1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

हरियाणा नहीं हिमाचल प्रदेश से मिलेगा दिल्ली को पानी

चारु कार्तिकेय
७ जून २०२४

यमुना के पानी को लेकर दिल्ली और हरियाणा का झगड़ा पुराना है, लेकिन इस बार सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली को हिमाचल प्रदेश से पानी दिया जाएगा. इस मामले में राजनीतिक समीकरण स्पष्ट नजर आ रहे हैं.

दिल्ली
दिल्ली में पारा 50 डिग्री सेल्सियस के करीब रह रहा है और पानी की कमी हो गई हैतस्वीर: Deep Nair/picture alliance / ZUMAPRESS.com

गर्मी की भीषण लहर के बीच पिछले कई दिनों से दिल्ली के कई इलाकों में पानी का भारी संकट चल रहा है. इसी स्थिति को देखते हुए दिल्ली सरकार ने 31 मई को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी.

याचिका में दिल्ली सरकार ने कहा था कि राजधानी के प्राथमिक पानी के स्रोत सोनिया विहार और भागीरथी बैराज अपने अधिकतम स्तर पर काम कर रहे हैं, लेकिन फिर भी सभी इलाकों की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं.

सरकार ने याचिका में यह भी कहा कि दिल्ली को अतिरिक्त पानी की तुरंत इसलिए भी जरूरत है कि क्योंकि दिल्ली में ही वो कर्मचारी भी काम करते हैं जो पूरे भारत के मामलों का प्रबंधन करते हैं.

दिल्ली कैसे पहुंचेगा पानी

सरकार ने अदालत को बताया कि उसने हरियाणा सरकार से मदद का अनुरोध किया था, लेकिन अभी तक जवाब नहीं आया है. इसलिए दिल्ली सरकार ने अदालत से गुजारिश की कि वो हरियाणा को आदेश दे कि उसे हिमाचल प्रदेश से जो अतिरिक्त पानी मिलता है, वो हरियाणा सरकार वजीराबाद बैराज के जरिए दिल्ली भेज दे.

दिल्ली के कई इलाके टैंकरों से पानी की सप्लाई पर निर्भर हो गए हैंतस्वीर: Raj K Raj/Hindustan Times/Sipa USA/picture alliance

इसी मामले में गुरुवार छह जून को सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि वो 137 क्यूसेक अतिरिक्त पीने का पानी तुरंत छोड़े. साथ ही हरियाणा सरकार को भी आदेश दिया गया कि वो इस पानी को हथिनीकुंड बैराज और वजीराबाद बैराज के जरिये दिल्ली पहुंचाने में मदद करे.

अदालत ने अपर यमुना रिवर बोर्ड (युवाईआरबी) को भी आदेश दिया कि वो हिमाचल प्रदेश द्वारा छोड़े जाने वाले पानी को माप भी ले. चूंकि यह एक तात्कालिक कदम है, मामले पर सुनवाई जारी रहेगी और अगली सुनवाई 10 जून को होगी.

जानिए सतलज-यमुना नहर विवाद का इतिहास

अदालत की कार्रवाई में यह स्पष्ट नजर आया कि इस मामले में किस तरह राजनीति हावी रही है. हरियाणा में इस समय बीजेपी की सरकार है, दिल्ली में 'आप' की और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की.

पानी पर राजनीति

अभी-अभी खत्म हुए लोकसभा चुनावों में 'आप' और कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर, दिल्ली में और हरियाणा में विपक्ष के 'इंडिया' गठबंधन का हिस्सा बनीं और बीजेपी के खिलाफ मिलकर चुनाव लड़ा. हरियाणा सरकार पानी के मुद्दे पर दिल्ली की मदद करने को तैयार नहीं हुई, जबकि हिमाचल सरकार तैयार हो गई.

पानी बचाने का परंपरागत उपाय, जिससे महिलाओं का जीवन हुआ आसान

04:43

This browser does not support the video element.

सुप्रीम कोर्ट में हिमाचल सरकार के वकील भी मौजूद थे और उन्होंने पहले ही अदालत को बता दिया था कि उनकी सरकार ब्यास नदी के पानी को अपनी नहरों के जरिए पानी के संकट से जूझती दिल्ली भेजने के लिए तैयार है.

इसके विपरीत हरियाणा के वकील का कहना था कि यह प्रस्ताव व्यावहारिक नहीं है, लेकिन उन्होंने अपनी आपत्ति का कारण नहीं बताया. बाद में केंद्र सरकार की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने अदालत को बताया कि हरियाणा का कहना है कि अतिरिक्त पानी को मापने और अलग करने का कोई तरीका नहीं है.

इस पर दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि पैसों की तरह पानी भी परिवर्तनीय है, यानी ऐसा संसाधन जिसे उसी के जैसे दूसरे संसाधन से बदला जा सकता है. इसके बाद हरियाणा के वकील ने यूवाईआरबी को दिए गए डाटा पर भी सवाल उठाया, जिस पर अदालत ने बताया कि यह डाटा केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा दिया गया है.

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें