दो सदी पहले पेरिस में किसानों ने भूमिगत मशरूम उगाने की एक क्रांतिकारी विधि का आविष्कार किया था. लेकिन आज कुशल किसानों की कमी के कारण अनूठी कृषि विरासत खतरे में है.
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विडंबना यह है कि परंपरागत रूप से उगाए जाने वाले सफेद बटन मशरूम और उनके अधिक स्वादिष्ट भूरे रंग वाले मशरूम की मांग हमेशा की तरह अधिक है. कुछ सदी पहले पेरिस में किसानों ने चूना पत्थर की खानों के चक्रव्यूह में मशरूम के उत्पादन के साथ प्रयोग किया, जिससे मशरूम की खेती में क्रांति आई.
ये किसान न केवल एक विशेष प्रकार के मशरूम की खेती करने में सफल हुए बल्कि बाद में इस प्रकार के मशरूम को एक नियमित राष्ट्रीय सांस्कृतिक विरासत के रूप में भी जाना जाने लगा. आज मशरूम की खेती की ऐसी अनूठी विरासत लुप्त होती दिख रही है क्योंकि ऐसे मशरूम उगाने के लिए गिने-चुने किसान ही बचे हैं.
मांग तो है लेकिन किसान नहीं
किसान शौआ-मौआ वांग कहते हैं, "यह ग्राहकों को खोजने का सवाल नहीं है, मैं वह सब कुछ बेचता हूं जो मैं पैदा कर सकता हूं."
पेरिस क्षेत्र में वांग वांग सबसे बड़ी भूमिगत खेती गुफा चलाते हैं, जो वास्तव में सीन नदी के ऊपर झांकते हुए पहाड़ की तलहटी में डेढ़ हेक्टेयर क्षेत्र में फैली सुरंगों का एक जाल है.
वांग पेरिस के कुछ सबसे प्रसिद्ध और पुरस्कार विजेता शेफ को अपने मशरूम बेचते हैं. उनके मशरूम स्थानीय सुपरमार्केट में भी बिकते हैं. उनके मशरूम थोक बाजार में लगभग साढ़े तीन यूरो प्रति किलोग्राम के भाव से बिकते हैं, जो काफी अधिक है.
वांग को हाल ही में एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा. सैकड़ों किलोग्राम मशरूम, जिन्हें 'सांप छतरियां' भी कहा जाता है, मजदूरों की कमी के कारण बर्बाद हो गए. वांग के पास माल उठाने और स्टोर करने के लिए पर्याप्त कर्मचारी नहीं थे. केवल 11 कर्मचारी ही काम पर लौट पाए, जबकि बाकी बीमारी के कारण गैरहाजिर रहे. वांग कहते हैं, ''दिन भर अंधेरा होता और मजदूर पूरे दिन काम नहीं करना चाहते.''
चैंपियंस ऑफ पेरिस मशरूम
वांग फ्रांस के उन पांच किसानों में से एक हैं जो ऐसे दुर्लभ मशरूम उगाते हैं, जिन्हें स्थानीय बोली में "चैंपियंस ऑफ पेरिस" के रूप में जाना जाता है. पेरिस के उत्तर में लंबे समय से खोदी गई खदानों से मशरूम का उत्पादन और कम हो गया है.
19वीं सदी के अंत तक ऐसे 250 तक किसान थे. उस समय बड़ी संख्या में किसानों ने 'शाही मशरूम' की ओर रुख किया. इस प्रकार के मशरूम की खेती तब वर्साय में राजा लुई चौदहवें द्वारा शुरू की गई थी. राजा ने असाधारण प्रसिद्धि प्राप्त की. तब किसानों ने यह भी पता लगाया कि इस मशरूम उत्पादन का तापमान, आर्द्रता और अंधेरा साल भर कैसे प्राप्त किया जा सकता है.
कश्मीर के महंगे मशरूम
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उन्होंने पाया था कि अगर खाद आधारित सब्सट्रेट ऐसे गहरे भूमिगत क्षेत्र में रखे जाते हैं जहां तापमान और आर्द्रता को नियंत्रित किया जा सकता है और अंधेरा उत्पत्ति को बढ़ावा देगा, तो एगारिकस बिस्पोरस (मशरूम) साल भर बढ़ेगा.
पेरिस शहर का तेजी से विस्तार और विशेष रूप से शहर के भूमिगत मेट्रो नेटवर्क के निर्माण ने 1900 की शुरुआत में मशरूम उत्पादकों को शहर से बाहर धकेलना शुरू कर दिया. 1970 के दशक में शहर के उपनगरों में लगभग 50 भूमिगत खदानें थीं जहां मशरूम उगाए जाते थे और अक्सर यह काम पीढ़ियों से चला आ रहा था.
विदेशों से मशरूम के सस्ते आयात ने स्थानीय स्तर पर ऐसे दुर्लभ और कीमती मशरूम की खेती और उत्पादन के अवसरों को और कम कर दिया है. अब नीदरलैंड्स, पोलैंड और चीन में पैदा हुए मशरूम फ्रांस में जगह बना रहे हैं.
एए/वीके (एएफपी)
देखें, दुनिया के सबसे डरावने मशरूम
दुनिया के सबसे घिनौने और डरावने मशरूम
शैतान का दांत, मरे हुए आदमी की ऊंगली या फिर सूअर का कान. प्रकृति में सुंदरता बिखरी पड़ी है, लेकिन कभी कभी उसकी चीजें आपको डरा भी सकती हैं. देखिए कुछ सबसे सुंदर और सबसे भयानक मशरूम.
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बदबूदार
शुरुआत करते हैं बदबूदार ऑक्टोपस के साथ. इन्हें आप शैतान की ऊंगलियां कह सकते हैं. बाकी सभी मशरूमों की तरह यह भी ना तो पेड़ है और ना ही प्राणी. विज्ञान कुकुरमुत्तों को एक अलग ही श्रेणी में रखता है. इससे ना सिर्फ सड़े हुए मीट की बदबू आती है, बल्कि यह दिखता भी वैसा ही है. बहुत सी मक्खियां और कीड़े इसकी तरफ खिंचे चले आते हैं.
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ना खतरनाक और ना स्वाद
ऑक्टोपस जैसे दिखने वाला मशरूम ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और मलय द्वीपसमूहों पर पाया जाता है. जर्मनी में पहली बार 1934 में ऐसा मशरूम मिला था. यह जहरीला नहीं है. इसकी चिपचिपी परत को हटाकर इसे खाया जा सकता है, लेकिन यह उम्मीद मत करिए कि इसका स्वाद बढ़िया होगा.
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डरावना हाथ
जिलेरिया पॉलीमोर्फा मशरूम को मरे हुए व्यक्ति की उंगलियों के नाम से भी जाना जाता है. यह मशरूम आम तौर पर किसी मृत पेड़ पर उगता है. बाहर से इसका रंग गहरा काला या फिर काली रंगत वाला भूरा हो सकता है. लेकिन अंदर से यह सफेद और रेशेदार होता है. यह बिल्कुल मरे हुए आदमी की ऊंगलियां लगती हैं. क्या आप इन्हें खाना चाहेंगे?
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खूनी दांत
यह है हाइडनेलम पेकी. जब यह मशरूम बड़ा होता है तो इसके अंदर से खून जैसा लाल रंग का द्रव निकलता रहता है. इसीलिए इसे "खूनी दांत" या फिर "शैतान का दांत" भी कहा जाता है. इस पर छोटे छोटे कांटे भी होते हैं. इसी वजह से इसे खाया नहीं जा सकता.
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संरक्षण का हकदार
शैतान का दांत कहे जाने वाले ये मशरूम मध्य यूरोप में खूब मिलते हैं. इसकी 15 प्रजातियां हैं. मशरूमों में इसे दुर्लभ माना जाता है. इसलिए इनका संरक्षण होना चाहिए. इस मशरूम के साथ कुछ और भी मशरूम पाए जाते हैं जैसे कि "सूअर के कान" कहे जाने वाले मशरूम.
इस मशरूम का नाम गोम्फस ग्वासेटस है. लेकिन यह दिखता बिल्कुल सूअर के कान जैसा है. इसे जर्मनी में 1998 में "मशरूम ऑफ द ईयर" चुना गया था. इसका स्वाद भी बहुत अच्छा है. शाकाहारी लोग भी इसे बिना चिंता आराम से खा सकते हैं.
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चिड़िया के घोंसले
सियाथस स्ट्रेटस मशरूम को आम बोलचाल में चिड़िया के घोंसले वाले मशरूम कहा जाता है. ये मशरूम दुनिया भर में पाए जाते हैं. लेकिन ये सिर्फ देखने में ही अच्छे लग रहे हैं. इनका स्वाद अच्छा नहीं है.
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माफ कीजिएगा...
इसे गुस्ताखी समझा जाएगा. लेकिन इस आकार का मशरूम भी दुनिया में पाया जाता है. लैटिन में इसका नाम है "फेलस इंपुडिकस" जिसका मतलब होता है "बेशर्म लिंग". इसके ऊपरी सिरे पर चिपचिपा बदबूदार पदार्थ होता है. इसीलिए बहुत सी मक्खियां इसकी तरफ आकर्षित होती हैं.
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नकाबपोश महिला
यह मशरूम भी बदबूदार मशरूमों की श्रेणी में गिना जाता है. आकार को देखते हुए कुछ लोग इसे पर्दे वाली महिला कहते हैं. इसका वैज्ञानिक नाम फेलस इंडस्ट्रियाटस है. चीनी खाने में इसका इस्तेमाल होता है. इसमें काफी मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर होता है.
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मस्तिष्क कहें या आंत
यह खास तरह का मशरूम भोज और बेंत के पेड़ों पर उगता है. यह आपको मस्तिष्क या फिर आंतों की बनावट की याद दिलाता है. लेकिन इसके कई आकार हो सकते हैं. मांस जैसा इसका रंग कभी कभी रेड वाइन जैसा भी दिख सकता है. आप इसे खा सकते हैं, अगर खाना चाहें तो...
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जुड़वा बच्चे
इस मशरूम को देखकर ऐसा लगता है कि गर्भ में भ्रूण अपने विकास के शुरुआती चरण में हैं और दो भ्रूण आपस में एक दूसरे से चिपके हुए हों. निश्चित तौर पर आप इसे खा नहीं सकते. लेकिन है जबरदस्त.
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मांसाहारी पौधे?
गलत, बिल्कुल गलत. यह ना तो मांसाहारी है और न ही पौधे. कुकेइना ट्रिकोलोमा कप फंगी फेमिली से संबंधित है. लेकिन यह नुकसानदायक नहीं है. मेक्सिको में इसे खाने में इस्तेमाल किया जाता है. वहीं कैमरून में इसे कान के दर्द की दवा में इस्तेमाल किया जाता है.
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शेर के बाल
हेरिसियम एरिनासेयुस अपने बाल जैसे रेशों की वजह से ध्यान खींचता है. आम बोलचाल में कुछ लोग इसे शेर के बाल कहते हैं तो कुछ बंदर का सिर. एशिया में यह मशरूम खाया जाता है. चीनी पारंपरिक दवाओं में भी इसका इस्तेमाल होता है. लेकिन इसे दुर्लभ मशरूम प्रजातियों में गिना जाता है.