पर एक तस्वीर वायरल हुई जिसमें दिख रहा था कि पनाही एक एथलीट हैं. 12 साल की उम्र में, वह अपने प्रांत में क्षेत्रीय तैराकी प्रतियोगिता में तीसरे स्थान पर आई थी. पनाही की मौत के बाद से यह जानकारी तैराकी महासंघ की वेबसाइट से हटा दी गई है.
अर्देबिल की मेयर के हवाले से न्यूज पोर्टल एंतेखाब ने कहा, "सच्चाई यह है कि पनाही ने आत्महत्या की है. पारिवारिक समस्याओं की वजह से उसने गोलियां ली थीं.”
पुलिस की पिटाई से तीन और स्कूली छात्राओं की मौत
पूर्व राष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी अली डेई ने इंस्टाग्राम पर ईरानी अधिकारियों की खिंचाई करते हुए कहा, "आप सच नहीं बोल रहे हो. मुझे पता है कि मेरे शहर में क्या हुआ है.” ईरान के कई लोगों ने उनके इस पोस्ट को शेयर किया. अली डेई फुटबॉल के दिग्गज खिलाड़ी रहे हैं.
यह पहली बार नहीं है जब अधिकारियों ने पिछले चार हफ्तों में स्कूली छात्राओं की मौत की जिम्मेदारी लेने से इनकार करने की कोशिश की है. एमनेस्टी इंटरनेशनल की ईरान विशेषज्ञ राहा बहरेनी ने डीडब्ल्यू को बताया, "हमें यह जानकारी मिली है कि हिंसक हमले की वजह से कम से कम तीन और स्कूली छात्राओं की मौत हुई है.”
इस मानवाधिकार संगठन के मुताबिक, 20 से 30 सितंबर के बीच ईरान में विरोध-प्रदर्शनों के दौरान गैरकानूनी तरीके से बल प्रयोग की वजह से कम से कम 23 नाबालिगों की मौत हुई है. बहरेनी ने कहा, "मारे गए नाबालिगों में 20 लड़के और तीन लड़कियां शामिल हैं. इन लड़कों की उम्र 11 से 17 साल के बीच थी. वहीं, एक लड़की 17 साल और दो अन्य की उम्र 16 साल थी.”
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उन्होंने आगे कहा, "ज्यादातर लड़कों की मौत इसलिए हुई क्योंकि सुरक्षा बलों ने गैरकानूनी तरीके से उन पर गोलियां चलाई. वहीं, तीन लड़कियों सेतारेह ताजिक, सरीना इस्माइलजेदा और नीका शाहकरामी को सिर पर गहरी चोट लगी थी. हालांकि, परिवारों पर यह कहने के लिए दबाव डाला गया कि उनके बच्चों की मौत बीमारी या आत्महत्या के कारण हुई है.”
17 साल की नीका शाहकरामी की मां ने इस बात की पुष्टि की है. ईरानी सरकार के अनुसार, शाहकरामी 21 सितंबर को इमारत की छत से गिरने के बाद मृत पाई गई थी. उसके परिवार को सरकारी टीवी चैनल पर इस बात की पुष्टि करने के लिए मजबूर किया गया था.
हालांकि, पीड़िता की मां ने दूसरे देश में स्थित फारसी भाषा में संचालित होने वाले मीडिया संस्थान को वीडियो भेजकर सरकारी बयान को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि उनकी बेटी को ईरानी सुरक्षा बलों ने प्रदर्शन के दौरान मार दिया. शाहकरामी की मां नसरीन ने वीडियो में कहा, "सुरक्षा बल खुद को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं.”
इस्लामी शासन को चुनौती दे रही छात्राएं
देश में सरकार विरोधी चल रहे हालिया प्रदर्शन में स्कूली छात्राएं सबसे आगे रही हैं. वे स्कूलों में विरोध-प्रदर्शन कर रही हैं, हिजाब उतार रही हैं, और सरकार विरोधी नारे लगा रही हैं. उनकी प्रदर्शन की तस्वीरें और वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो रहे हैं.
विरोध को कुचलने के लिए, सुरक्षा बल पिछले कुछ सप्ताह से स्कूलों में लगातार छापेमारी कर रहे हैं. स्कूल चलाने वाले लोगों का कहना है कि सुरक्षा अधिकारी सादे कपड़ों में अचानक पहुंचते हैं, कक्षाओं में घुस जाते हैं और छात्राओं को जबरन गिरफ्तार करके ले जाते हैं.
कुछ स्कूलों में आंसू गैस का इस्तेमाल करने की भी खबर है. पिछले रविवार को जारी बयान में, ईरानी शिक्षक संघ ने स्कूलों पर "क्रूर और अमानवीय” छापे की निंदा की. साथ ही, स्कूली छात्राओं की हिंसक गिरफ्तारी और मौतों की खबर की पुष्टि की.