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समाज

राहत कैंपों में रहने वालों की चिंता बढ़ी

आमिर अंसारी
१२ मार्च २०२०

दिल्ली में पिछले महीने हुए दंगों के बाद जो लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं वे जल्द से जल्द अपने घरों को लौटना चाहते हैं.कोरोना के बढ़ते मामलों ने इन कैंपों में काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों की चिंता और बढ़ा दी है.

Indien Coronavirus Neu Delhi
तस्वीर: DW/A. Ansari

दिल्ली के मुस्तफाबाद स्थित ईदगाह में सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स और स्वास्थ्यकर्मी लाउड स्पीकर पर राहत शिविरों में रहने वाले लोगों से बार-बार साफ-सफाई रखने का विशेष आग्रह कर रहे हैं. वॉलंटियर्स लोगों से बार-बार साबुन से हाथ धोने और आस-पास स्वच्छता के लिए कह रहे हैं. दूसरी ओर महिलाओं के लिए बने कैंप में बैठी हिंसा पीड़ित नसीमा अपने स्मार्टफोन पर सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस से जुड़ी पोस्ट देख रही हैं.

नसीमा को कोरोना वायरस के बारे में ज्यादा तो नहीं तो पता लेकिन वह इतना जानती है कि यह तेजी से फैल रहा है. डीडब्ल्यू ने जब उनसे पूछा कि वह निजी स्वच्छता के लिए क्या करती हैं तो उन्होंने बताया कि कैंपों में लोग अधिक है और वे लोग साबुन और हैंड सैनेटाइजर का इस्तेमाल करते हैं. नसीमा कहती हैं, "हिंसा के बाद से हम लोग यहां रहने को मजबूर हैं. अब एक वायरस के बारे में बात हो रही है. हम लोगों को जैसे बताया जा रहा है हम उसी तरह से हाथ धोते हैं."

हिंसा पीड़ित महिला.तस्वीर: DW/A. Ansari

मुस्तफाबाद के कैंपों में करीब एक हजार से अधिक लोग रहते हैं. राहत कैंपों में नसीमा जैसे लोगों के लिए दो मेडिकल कैंप लगाए गए हैं. एक अस्पताल ने अपना कैंप लगाया है तो वहीं दूसरी ओर डॉक्टरों के एक समूह ने हिंसा पीड़ितों को चिकित्सा सहायता देने के लिए कैंप लगाया है. नसीमा का पति बिजली की दुकान में काम करता है और उनके छोटे-छोटे बच्चे हैं. नसीमा कहती हैं, "राहत कैंप में घर जैसा नहीं लगता है. हम जल्द से जल्द अपने घरों को लौटना चाहते हैं. यहां काफी लोग हैं और इस वजह से हमें दिक्कतें होती हैं. जब इतने ज्यादा लोग एक जगह पर साथ रहते हैं तो खासतौर पर टॉयलेट और साफ-सफाई एक बड़ी समस्या हो जाती है. अब हमें वायरस को लेकर भी एहतियात रखने को कहा जा रहा है."

मुस्तफाबाद के राहत शिविर में मेडिकल कैंप लगाने वाले डॉक्टर्स यूनिटी वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. वसीम कमर कहते हैं, "लोगों में कोरोना वायरस को लेकर भय का माहौल है. ऐसे में हम लोगों की काउंसलिंग भी कर रहे हैं. हम लोगों को कोरोना वायरस से निपटने के लिए क्या करें और क्या ना करें भी बता रहे हैं. हम महिलाओं को विशेष रूप से साफ-सफाई पर ध्यान देने को कह रहे हैं. महिलाओं की जरूरतों को देखते हुए हम उन्हें सैनेटरी नैपकिन भी मुफ्त में मुहैया करा रहे हैं."

दंगा पीड़ितों की मदद के लिए बने मेडिकल कैंप.तस्वीर: DW/A. Ansari

कैंपों में रहने वाली महिलाएं यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) की शिकायत लेकर भी डॉक्टरों के पास जा रही हैं. यूटीआई की समस्या अक्सर महिलाओं में होती है, जिसका मुख्य कारण सफाई ना रखना होता है. इसके अलावा यहां रहने वाले लोग त्वचा पर होने वाले चकत्ते की शिकायत भी कर रहे हैं. त्वचा पर चकत्ते तब होते हैं जब लंबे समय तक एक ही कपड़ा पहना जाता है.

स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. चंचल कहती हैं, "इस तरह के कैंपों में संक्रमण का खतरा अधिक होता है क्योंकि इस तरह के कैंपों में वायरस और बीमारी पनपने का खतरा अधिक होता है. राहत की बात यह कि इस कैंप में रहने वाला कोई भी शख्स ऐसी जगह से नहीं आया है जहां कोरोना हुआ है. फिर भी हमें एहतियात बरतनी होगी कि हाथ साफ रखें, आस-पास में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें. किसी को खांसी है तो कम से कम एक मीटर की दूरी बनाए रखें. हमें उम्मीद है कि राहत शिविर में ऐसे मामले सामने नहीं आएंगे."

डॉ. चंचल बताती हैं कि उन्होंने राहत शिविरों में रहने वाली महिलाओं और लड़कियों से साफ-सफाई पर ध्यान देने को कहा है और यूटीआई से बचने के उपाय बताए हैं. डॉ. चंचल कहती हैं, "महिलाओं के हिसाब से शौचालयों की सुविधाएं कम है इसलिए हम उन्हें माहवारी के दौरान विशेष ध्यान रखने को कहते हैं." नसीमा के पास बैठी लड़कियां किताबें पढ़ रही हैं और किसी तरह से उस दिन का इंतजार कर रही हैं जब वह अपने घरों को लौट पाए. नसीमा का घर शिव विहार में है लेकिन उसे नहीं पता कि वह अब किस हालत में होगा. नसीमा कहती हैं, "अब हम किसी तरह से अपने घर जाना चाहते हैं, यहां मन नहीं लगता है."

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