एआई और मशीन लर्निंग की नौकरियों में अभूतपूर्व वृद्धि
२५ सितम्बर २०२४हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), मशीन लर्निंग (एमएल) और जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (जेन एआई) जैसे डिजिटल स्किल की मांग में पूरी दुनिया में तेजी से वृद्धि हुई है. भारत इस वृद्धि का अगुआ बना हुआ है.
कॉर्नरस्टोन ऑनडिमांड व स्काईहाइव नामक सलाहकार कंपनियों की साझा ‘ग्लोबल स्टेट ऑफ द स्किल्स इकोनॉमी' रिपोर्ट में बताया गया है कि रोजगार के क्षेत्र में पिछले पांच सालों में किस तरह के कौशल की मांग बढ़ी है. रिपोर्ट साफ तौर पर कहती है कि भले ही एआई और इससे जुड़े डिजिटल स्किल की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है लेकिन मानव कौशल आज भी महत्वपूर्ण बना हुआ है.
रिपोर्ट के अनुसार, एआई और मशीन लर्निंग से जुड़े कौशलों की मांग 2019 से लगातार बढ़ रही है, जो दिखाता है कि ये तकनीकें दुनियाभर में उद्योगों को तेजी से बदल रही हैं. रिपोर्ट कहती है कि पिछले पांच सालों में एआई और मशीन लर्निंग से जुड़ी नौकरियों के विज्ञापनों में 65 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इसके साथ ही, जेनरेटिव एआई से संबंधित नौकरियों के विज्ञापनों में में 411 फीसदी की जबरदस्त वृद्धि देखी गई है.
जेनरेटिव एआई, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का एक नया क्षेत्र है जो रचनात्मक इस्तेमाल पर केंद्रित है और इसे तकनीकी विकास में सबसे प्रमुख माना जा रहा है. यह केवल तकनीकी उद्योगों तक सीमित नहीं है, बल्कि वित्तीय सेवाएं, स्वास्थ्य सेवा, दवा उद्योग और बैंकिंग जैसे क्षेत्रों में भी इसकी बढ़ती मांग देखी जा रही है.
कॉर्नरस्टोन के उपाध्यक्ष माइक बोलिंजर ने एक बयान में कहा, "बदलते कौशल और कार्यस्थल की प्रवृत्तियों पर बारीकी से नजर रखना मुकाबले में बने रहने और भविष्य की योजना बनाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है."
मानव कौशल की अधिक मांग
रिपोर्ट यह भी दिखाती है कि डिजिटल स्किल्स की बढ़ती मांग के बावजूद, मानव कौशल (ह्यूमन स्किल्स) की मांग हमेशा से अधिक बनी हुई है. आंकड़ों के लिहाज से कम्यूनिकेशन, टीम बिल्डिंग, लीडरशिप, विश्लेषण और ट्रेनिंग व कोचिंग जैसे इन सॉफ्ट स्किल्स की वैश्विक मांग डिजिटल कौशल की तुलना में दोगुनी है. उत्तर अमेरिका में, मानव कौशल की मांग डिजिटल कौशल की तुलना में 2.4 गुना ज्यादा है, जबकि ईएमईए (यूरोप, मध्य पूर्व और अफ्रीका) में यह अंतर और भी ज्यादा है, जहां मानव कौशल की मांग 2.9 गुना अधिक है. कई विशेषज्ञ इस बात का अंदेशा जता चुके हैं कि एआई बड़े पैमाने पर पारंपरिक नौकरियां खत्म कर देगा.
रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक मांग वाले मानव कौशलों में कम्यूनिकेशन, पारस्परिक सहयोग और समस्या समाधान शामिल हैं, जो यह साबित करते हैं कि तकनीकी प्रगति के बावजूद इंसानों के बीच संवाद, संपर्क और नेतृत्व क्षमता आज भी बेहद अहम बनी हुई है.
स्काईहाइव में विश्लेषण विभाग के प्रमुख ब्लेडी टास्का ने कहा, "हालांकि हम आने वाले समय को लेकर सटीक भविष्यवाणी नहीं कर सकते, लेकिन इतिहास हमें यह समझने में मदद करता है कि तकनीकी प्रगति कैसे उद्योगों और कौशल की मांग को नया आकार देती है."
रिपोर्ट कहती है कि ऑगमेंटेड रियलिटी (एआर) और वर्चुअल रियलिटी (वीआर) तकनीकों की मांग तेजी से बढ़ रही है. पिछले पांच वर्षों में एआर/वीआर से संबंधित नौकरियों के विज्ञापनों में 154 फीसदी की वृद्धि हुई है.
ये तकनीकें अब मनोरंजन से आगे निकल कर ट्रेनिंग सिमुलेशन, रिमोट असिस्टेंस और कस्टमर एक्सपीरियंस जैसे विभिन्न क्षेत्रों में भी अपनाई जा रही हैं. यह बढ़ती मांग दिखाती है कि कैसे कंपनियां अपने संचालन को डिजिटल बनाने और ग्राहकों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए इन तकनीकों का उपयोग कर रही हैं.
भारत है अगुआ
भौगोलिक दृष्टि से, भारत एआई और मशीन लर्निंग स्किल्स के लिए वैश्विक मांग में सबसे आगे है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में नौकरियों के 4.1 फीसदी विज्ञापन एआई और एमएल पर केंद्रित हैं, जो उसकी वैश्विक एआई विकास में बढ़ती भूमिका का प्रतीक है. इसके बाद जर्मनी (2.5 प्रतिशत) और फिर जापान (2.2 प्रतिशत) का नंबर है.
भारत की यह बढ़त उसके तेजी से बढ़ते तकनीकी उद्योग और एआई विकास में भारी निवेश के कारण है. यह दिखाता है कि भारत सॉफ्टवेयर डिवेलपमेंट, फाइनैंस, और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में तकनीकी विकास को निरंतर बढ़ावा दे रहा है.
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि रिमोट और फ्लेक्सिबल काम यानी ऑफिस ना जाकर अपने ही घर या अन्य किसी जगह से काम की मांग में भी तेजी से वृद्धि हो रही है. रिमोट जॉब के लिए विज्ञापनों में 39 फीसदी की वृद्धि देखी गई है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया (22.8 फीसदी), जर्मनी (21 फीसदी) और न्यूजीलैंड (20.3 फीसदी) जैसे देश सबसे आगे हैं.
हालांकि, फ्रांस (4.9 फीसदी) और इटली (1.4 फीसदी) विकसित अर्थव्यवस्थाएं होने के बावजूद सबसे नीचे रहे, जो यह दिखाता है कि कुछ देश इस बदलते अंदाज को अपनाने में पीछे हैं.