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शाकाहार बढ़ाने की सलाह पर स्पेन में छिड़ा विवाद

९ जुलाई २०२१

स्पेन के एक मंत्री ने जब लोगों को कम मांस खाने की सलाह दी, तो अपनी ही सरकार के लोग उनके पीछे पड़ गए. मांस कितना खाएं, स्पेन में इस बात पर बवाल हो गया है.

तस्वीर: Sanne Derks/DW

कितना मांस खाया जाना चाहिए, इस बात को लेकर स्पेन में बहस इतनी बढ़ गई है कि सत्तारूढ़ गठबंधन में दरार आ गई है. प्रधानमंत्री पेद्रो सांचेज की कैबिनेट के मंत्री आपसे में इस सवाल को लेकर उलझे हुए हैं. एक पक्ष का कहना है कि देश के लोगों को गोमांस और अन्य तरह के पशुओं में मिलने वाले प्रोटीन कम खाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. यह पक्ष शाकाहारी भोजन को प्रोत्साहित करने को लेकर अभियान चलाने की बात कह रहा है.

मांस खाने को लेकर यह बहस इस कदर बढ़ गई है कि लिथुआनिया के दौरे पर गए प्रधानमंत्री सांचेज को वहीं से दखल देना पड़ा. अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा, "जहां तक मेरी बात है, तो अगर तुम मुझे एक रिब-आई स्टेक दोगे, तो उस जैसी कोई बात नहीं है."

2020 की शुरुआत में सत्ता में आने के बाद से सांचेज और उनकी वामपंथी रुझाने वाली सोशलिस्ट पार्टी व गठबंधन की जूनियर पार्टनर वामपंथी पार्टी युनाइटेड वी कैन का कई मामलों पर विवाद हो चुका है. इनमें ट्रांसजेंडरों के अधिकार, बढ़ते किराये का मुद्दा, करों में बढ़ोतरी और लोगों को मिलने वाली सरकारी मदद शामिल हैं

यूं छिड़ा विवाद

विवाद के मुद्दों में मांस पिछले हफ्ते तब शामिल हुआ जब 7 जुलाई को युनाइटेड वी कैन पार्टी के नेता और उपभोक्ता मंत्री अल्बर्टो गारजन ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी किया. इस वीडियो में उन्होंने लोगों से अपने खाने में कम से कम मांस का प्रयोग करने की अपील की थी. गारजन ने कहा, "मैं अपने नागरिकों की और अपने ग्रह की सेहत को लेकर फिक्रमंद हूं."

मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र की फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन के आंकड़ों के हवाले से कहा कि यूरोपीय संघ में स्पेन मांस का सबसे बड़ा उपभोक्ता है. यूरोप में प्रतिव्यक्ति सालाना औसत उपभोग 76 किलो है जबकि स्पेन में 98 किलो. गारजन ने कहा कि चार करोड़ 70 लाख लोगों के देश में हर साल सात करोड़ गाय, सूअर, भेड़, मुर्गे और अन्य जानवर खाने के लिए काटे जाते हैं.

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गारजन ने आगाह किया कि इतने मांस के उत्पादन के लिए इससे कहीं ज्यादा मात्रा में पानी का इस्तेमाल होता है और ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन भी होता है, जो ग्लोबल वॉर्मिंग के लिए जिम्मेदार है. गारजन ने हालांकि स्पष्ट किया कि वह मांसाहार के विरोधी नहीं हैं. उन्होंने कहा, "इसका मतलब यह नहीं है कि हम कभी-कभार परिवार के साथ बार्बेक्यू नहीं कर सकते. हमें बस थोड़ा सा परहेज बरतना होगा और जिन दिनों में हम मांस खाते हैं उसका संतुलन बनाने के लिए बाकी दिनों ज्यादा सलाद, चावल और दालें खानी चाहिए."

उबल पड़े आलोचक

स्पेन के कृषि मंत्री लुई प्लानास को गारजन का यह अभियान कतई नहीं भाया. कैबिनेट मंत्री प्लानास ने इस अभियान को दुर्भाग्यपूर्ण और देश के बीस फीसदी निर्यात के लिए जिम्मेदार उस उद्योग के प्रति अन्यायपूर्ण बताया, जो 10 अरब यूरो यानी लगभग 880 अरब रुपयों का है.

एक रेडियो को दिए इंटरव्यू में प्लानास ने कहा, "पशुपालक इसके हकदार नहीं हैं. उद्योग को बहुत ज्यादा अन्यायपूर्ण आलोचना झेलनी पड़ रही है. यह उद्योग अपने ईमानदार काम और अर्थव्यवस्था में अपने योगदान के लिए सम्मान का हकदार है."

स्पेन के छह मुख्य उद्योग संघों की एक संस्थान ने उपभोक्ता मंत्रालय के अभियान की आलोचना में एक पर्चा भी छापा है. गारजन पर चुनिंदा आंकड़ों के आधार पर ढाई अरब लोगों को रोजगार देने वाले उद्योगों की आलोचना का आरोप लगाते हुए इस पर्चे में उनके अभियान को निंदनीय बताया गया है.

तस्वीरों मेंः धरती की सेहत की खातिर बनें शाकाहारी

एक संगठन अनाफरिक ने उपभोक्ता मंत्री पर आरोप लगाया कि जिस उद्योग ने यूरोपीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण मानकों को अपनाया है, उसे अपराधी की तरह पेश किया जा रहा है. छोटे किसानों और पशुपालकों के एक संघ यूपीए ने भी अपनी नाराजगी जाहिर की है.

संघ के एक प्रवक्ता ने कहा, "स्पेन में हम बढ़िया खाना खाते हैं. हमारे भूमध्यसागरीय खान-पान के कारण ही दुनिया में हमारे देश के लोग तीसरे सबसे ज्यादा जीने वाले लोग हैं."

वीके/एए (रॉयटर्स)

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