जापान में 'पेपर' नाम का हंसने वाला रोबोट बनाने वाली कंपनी ने, इस रोबोट को और उपयोगी बनाने के लिए आम लोगों से नए आइडिया मांगे हैं.
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जापान में इन दिनों 'पेपर' नाम के रोबोट तेजी से बिक रहे हैं. नेस्ले, मिजुहो बैंक और निशान जैसी 500 से अधिक कंपनियां वेटर, सेल्स मैन और कस्टमर सर्विस प्रतिनिधि के बतौर इनका इस्तेमाल कर रही हैं. इस रोबोर्ट की सबसे खास बात है कि ये हंस सकता है.
रेस्तरां जहां रोबोट काम करते हैं
चीन के पूर्वोत्तर प्रांत हाइलोंग्यांग में हार्बिन शहर के रेस्तरां में काम कर रहे रोबोटों को हर आने जाने वाला गौर से देखता है. इस रेस्तरां के प्रमुख इंजीनियर लुई हेशेंग ने इस रेस्तरां में काम करने वाले 18 रोबोट बनाए हैं.
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आपका ऑर्डर
तकनीक के मामले में चीन का नाम अग्रणी देशों में है. यहां रोबोटों का चलन आम हो रहा है. मेहमान से ऑर्डर लेना या उनकी मेज तक खाना पहुंचाना, रोबोट ये सारे काम कर रहे हैं.
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खाना तैयार है!
खाना तैयार होने पर ये सही मेज पर सही ऑर्डर ले जाते हैं. खास बात यह है कि इन्हें ना तो इनका काम याद दिलाना पड़ता है ना ही ये थकने की शिकायत करते हैं. मगर हां, अगर ग्राहक इनकी शिकायत करे तो मालिक के लिए परेशानी की बात है कि इनसे कैसे निपटा जाए.
खाना मेज तक पहुंचाने के अलावा रसोई में भी इनकी अहम भूमिका है. हालांकि यहां इनकी भूमिका निर्धारित है. यहां ये पहले से तैयार खाने को गर्म करते हैं. खाना बनाने का काम इंसानों के हाथ में रहता है.
रेस्तरां के सारे रोबोट इंसानों जैसे नहीं दिखते. जैसे कि, तस्वीर में दिख रहे इस रोबोट के सिर, पैर और हाथ नहीं हैं. लेकिन चूंकि इसे किचेन में काम करना है, तो इसके लुक पर ज्यादा जोर नहीं है.
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मनोरंजन भी
कई बार इनसे ग्राहकों का मनोरंजन भी होता है. जैसे कि इनकी टिप्पणी अक्सर मजेदार होती है. "सारा खेल बिगड़ गया. खाना किसी लायक नहीं."
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इन्हें बनाने वाली सॉफ्टबैंक कॉर्प नाम की कंपनी एंड्रॉएड स्टूडियो के लिए 'पेपर एसडीके' नाम का एक ऐसा किट लेकर आई है जिससे प्रोग्रामर इनमें नई चीजें विकसित कर सकेंगे. कंपनी ने सीधे लोगों से कहा है कि वे ऐसे आइडिया लेकर आएं कि वे इस रोबोट से क्या करवाना चाहते हैं. कंपनी 'पेपर एसडीके' किट से रोबोट को उस तरह तैयार करेगी.
जापान में 'पेपर' की भारी मांग है. इसकी कीमत 1,98,000 येन है यानि करीब 1 लाख 25 हजार रुपये. 6,000 रोबोट एक मिनट से भी कम समय में बिक गए. कंपनी ने लोगों को अपने आइडिया देने का यह ऑफर जुलाई में होने वाली इसकी अगली प्री सेल से ठीक पहले दिया है.
आरजे/ओएसजे (रायटर्स)
लिफ्ट मांगने वाला रोबोट - हिचबोट
लोगों को लिफ्ट मांगते हुए तो आपने देखा होगा, लेकिन क्या कभी सड़क किनारे बैठे किसी रोबोट ने आपसे लिफ्ट मांगी है?
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हिचबोट शब्द अंग्रेजी के दो शब्दों से मिलकर बना है, हिचहाइकिंग और रोबोट. हिचहाइकिंग यानि लिफ्ट मांग मांग कर रास्ता तय करना और हिचबोट नाम का रोबोट यही कर रहा है.
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कनाडा में बनाया गया यह रोबोट कई भाषाएं बोल सकता है. लोगों से लिफ्ट मांगकर यह जर्मनी में कई जगह घूम चुका है.
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नेवीगेशन की मदद से हिचबोट आस पास मौजूद ड्राइवरों को संकेत भेजता है. हर 15 मिनट के बाद हिचबोट अपनी पोजिशन बताता है.
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कनाडा स्थित हिचबोट निर्माता डेविड हैरिस स्मिथ बताते हैं, "हम जानना चाहते थे कि क्या लोग रोबोट की मदद करेंगे, क्या वे इसे नजरअंदाज कर देते हैं या फिर आगे की यात्रा में इसकी मदद करते हैं."
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सड़क पर जब यह लोगों को यह दिखता है तो वे इसे उठा कर अपने साथ गाड़ी में ले चलते हैं. इसे उठाना मुश्किल नहीं, लेकिन थोड़ा बेढंगा जरूर है.
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पहली नजर में यह रोबोट के बजाए एक गुड़िया या खिलौने सा लगता है. यह रोबोट गाड़ी के लाइटर से चार्ज होता है. रास्ते में आप इससे बातें भी कर सकते हैं.
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हिचबोट अब तक दस हजार किलोमीटर की यात्रा कर चुका है. अपने भाव यह लाइटों के जरिए जाहिर करता है और इसका सामान्य ज्ञान गजब का है.
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हमने जब हिचबोट से पूछा कि तुम्हें जर्मनी पसंद है, तो जवाब मिला, "1949 में तीन वेस्ट जोनों से मिलकर जर्मन संघीय गणतंत्र बना, सोवियत जोन से जर्मन जनवादी गणतंत्र बना. 19वीं शताब्दी के मध्य की औद्योगिक क्रांति ने जर्मनी को मजबूत किया है."
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डेविड हैरिस बताते हैं कि कुछ मामलों में इसके बोलने वाला डाटाबेस बहुत गहरा है, "लेकिन कभी आप कुछ दिनों तक इसे चुप भी देख सकते हैं. एक दिन तो यह गाना गा रहा था, आई एम लाइक ए बर्ड."
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आठ किलो का हिचबोट देखने में जितना प्यारा लगता है, उसके पीछे उतना ही जटिल विज्ञान भरा हुआ है.