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रिपोर्ट: दुनिया भर में लोकतंत्र संकट में

२ नवम्बर २०२३

स्टॉकहोम स्थित एक थिंक टैंक के मुताबिक दुनिया के लगभग आधे देशों में लोकतंत्र में कमजोरियां हैं.

अमेरिका
अमेरिकातस्वीर: Fabrizio Bensch/REUTERS

एक अंतरराष्ट्रीय थिंक टैंक के मुताबिक दैनिक खर्च, जलवायु परिवर्तन और यूक्रेन पर रूस के हमले के बारे में चिंताएं लोकतंत्रों के लिए एक बड़ी चुनौती हैं.

थिंक टैंक इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डेमोक्रेसी एंड इलेक्टोरल असिस्टेंस (आईडीईए) ने गुरुवार को जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि सर्वेक्षण में शामिल 173 देशों में से 85 को "पिछले पांच वर्षों में लोकतांत्रिक प्रदर्शन के कम से कम एक प्रमुख संकेतक में गिरावट का सामना करना पड़ा है."

थिंक टैंक ने कहा कि चुनावों में धांधली से लेकर अभिव्यक्ति की आजादी और एकत्र होने के अधिकार में कटौती जैसे कारणों से लोकतंत्र को झटका लगा है. प्रतिनिधित्व और कानून के शासन जैसे अन्य तत्वों को झटका भी लोकतंत्र के प्रदर्शन में गिरावट के अन्य कारण थे.

रिपोर्ट में "अमेरिका में सामाजिक समूहों के लिए समानता में गिरावट, ऑस्ट्रिया में प्रेस की स्वतंत्रता और ब्रिटेन में न्याय तक पहुंच में गिरावट" के बारे में भी चिंता जाहिर की गई है.

आईडीईए के महासचिव केविन कैसास जमोरा ने कहा, "संक्षेप में, लोकतंत्र अभी भी संकट में है, सबसे बेहतर स्थिति में है और कई स्थानों पर गिरावट आ रही है."

यूरोपीय लोकतंत्र भी गिरावट में

रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि यूरोप लोकतंत्र के मामले में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला क्षेत्र है, लेकिन ऑस्ट्रिया, हंगरी, लग्जमबर्ग, नीदरलैंड्स, पोलैंड, पुर्तगाल और यूनाइटेड किंग्डम में लोकतंत्र में गिरावट आ रही है.

इसके अलावा अजरबैजान, बेलारूस, रूस और तुर्की जैसे देशों ने यूरोपीय औसत से नीचे प्रदर्शन किया.

आईडीईए के प्रोग्राम अफसर माइकल रूनी ने कहा, "यह लगातार छठा साल है जब हमने कई देशों में लोकतंत्र में सुधार के बजाय गिरावट देखी है."

उन्होंने आगे कहा, "हम यूरोप, उत्तरी अमेरिका और एशिया में ऐतिहासिक रूप से उच्च प्रदर्शन करने वाले लोकतंत्रों में गिरावट भी देख रहे हैं."

गिरावट का कारण क्या है?

थिंक टैंक का कहना है कि लोकतांत्रिक प्रदर्शन में गिरावट को आजीविका संकट, जलवायु परिवर्तन और यूक्रेन पर रूस के हमले  की पृष्ठभूमि में भी देखा जाना चाहिए, जिसने चुने हुए नेताओं के लिए बड़ी चुनौतियां पैदा की हैं. रिपोर्ट में खास तौर पर कोविड-19 के प्रकोप का जिक्र किया गया है.

कैसास जमोरा ने कहा कि संस्थानों में गिरावट के बावजूद वह लोकतंत्र को बनाए रखने के अन्य वैकल्पिक रूपों के बारे में आशावादी बने हुए हैं.

उन्होंने कहा, "लेकिन जबकि विधायिका जैसी हमारी कई पारंपरिक संस्थाएं कमजोर हो रही हैं, हमें उम्मीद है कि लोकतंत्र की निगरानी करने वाले पत्रकारों से लेकर चुनाव आयुक्तों और भ्रष्टाचार विरोधी आयुक्तों तक ये अधिक अनौपचारिक जांच और संतुलन, सत्तावादी और लोकलुभावन रुझानों से सफलतापूर्वक लड़ सकते हैं."

एए/वीके (रॉयटर्स, एएफपी)

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