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समाज

घर लौटने को बेताब हैं विदेशी पर्यटक

३ अप्रैल २०२०

भारत आए पर्यटक तालाबंदी की वजह से अपने देश नहीं लौट पा रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर रोक के बाद वे किसी तरह से गुजारा कर रहे हैं . पर्यटकों को दूतावासों से उम्मीद है कि वे घर लौटने में उनकी मदद करेंगे.

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तस्वीर: Getty Images/AFP/J. Samad

ब्रिटिश पर्यटक एमा स्नैशफोर्ड बताती हैं कि उन्हें और उनकी दोस्त को होटल से निकाल दिया गया और जब उन्होंने लंदन में मौजूद अधिकारियों से मदद की गुहार लगाई तो उनसे इंतजार करने को कहा गया. एमा अपनी दोस्त के साथ राजस्थान के जोधपुर घूमने गईं थी, लेकिन भारत में 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा से ठीक पहले उन्हें होटल से निकाल दिया गया. दोनों ने किसी तरह से दिल्ली में एक हॉस्टल में रहने की जगह पाई. इस हॉस्टल में 25 के करीब विदेशी पर्यटकों को रहने की जगह दी गई है. कनाडा के नागरिक लैम्बर्ट डेस्रोसियर्स गौडेट कहते हैं, "हम काफी समय से हताश हैं.” उनकी कोशिश फ्रांस की रेस्कयू फ्लाइट में जगह पाने की है. स्नैशफोर्ड कहती हैं, " हमने ब्रिटिश दूतावास को फोन किया और हम यहां किसी तरह से अपना समय गुजार रहे हैं. कोई नहीं जानता कि वास्तव में क्या हो रहा है. हमें सिर्फ कहा जा रहा है इंतजार करिए.”

ऑस्ट्रेलियाई नागरिक मैथ्यू चिनेरी ने भारत में लम्बा समय बिताने का प्लान बनाया था और उसमें कश्मीर जाना भी शामिल था. लेकिन लॉकडाउन शुरू होते ही उनकी छुट्टियां बुरे सपने में तब्दील हो गईं. विदेशी सैलानियों में अपने तटों के लिए मशहूर गोवा के हॉस्टल से चिनेरी को इसलिए निकाल दिया गया क्योंकि उनकी सिगरेट वाली खांसी कोविड-19 से मिलती-जुलती थी. अन्य होटलों और हॉस्टलों ने उन्हें कोविड-19 जांच रिपोर्ट नेगेटिव दिखाने पर ही जगह देने की बात कही. इसके बाद उन्होंने कोरोना वायरस का सरकारी अस्पताल में टेस्ट कराया और रिपोर्ट आने तक उन्होंने चार दिनों तक खुद को अलग-थलग रखा.

मेडिकल सर्टिफिकेट साथ होने के बावजूद होटल का कमरा ले पाना उनके लिए आसान नहीं था. उन्होंने अपने दोस्त की मदद से किसी तरह से एक होटल में कमरा लिया. लेकिन होटल स्टाफ अब भी घबराया हुआ है. पैकेज्ड खाना रखने के बाद स्टाफ कमरे का दरवाजा तक नहीं खटखटाता है. उन्होंने समाचार एजेंसी एपी को बताया, "वे मुझे इस बारे में बताते ही नहीं कि मेरा खाना बाहर पड़ा हुआ है. पड़े-पड़े खाना ठंडा हो जाता है.” चिनेरी के पैसे खत्म हो रहे हैं, इंटरनेट और सप्लाई के साथ-साथ सब्र भी समाप्त हो रहा है. वे कहते हैं, "हमें यहां से बाहर निकालो, हम ऑस्ट्रेलियाई नागरिक हैं. हम फंसे हुए हैं. हम अपनी मर्जी से यहां नहीं रुके हैं. हम घर जाना चाहते हैं."

एक और ऑस्ट्रेलियाई नागरिक स्टीवर्ट डफ्टी जो कि पेशे से डीजे हैं, मार्च की शुरुआत में भारत आए थे. अब वे अपने परिवार को लेकर चिंतित है. वे कहते हैं, "मुझे चिंता हो रही है कि इन सब की वजह से सभी लोग प्रभावित हैं. मेरी मां की उम्र 70 के करीब है. मुझे पता है कि जब मैं वहां वापस जाऊंगा तो मुझे दो सप्ताह क्वारंटीन में बिताने होंगे. मैं यह करने के लिए भी तैयार हूं. मैं किसी और के लिए खतरा नहीं हो सकता हूं.” बैंक नहीं जाने के कारण उनके पैसे भी खत्म हो रहे हैं.

ऑस्ट्रेलियाई उच्चायोग का कहना कि वह ऑस्ट्रेलियाई पर्यटकों के लौटने के लिए उड़ान के विकल्प तलाश रहा है. एक बयान में उच्चायोग ने कहा, "इसकी कोई गारंटी नहीं है और इसे हासिल करना मुश्किल होगा.” भारत ने सभी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर 14 अप्रैल तक रोक लगा दी है. तीन हफ्तों के लॉकडाउन के बाद ही अंतरराष्ट्रीय उड़ानें चालू होंगी.

एए/सीके (सीके)

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