दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के डाटा के मुताबिक इस साल अब तक 526 पैदल यात्री सड़क हादसे में मारे गए और 1698 घायल हुए. डाटा से पता चलता है कि दिल्ली की सड़कें पैदल यात्रियों के लिए कितनी असुरक्षित हैं.
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दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने 2022 में हुए सड़क हादसों के विश्लेषण पर आधारित वार्षिक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट से पता चलता है कि 2021 के मुकाबले 2022 में न केवल सड़क दुर्घटनाओं में 19.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, बल्कि सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या में 17 प्रतिशत से अधिक और घायलों की संख्या में 21.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.
2022 में दिल्ली में 5,652 सड़क हादसे हुए. इन हादसों में 5,201 लोग घायल हुए और 1,461 लोगों की मौत हुई. मरने वालों में 44 फीसदी ऐसे थे जो पैदल चलने वालों में शामिल थे. कार और भारी गाड़ियों के मुकाबले पैदल चलने वालों के पास सुरक्षा के वे उपाय नहीं होते हैं जिनसे वे सड़क पर होने वाले हादसों से बच पाए.
ट्रक वालों को क्यों नहीं दिखते साइकल सवार
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सड़क पर असुरक्षित पैदल यात्री
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक दुनियाभर में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में 1.2 करोड़ से अधिक लोग मारे जाते हैं और दो से पांच करोड़ के बीच लोग घायल हो जाते हैं. सड़क यातायात की दुर्घटनाओं में आधे से अधिक पीड़ित पैदल यात्री, साइकिल सवार और मोटरसाइकिल चालक होते हैं, जो उन्हें कमजोर सड़क उपयोगकर्ता समूह का हिस्सा बनाते हैं.
घातक सड़क दुर्घटनाओं में पैदल चलने वालों को सबसे अधिक खतरा होता है और रोकी जा सकने वाली सड़क दुर्घटनाओं में भी पैदल यात्री सबसे अधिक पीड़ित होते हैं. दिल्ली में साल 2022 में सड़क दुर्घटनाओं में 629 पैदल यात्रियों की मौत हुई और 1,777 घायल हुए, जबकि 2021 में 504 पैदल यात्रियों की मौत हुई और 1,536 घायल हुए.
दिल्ली में औसतन रोजाना 15 सड़क हादसे
आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली में औसतन रोजाना 15 सड़क हादसे होते हैं और इनमें चार लोगों की मौत होती है. ट्रैफिक पुलिस के डाटा के विश्लेषण से पता चला कि साल 2022 में रात में 806 हादसे और दिन में 622 हादसे हुए.
हिट एंड रन के मामलों की बात जाए तो साल 2021 में जहां 555 मामले सामने आए तो वहीं साल 2022 में यह बढ़कर 668 हो गए. जानकार कहते हैं कि दिल्ली में विश्वस्तर का इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया जाता है लेकिन उसमें पैदल यात्रियों की सुरक्षा पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता है, जितना दिया जाना चाहिए.
दिल्ली में फ्लाईओवर और सिग्नलफ्री सड़कों पर ट्रैफिक दोड़ने की व्यवस्था है लेकिन पैदल यात्रियों के लिए फुटओवर ब्रिज या सबवे बेहद सीमित संख्या में हैं. यही नहीं फुटपाथ पर अतिक्रमण की वजह से पैदल यात्रियों को जोखिम उठाते हुए सड़क पर चलने को मजबूर होना पड़ता है, जिसकी वजह से वे सड़क हादसों के शिकार हो जाते हैं.
ताकि सफर आखिरी न हो
भारत में हर मिनट एक इंसान सड़क हादसे में अपनी जान गंवाता है, चार घायल होते हैं. जरा सी सावधानी से अपनी और दूसरों की जान बचाई जा सकती है, आईये जानें सड़क सुरक्षा की 14 अहम बातें.
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ध्यान भटकना
दुनिया भर में हर साल सबसे ज्यादा सड़क हादसे ध्यान भटकने की वजह से होते हैं. बेख्याली में लोगों का ध्यान सड़क से बाहर चला जाता है. मोबाइल फोन, खाना-पीना या फिर बाहर का नजारा देखना इसके मुख्य कारण हैं.
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तेज रफ्तार
आबादी के बीच से गुजरता हाईवे और उस पर लिखी स्पीड लिमिट, कई ड्राइवर इसे नजरअंदाज करते हैं. और यही तेज रफ्तार हादसे का कारण बनती है. कम लोग जानते हैं कि 80 कि.मी. प्रतिघंटा की रफ्तार से चलती कार की ब्रेकिंग दूरी भी कम से कम 64 से 90 मीटर होती है.
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शराब
निर्धारित मात्रा से ज्यादा शराब पीने के बाद ड्राइवर को अचानक से फैसना लेने में परेशानी होती है. जांचकर्ताओं के मुताबिक अल्कोहल सड़क हादसों के लिए बहुत ज्यादा जिम्मेदार है. शाम को शराब पीने के बाद रात में अचानक इमरजेंसी में गाड़ी चलाना, ऐसे हालात खतरा और बढ़ा देते हैं.
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संयम खोना
तेज रफ्तार, अचानक कट मारना, दूसरे को परेशान करते हुए आगे बढ़ना, ये ऐसी लापरवाहियां हैं जो हादसे को न्योता देती है. सड़क पर संयम रखना भी एक चुनौती है. ड्राइविंग करते वक्त खुद को शांत रखना बेहद जरूरी है.
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रॉन्ग साइड गाड़ी चलाना
कई बार लोग दूसरी दिशा में जाने के लिए यू टर्न का इस्तेमाल नहीं करते, बल्कि गलत दिशा में गाड़ी डाल देते हैं. ऐसा करके अपनी और दूसरे की सुरक्षा कभी खतरे में न डालें.
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किशोरों से सावधान
दुपहिया या कार पर सवार किशोरों से विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए. अनुभव की कमी, बेध्यानी, होड़ लगाने का शौक और लापरवाही की वजह से किशोर सड़कों को खतरनाक बनाते हैं.
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बारिश
बरसात में गाड़ी चलाते वक्त विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए. गीली सड़क पर घर्षण कम हो जाता है, जिसके चलते ब्रेक लगाने पर वाहन के फिसलने का खतरा बना रहता है. बरसात के दौरान सामने का नजारा भी बहुत साफ नहीं होता है.
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रात में ड्राइविंग
रात में वाहन चलाना आसान नहीं, इस दौरान दुर्घटना होने की संभावना भी दोगुनी होती है. शाम के वक्त इंसान पर थकान भी हावी होती है. इसके अलावा कई चालक हर वक्त हेडलाइट को हाई बीम पर रखते हैं. लिहाजा रात में ड्राइविंग करते वक्त सामने के शीशे या हेल्मेट के शीशे को बिल्कुल साफ रखें और बेहद संभलकर आगे बढ़ें.
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हेलमेट या सीट बेल्ट न पहनना
गाड़ी की गति अगर पैदल चाल से ज्यादा तेज हो तो सील्ट बेल्ट जरूर पहनें. हादसे की स्थिति में यह सिर, पेट और छाती की गंभीर चोटों से काफी हद तक बचाती है. दुपहिया में हेलमेट जरूर लगाएं.
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ओवरटेकिंग का जुनून
हर कोई चाहता है कि उसे खाली सड़क मिले, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि जोखिम लेकर हर वाहन को ओवरटेक किया जाए. ओवरटेक करते समय हर वाहन से सुरक्षित दूरी बनाकर रखनी चाहिए.
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रेड लाइट जम्प करना
रेड लाइट को नजरअंदाज करने वाले ड्राइवर, दूसरी दिशा से आ रहे तेज रफ्तार ट्रैफिक की चपेट में आ सकते हैं. इस दौरान होने वाले हादसे गंभीर चोट पहुंचा सकते हैं. लिहाजा बेहतर है कि ट्रैफिक सिग्नल के आस पास जल्दबाजी न करें.
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वाहन में डिफेक्ट
दुनिया में हर चीज 100 फीसदी परफेक्ट नहीं है. इस बात को ड्राइविंग के वक्त भी ध्यान में रखें. वाहन में आने वाली दिक्कतों को नजरअंदाज न करें. हर गाड़ी में खास किस्म के फायदे और खामियां होती हैं, ड्राइविंग के वक्त इन चीजों को भी ध्यान में रखें.
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वाहन को लहराकर चलाना
मुड़ते वक्त इंडिकेटर न देना, व्यस्त सड़क पर रास्ता पूछने के लिए अचानक रुकना, ज्यादा ट्रैफिक होने पर बार बार लेन बदलना, ऐसा कर बेवजह दुर्घटना को न्योता न दें.
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तालमेल की कमी
ज्यादातर हादसे इस वजह से भी होते हैं कि एक चालक की हरकत दूसरों को समझ में नहीं आती. ऐसा न करें, सड़क पर ऐसी कोई भी हरकत न करें, जिसके चलते दूसरे भ्रमित हों.