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दिल्ली के प्रदूषण से हांफ रहे लोग

१९ नवम्बर २०२४

भारत की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण से स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है. मंगलवार को सुबह वायु गुणवत्ता सूचकांक 498 तक पहुंच गया, जो कि गंभीर श्रेणी में आता है.

दिल्ली में हवा की गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है
दिल्ली में इंडिया गेट के पास मास्क लगाए सैर करते लोगतस्वीर: Arvind Yadav/Hindustan Times/Sipa USA /picture alliance

दिल्ली में हवा की गुणवत्ता मंगलवार सुबह लगातार दूसरे दिन "गंभीर" श्रेणी में रही, शहर में धुंध (स्मॉग) छाई रही, विजिबिलिटी कम हो गई और एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) खतरनाक स्तर पर पहुंच गया. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी में सुबह 8 बजे तक एक्यूआई 498 दर्ज किया गया, जो इसे "गंभीर प्लस" श्रेणी में रखता है.

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुनवाई हुई जिसमें कोर्ट ने राज्यों से कहा था 12वीं तक के क्लास ऑनलाइन कराएं जाएं, मंगलवार को दिल्ली-एनसीआर में सभी स्कूल ऑनलाइन मोड हो गए. वहीं खराब होती हवा को देखते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय ने 23 नवंबर तक और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय ने 22 नवंबर तक ऑनलाइन कक्षाएं चलाने की घोषणा की.

जहरीली हवा से निपटने के उपाय

दिल्ली में सोमवार को ही ग्रेडेड रेस्पांस सिस्टम 4 (ग्रैप) लागू हो गया. ग्रैप 4 तब लागू किया जाता है जब प्रदूषण का स्तर गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है. ग्रैप 4 के तहत कुछ कड़े कदम उठाए जाते हैं. ग्रैप 4 के तहत कई तरह की पाबंदियां और दिशा-निर्देश लागू होते हैं. इसके तहत शहर में ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है और सार्वजनिक परियोजनाओं पर निर्माण कार्य को स्थगित करने समेत प्रदूषण नियंत्रण के कड़े उपाय लागू किए जाते हैं.

इलेक्ट्रिक व्हिकल और सीएनजी तथा बीएस-6 डीजल वाहनों को छोड़कर, दिल्ली के बाहर पंजीकृत गैर-आवश्यक हल्के वाणिज्यिक वाहनों पर भी बैन रहता है.

प्रदूषण से लोग परेशान, सरकार विफल!

सीपीसीबी के मुताबिक, 400 या इससे अधिक का आईक्यू "गंभीर" माना जाता है और इससे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता को चार अलग-अलग चरणों में बांटा गया है: चरण 1 – "खराब" (एक्यूआई 201-300), चरण 2 – "बहुत खराब" (301-400), चरण 3 – "गंभीर" (401-450) और चरण 4 – "अत्यधिक गंभीर" (450 से अधिक).

दिल्ली के हौज खास मार्केट के पास सड़क पर रेहड़ी लगाने वाले दयाल शर्मा कहते हैं, "प्रदूषण के कारण काफी परेशानी हो रही हैं. सांस लेने में बहुत कठिनाई हो रही है, आंखों में जलन महसूस हो रही है. सरकार को इस पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए."

दिल्ली के गाजीपुर लैंडफिल में जलते कूड़े के बीच एक युवक तस्वीर: ARUN SANKAR/AFP/Getty Images

फल बेचने का काम करने वाले शर्मा ने कहा, "हमारे पास दिनभर सड़क पर रेहड़ी लगाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है. अगर हम प्रदूषण से बचने के लिए घर पर बैठ जाएंगे तो घर कैसे चलेगा."

बढ़ते प्रदूषण के कारण लोगों को सांस लेने में कठिनाई, आंखों में जलन और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. वायु प्रदूषण को लेकर हालात बहुत ही चिंताजनक हो गए हैं, ऐसे में लोग अब मास्क पहनकर घर से बाहर निकल रहे हैं, ताकि वह प्रदूषण से बच सके. विशेषज्ञों के मुताबिक, एक्यूआई का 500 के करीब होना बताता है कि हवा में विषैले कणों की मात्रा इतनी अधिक हो गई है कि यह स्वास्थ्य के लिए गंभीर रूप से हानिकारक है, विशेषकर उन लोगों के लिए जिनकी उम्र कम या ज्यादा है और जिन्हें सांस की बीमारियां हैं.

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प्रदूषण से कैसे बचें

निजी अस्पताल मैक्स के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के निदेशक और प्रमुख डॉ. आशीष जैन कहते हैं कि प्रदूषण के इन स्तरों को देखते हुए लोगों को अपनी सेहत का खास ध्यान रखना चाहिए. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "इस मौसम में सुबह और शाम जब प्रदूषण का स्तर ज्यादा होता है जरूरी ना हो तो घर से बाहर न जाएं." डॉ. जैन कहते हैं, "ऐसे मौसम में फल और सब्जियों का सेवन खूब करना चाहिए, पानी ज्यादा से ज्यादा पिएं, अगर कोई मरीज अस्थमा की दवा ले रहा है तो वह उसे नियमित रूप से लें, अगर कोई मरीज डायबिटीज और ब्लड प्रेशर की दवा ले रहा है तो वह उसे समय पर लें, घर से बाहर जाने पर मास्क का इस्तेमाल करें."

डॉ. जैन के मुताबिक घर से बाहर निकलना हो तो सुबह और शाम को निकलने से बचें और दोपहर के समय घर से निकलें जब थोड़ी सी धूप आ गई हो. बच्चों की ऑनलाइन क्लास होने और पूरे वक्त घर में रहने के दौरान बच्चों को कब घर से बाहर जाकर खेलने देना मुनासिब है, इस सवाल के जवाब में डॉ. जैन कहते हैं, "सुबह और शाम को जब मौसम ठंडा रहता है और प्रदूषण का स्तर ज्यादा रहता है उस वक्त को छोड़ दें तो बच्चे दोपहर के वक्त कुछ देर के लिए पार्क में मास्क लगाकर खेल सकते हैं. जब बच्चे वापस लौटे तो उनके हाथ-मुंह अच्छे से पानी से धुला दें."

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई थी. जिसमें प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए कड़े कदम उठाने में देरी होने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा एक्यूआई 300 से 400 के बीच पहुंचा, तब ग्रैप 4 लागू होना था. कोर्ट ने सवाल किया देरी क्यों हुई, देरी करके जोखिम कैसे उठा सकते हैं. कोर्ट ने कहा, "यह सुनिश्चित करना राज्यों का संवैधानिक कर्तव्य है कि नागरिक प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहे." सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के राज्यों से उठाए गए कदमों के बारे में 22 नवंबर तक हलफनामा देने को कहा है.

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"जहरीली हवा" पर भी राजनीति

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्री को कृत्रिम बारिश के लिए एक बार फिर चिट्ठी लिखी है. गोपाल राय का कहना है कि दिल्ली में वाहनों पर लगातार प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं और स्मॉग की चादर को हटाने के लिए प्रयास किया जा रहे हैं. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, "हम ये कोशिश कर रहे हैं कि गाड़ियों पर ज्यादा से ज्यादा प्रतिबंध लगाया जाए. ये जो स्मॉग की चादर छाई हुई है इसे कैसे तोड़ा जाए.  इसलिए हमें लगता है अब वो समय आ गया है कि दिल्ली के अंदर आर्टिफिशियल बारिश करवाई जाए. इसके लिए इस साल हमने अगस्त में ही तैयारी शुरू कर दी थी. ताकि जब स्थिति खराब हो तो उस पर काम किया जा सके."

क्लाउड-सीडिंग यानी बादलों में नमक डालकर कृत्रिम बारिश कराने पर 2023 में भी विचार किया गया था, लेकिन खराब मौसम के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका.

वहीं बीजेपी के सांसद और नेताओं ने मंगलवार को दिल्ली सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और दिल्ली की आप सरकार पर प्रदूषण पर नियंत्रण करने में विफल होने का आरोप लगाया. सांसद मनोज तिवारी ने एक मेट्रो स्टेशन के बाहर लोगों को मास्क बांटे, उन्होंने कहा मास्क बांटकर वे लोगों के बीच जागरुकता फैला रहे हैं.

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