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10 मिनट में डिलीवरी, लोगों की जान जोखिम में

२४ जनवरी २०२२

भारत में दस मिनट में राशन की डिलीवरी करने वाली कंपनियां तेजी से बढ़ रही हैं. लेकिन इस डिलीवरी के दबाव में वे ड्राइवर जान जोखिम में डाल रहे हैं जिन्हें बाइक पर सामान घर-घर पहुंचाना होता है.

तस्वीर: David McNew/Getty Images

भारत में वेबसाइट पर घर का राशन बेचने वाली स्टार्टअप कंपनियों के बीच सामान को सबसे जल्दी पहुंचाने की होड़ लग गई है. कई ग्रॉसरी स्टार्टअप 10 मिनट में घर पर डिलीवरी का वादा कर रहे हैं. लेकिन इस समयसीमा को पार करने के चक्कर में बाइक से डिलीवरी करने वालों की जान जोखिम में है.

भारत में किराना बाजार 600 अरब डॉलर का है और उसका हिस्सा पाने के लिए तेज मुकाबला चल रहा है. अमेजॉन, वॉलमार्ट के फ्लिपकार्ट और मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस के बीच इस बाजार पर कब्जे की होड़ लगी है.

अब कई और स्टार्टअप कंपनियां भी किराना बाजार में कदम रख रही हैं. जैसे कि ब्लिंकिट और जेप्टो ने नई दुकानें खोलना शुरू कर दिया है और बड़ी संख्या में भर्ती की है. ये दोनों ही कंपनियां दस मिनट में डिलीवरी का वादा कर रही हैं.

इन कंपनियों का लक्ष्य है कि अपने कथित डार्क स्टोर से या छोटे-छोटे वेयरहाउस में राशन को कुछ ही मिनटों में पैक करके बाइक सवारों के जरिए ग्राहकों के घरों तक पहुंचा दिया जाए. बाइक सवार को डिलीवर करने के लिए करीब सात मिनट का समय मिलता है.

किशोरों की कंपनियां

आईटी विश्लेषक एंबिट कैपिटल के अश्विन मेहता कहते हैं, "ये स्टार्टअप बड़े खिलाड़ियों के लिए खतरा हैं. अगर लोग दस-दस मिनट में घर का राशन पाने के आदी हो गए तो 24 घंटे में डिलीवरी करने वाली कंपनियों को भी अपनी समयसीमा कम करनी होगी."

शोध संस्थान रेडसीअर का कहना है कि भारत में तेज खरीददारी का बाजार पिछले साल 30 करोड़ डॉलर यानी लगभग 22 अरब रुपये का हो गया था और 2025 तक इसके 10 से 15 गुना तक बढ़ने की संभावना है.

ब्लिंकिट और जेप्टो की शुरुआत स्टैन्फर्ड यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई अधर में छोड़ने वाले 19 साल के दो किशोरों ने की है. दोनों ही कंपनियों ने अपने ऑफर के जरिए ग्राहकों का ध्यान खींचा है. ब्लिंकिट के जरिए खरीददारी कर रहीं शर्मिष्ठा लाहिरी कहती हैं कि अगर खाना बनाते वक्त ही कि किसी चीज की जरूरत पड़ जाए तो दस मिनट में आ जाता है. वह बताती है,"बहुत आराम हो गया है. यह लाइफस्टाइल में ही बदलाव है."

75 वर्षीया लाहिरी गुरुग्राम में रहती हैं. वह अमेजॉन के अलावा टाटा के ऑनलाइन ग्रॉसर बिगबास्किट का भी इस्तेमाल कर रही थीं लेकिन ब्लिंकिट के तुरंत डिलीवरी ने उन्हें आकर्षित किया है.

यूरोप और अमेरिका से तुलना

यूरोप और अमेरिका में तेज डिलीवरी का यह प्रयोग सफल हो चुका है. तुर्की में गेटिर और जर्मनी में गरिलाज जैसी कंपनिया इस क्षेत्र में तेजी से तरक्की कर रही हैं. लेकिन यूरोप की तुलना में भारत की खराब सड़कों पर दस मिनट में डिलीवरी एक खतरनाक और घातक विकल्प हो सकता है.

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भारत के पूर्व परिवहन सचिव विजय छिब्बर कहते हैं, "दस मिनट बहुत तेज हैं. अगर कोई नियामक होता तो कहता कि इसे किसी कंपनी की खूबी के तौर पर पेश नहीं किया जा सकता."

इस बारे में समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने ब्लिंकिट और जेप्टो से टिप्पणी चाही लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.

भारत के बड़े शहरों में भी सड़कें सुरक्षित नहीं कही जा सकतीं. सड़कों पर गड्ढे और आवारा पशु आम समस्या हैं. ट्रैफिक के नियमों का आम उल्लंघन भी कितने ही हादसों की वजह बनता है. पिछले साल ही वर्ल्ड बैंक ने कहा था कि भारत में हर चार मिनट में एक व्यक्ति की मौत सड़क हादसों के कारण होती है. भारत में सड़क दुर्घटनाओं में सालाना लगभग डेढ़ लाख लोगों की मौत होती है.

ड्राइवरों पर दबाव

ब्लिंकिट और जेप्टो के लिए काम करने वाले 13 डिलवरी ड्राइवरों से समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बात की. दिल्ली, मुंबई और गुरुग्राम में काम करने वाले इन सभी ड्राइवरों ने कहा कि वे काफी दबाव में काम करते हैं. समयसीमा में डिलीवरी करने के दबाव में वे अक्सर तेज रफ्तार गाड़ियां चलाते हैं नहीं तो उन्हें स्टोर मैनेजर की डांट का डर रहता है.

एक ड्राइवर ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा, "हमें पांच-छह मिनट में डिलीवरी करनी होती है और मुझे हमेशा डर लगा रहता है कि जान ना चली जाए."

अगस्त में ब्लिंकिट के सीईओ ने ट्विटर पर कहा था कि ड्राइवरों पर कोई दबाव नहीं होता और वे अपनी रफ्तार से डिलीवरी कर सकते हैं क्योकि डार्क स्टोर डिलीवरी वाली जगहों के पास होते हैं.

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लेकिन डिलीवरी ड्राइवर इस बात से सहमत नहीं हैं. कई ड्राइवरों ने उन्हें बताया कि उन पर समय से पहले डिलीवरी करने का इतना दबाव होता है कि कई बार वे डिलीवरी करने से पहले ही ऑनलाइन सिस्टम में उसे डिलीवर हुआ बता देते हैं.

यदि कोई ग्राहक इस बात की शिकायत करता है तो ड्राइवरों पर 300 रुपये तक का जुर्माना लग सकता है. ड्राइवरों के बीच दस मिनट में डिलीवरी की व्यवस्था को लेकर नाराजगी बढ़ रही है. ड्राइवरों के वॉट्सऐप ग्रुप में एक अन्य ड्राइवर के हादसे का शिकार होने की तस्वीरें पोस्ट की गईं जिसके बाद एक यूजर ने कहा, "इस दस मिनट को बैन करो."

वीके/एए (रॉयटर्स)

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