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दूसरे देशों से बच्चे गोद नहीं ले पाएंगे डेनमार्क के लोग

१७ जनवरी २०२४

डेनमार्क के लोग अब भारत समेत दूसरे देशों से बच्चे गोद नहीं ले पाएंगे. बच्चे गोद लेने के लिए काम करने वाली देश की एकमात्र एजेंसी ने कहा है कि अनियमितताओं के चलते उसने कामकाज बंद कर दिया है.

डेनमार्क में विदेशों से बच्चे गोद लेना बंद
नॉर्वे के बाद डेनमार्क में भी विदेशों से बच्चे गोद लेना बंद हो गया हैतस्वीर: Jonathan NACKSTRAND/AFP/Getty Images

डेनमार्क इंटरनेशनल अडॉप्शन एजेंसी (DIA) अपना कामकाज बंद कर रही है. लोगों को दूसरे देशों से बच्चे गोद लेने में मदद करने वाली इस एजेंसी ने अनियमितताओं के आरोपों के बाद काम बंद करने का फैसला किया है. सिलसिलेवार तरीके से एजेंसी की गतिविधियां बंद कर दी जाएंगी.

एक बयान में डीआईए ने कहा कि वह "सिलसिलेवार तरीके से अपनी गतिविधियां समेटना शुरू कर रही है." इससे पहले डेनमार्क के सामाजिक मामलों के मंत्रालय ने उन छह देशों से बच्चे गोद लेने पर रोक का ऐलान किया, जिनके साथ डीआईए काम कर रही थी. यह छह देश थेः चेक रिपब्लिक, भारत, फिलीपींस, दक्षिण अफ्रीका, ताइवान और थाईलैंड.

मेडागास्कर में डीआईए का कामकाज पिछले साल ही बंद हो गया था क्योंकि वहां फ्रॉड के आरोप लगे थे. अब एजेंसी ने कहा है कि उसके पास काम बंद करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है. अपने बयान में उसने कहा, "डेनमार्क में  जो मौजूदा हालात हैं, उनमें विदेशों से बच्चे गोद लेने का काम डीआईए जैसी गैरसरकारी संस्था नहीं कर सकती.”

नॉर्वे में भी रोक

डेनमार्क की संस्था के मुताबिक फिलहाल उसके पास 36 मामले हैं. लेकिन अब इन मामलों का क्या होगा, यह जानकारी नहीं दी गई है. 2010 के बाद डेनमार्क में विदेशों से बच्चों के गोद लेने के मामले में 10 गुना से ज्यादा की कमी आई है. 2010 में वहां 418 बच्चे गोद लिए गए थे.

दिसंबर में नॉर्वे ने भी फिलीपींस, ताइवान और थाईलैंड से बच्चे गोद लेने पर रोक लगा दी थी, जब मीडिया में अवैध रूप से बच्चे गोद लिए जाने की खबरें आई थीं.

इन खबरों पर कार्रवाई करते हुए नॉर्वे के डायरोक्टोरेट फॉर चिल्ड्रन, यूथ ऐंड फैमिली अफेयर्स ने दिसंबर में इन देशों से बच्चे गोद लेने पर रोक का ऐलान किया था. इस साल की शुरुआत से दक्षिण कोरिया से बच्चे गोद लेने पर भी रोक लगा दी गई है.

डायरेक्टोरेट ने दो साल के लिए विदेशों से बच्चे गोद लेने पर पूरी तरह से रोक लगाने की सिफारिश की है जब तक कि आरोपों की जांच पूरी नहीं हो जाती. हालांकि सरकार ने उसकी सिफारिश नहीं मानी है और जांच को जल्द से जल्द खत्म करने को कहा है.

कहां-कहां है बच्चे गोद लेने की सुविधा

हाल ही में वर्ल्ड पॉप्युलेशन रिव्यू नामक संस्था ने 20 उन देशों की सूची जारी की थी जहां से बच्चे गोद लेना सबसे आसान है. इसमें पहले नंबर पर प्रार्थी के अपने देश का नाम रखा गया था. डब्ल्यूपीआर के मुताबिक अपने देश में बच्चा गोद लेना सबसे आसान होता है.

उसने अमेरिका की मिसाल देते हुए कहा, "देश के फॉस्टर केयर सिस्टम में बेशक बहुत सी खामियां हैं और बच्चा गोद लेने में बहुत वक्त लग सकता है. यहां तक कि कई साल का इंतजार करना पड़ सकता है. लेकिन तब भी खर्च बहुत कम होगा और आपको बच्चे के परिवार व स्वास्थ्य के बारे में कहीं ज्यादा जानकारी मिल पाएगी. साथ ही, बच्चे की तस्करी की संभावना लगभग ना के बराबर होगी.”

जिन देशों से बच्चा गोद लेना सबसे आसान बताया गया है, उनमें कजाखस्तान, भारत, हैती, चीन, थाईलैंड, कोलंबिया, मलावी, ताइवान, साउथ कोरिया, बहामास, यूक्रेन, फिलीपींस, बुल्गारिया, हांग कांग, युगांडा, होंडुरास, घाना, ब्रूंडी और इथियोपिया का नाम है.

जापान में लोग यहां अपने बच्चों को छोड़ कर चले जाते हैं

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भारत के बारे में संस्था ने कहा, "वहां जाने की जरूरत नहीं है और बहुत से ऐसे अनाथ बच्चे हैं जिन्हें परिवारों की जरूरत है. इनमें शिशुओं से लेकर बड़ी उम्र के बच्चे और विशेष जरूरत वाले बच्चे शामिल हैं.”

हाल के सालों में भारत में बच्चे कम गोद लिए जा रहे हैं. 2022 के आंकड़ों के मुताबिक भारत में करीब तीन करोड़ बेसहारा बच्चे थे जिनमें से सालाना तीन से चार हजार बच्चे ही गोद लिए जाते हैं. भारत में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया बेहद जटिल है. जुलाई 2022 तक 16,000 से ज्यादा भारतीय परिवार बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया पूरी होने का इंतजार कर रहे थे.

विवेक कुमार (एएफपी)

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