वैज्ञानिकों ने एक तकनीक विकसित की है जिससे हजारों मील दूर बैठे लोगों को छूने का अहसास मिल सकता है. इस तकनीक का इस्तेमाल मेडिकल से लेकर कचरा निवारण तक तमाम क्षेत्रों में हो सकता है.
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वैज्ञानिकों के अनुसार, एक सॉफ्ट फिंगरटिप डिवाइस जो इंसानी स्पर्श के अहसास की नकल कर सकता है, भविष्य में हजारों मील दूर रहने वाले लोगों को एक-दूसरे का हाथ पकड़ने का अहसास करा सकता है. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) के शोधकर्ताओं ने एक नई तकनीक विकसित की है, जो "वास्तविक जीवन के स्पर्श जितना असली" अहसास कराने का दावा करती है.
इस नए उपकरण का नाम बायोइंस्पायर्ड अडैप्टेबल मल्टीप्लानर हैप्टिक सिस्टम (बीएएमएच) है, जो स्पर्श के प्रति प्रतिक्रिया देने वाली तंत्रिका कोशिकाओं को कंपन के जरिए उत्तेजित करता है. वैज्ञानिक फिलहाल इसका उपयोग यह समझने के लिए कर रहे हैं कि जिन मरीजों की उंगलियों में संवेदनशीलता कम हो जाती है, वे समय के साथ स्पर्श का अहसास कैसे खो देते हैं.
नकली हाथ से गर्म-ठंडा भी महसूस होगा
नकली अंगों में अब तक एक कमी थी कि उनसे कुछ महसूस नहीं होता था. नई तकनीक ने यह कमी दूर कर दी है.
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ठंडा-गर्म महसूस करने वाले नकली अंग
ईकोल पोलिटेक्निक फेडराल डे लूसान (EPFL) नाम की कंपनी ने बायोनिक अंगों में तापमान की अनुभूति के लिए एक नई तकनीक विकसित की है.
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28 लोगों पर परीक्षण
इस तकनीक का 28 लोगों पर परीक्षण किया गया. उनमें से एक फाबरित्सियो फिदाती ने कहा, “पहली बार जब मैंने प्रयोग में हिस्सा लिया तो ऐसा लगा कि मैंने अहसास को फिर से पा लिया है.“
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कैसे काम करती है तकनीक
जेनेवा में शोधकर्ताओं ने नकली अंगों में थर्मल इलेक्ट्रोड लगाए हैं जिनके साथ त्वचा पर सेंसर लगाए जाते हैं. ये इलेक्ट्रोड तापमान की सूचना सेंसर को भेज देते हैं.
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सीधे त्वचा पर
दो साल के परीक्षण के बाद तैयार हुई इस तकनीक के इस्तेमाल के लिए शरीर के अंदर कोई सेंसर डालने की जरूरत नहीं पड़ती बल्कि उन्हें सीधे त्वचा पर लगाया जाता है.
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हर तरह का तापमान
नई तकनीक मरीजों को चीजों के तापमान का अहसास करा सकती है. बहते पानी की ठंडक से लेकर जलते तवे की आंच तक सब तरह का तापमान इससे महसूस किया जा सकता है.
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क्रांतिकारी बदलाव
नकली अंग जिन्हें फैंटम लिंब कहते हैं, अब तक तापमान के इस अहसास से रिक्त थे. यानी लोग अन्य काम तो कर पाते थे लेकिन उन्हें गर्मी-सर्दी महसूस नहीं होती थी.
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शोधकर्ताओं का मानना है कि यह उपकरण स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में उपयोगी हो सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें मेटाकार्पल टनल सिंड्रोम होता है. यह सिंड्रोम तब होता है जब कलाई की नस दब जाती है. यह डायबिटीज के मरीजों के लिए भी उपयोगी हो सकता है, जहां स्पर्श की संवेदना खोने का खतरा होता है.
कैसे काम करती है तकनीक
यूसीएल के मकैनिकल इंजीनियरिंग विभाग की रोबोटिक्स विशेषज्ञ डॉ. सारा अबाद ने कहा, "हमारी त्वचा शरीर के सबसे बड़े अंगों में से एक है और यह हमें कई प्रकार की जानकारी देती है, जैसे कि किसी चीज की बनावट और उसके किनारे. यह हमें उस स्पर्श से होने वाली उत्तेजना के प्रकार के बारे में भी बताती है, जैसे कंपन."
अबाद बताती हैं कि यह डिवाइस हमारे आभासी सामाजिक संपर्कों में स्पर्श को शामिल करने का एक तरीका हो सकता है. डॉ. अबाद ने कहा, "महामारी और वैश्वीकरण के कारण, यह संभव है कि आपके परिवार के सदस्य आपके साथ एक ही शहर में न रहते हों. वीडियो कॉल्स के दौरान यह एक बाधा बन जाता है. सामाजिक जुड़ाव महत्वपूर्ण है और उसके लिए स्पर्श की जरूरत होती है, लेकिन वीडियो कॉल्स यह सुविधा नहीं दे पातीं."
एक दूसरे को छूने का जादू
तेजी से डिजिटल होती दुनिया में हम संदेशों और वीडियो के जरिए ज्यादा बात करने लगे हैं लेकिन यह याद रखना जरूरी है कि मानवीय स्पर्श के बड़े सारे मानसिक और शारीरिक फायदे होते हैं.
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हाथ से हाथ मिला
हम एक दूसरे से कैसे आपस में जुड़ते और परिस्थितियों को कैसे देखते हैं इसकी शुरुआत अकसर त्वचा के संपर्क से होती है. रिसर्चरों ने पता लगाया है कि लोग छूने भर से प्यार, गुस्सा, आभार और चिढ़ के बारे में जान सकते हैं. नियमित रूप से सकारात्मक छुअन आक्रामकता को घटाती है और सामाजिक व्यवहार बढ़ाती है. यह भावनात्क रिश्तों की डोर बांधे रखती है.
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टीम में मजबूती
छुअन या स्पर्श का संचार हमें भरोसा और सहयोग विकसित करने में मदद देता है. एक रिसर्च में तो यह भी पता चला कि पेशेवर बास्केटबॉल की जिस टीम के खिलाड़ी सीजन की शुरुआत से ही एक दूसरे से ज्यादा ताली देते, हाथ मिलाते या फिर बाहों में भरते हैं वह टीम अच्छा प्रदर्शन करती है.
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आलिंगन
बाहों में भरना या गले लगाना सहयोग का एक संकेत है जो तनाव घटाता है. यह किसी संकट के बाद चल रही अंदर की बेचैनी को भी शांत करता है. एक रिसर्च ने दिखाया है कि संकट के दौर में जो लोग गले मिलते रहते हैं उसके बाद उनका मूड अच्छा रहता है. तनाव से मुक्त करने की यह प्रक्रिया आपको ठंड जैसी बीमारियों से बचाने में भी कारगर है.
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बाहों में भरने की गर्मजोशी
प्रेमी जोड़ों के बीच गर्मजोशी से भरा स्पर्श हो - चाहे वह हाथ पकड़ना हो एक दूसरे से लिपटना - उनके हृदय से जुड़ी सेहत को बेहतर कर सकता है और तनाव को लेकर उनकी प्रतिक्रिया को कम कर सकता है. इसकी वजह यह है कि सहयोग का शारीरिक संकेत आपके दिल की धड़कनों को कम करता है साथ ही तनाव वाले हारमोन कॉर्टिसोल और रक्तचाप को भी घटाता है. जोड़े केवल स्पर्श से ही अपने दिल और दिमाग की तरंगें मिला सकते हैं.
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मालिशः केवल आराम नहीं और बहुत कुछ
ड्यूक यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने पता लगाया है कि पूरे शरीर की मालिश ना केवल दर्द से आराम देती है बल्कि गठिया जैसी बीमारियों के मरीजों की गतिशीलता भी बढ़ाती है. इसके और भी कई फायदे हैं और बड़ी बात ये है कि इसका फायदा सिर्फ मालिश कराने वाले को नहीं बल्कि करने वाले को भी मिलता है. निजी तौर पर मालिश करने वाला बेहतर महसूस करता है.
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त्वचा से त्वचा
समय से पहले पैदा हुए बच्चों की अगर ऐसी मालिश मिले जिसमें उनका तंत्रिका तंत्र भी शामिल हो तो इससे उनका वजन बढ़ता है. ऐसा करने से उनका पाचन बेहतर होता है और ऐसे हार्मोनों का स्राव होता है जो भोजन को अवशोषित करने के लिए जरूरी है. त्वचा से त्वचा का स्पर्श ऑक्सिटोसिन के स्राव में मदद करता है जिसका संबंध मां और बच्चे के जुड़ाव से है. यह तनाव बढ़ाने वाले कार्टिसोल को घटाता है और दर्द को भी.
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खुद से मालिश
स्पर्श के फायदे जानने के लिए किसी और शख्स की जरुरत भी नहीं है. अपनी मालिश खुद करके भी आप नियमित मालिश के असर को हासिल कर सकते हैं. मालिश में जब दबाव का इस्तेमाल ज्यादा होता है तो इसके फायदे भी ज्यादा होते हैं. योग और दूसरे तरह की शारीरिक अभ्यास के जरिए जब आप अपने शरीर को जमीन या किसी वजन के संपर्क में ला कर दबाव बनाते हैं तो तनाव दूर करने में इसका भी वही फायदा होता है.
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सहयोग का प्रदर्शन
पार्टनर जब किसी शारीरिक कष्ट में हो तब उसका हाथ पकड़ना दोनों के लिए फायदेमंद हो सकता है. जब पार्टनर आपको छूता है तब वास्तव में दर्द कम हो जाता है. यह संपर्क उन लोगों को भी मदद कर सकता है जिनका आत्मविश्वास कमजोर हो या फिर खुद के बारे में उनकी आशंकाओं को भी इसकी मदद से खत्म किया जा सकता है.
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बढ़ती अनुभूतियां
आज ऐसे नकली अंग बनाने की कोशिश हो रही है जिनमें संवेदनाएं भी होंगी और जिनसे विकलांगों को स्पर्श के वही फायदे मिल सकेंगे जो असली अंगों को छूने से मिलते हैं. ऐसे नकली अंगों का इस्तेमाल करने वालों की मनोवैज्ञानिक स्थिति बेहतर होने का पता चला है. दूसरे रिसर्चर ऐसे अंग बनाने पर काम कर रहे हैं जब नकली अंग भी सख्त सतह, नर्म तंतुओं और गर्मी जैसी अनुभूति को भी जान सकेगा.
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बीएएमएच पर सिलिकॉन फिंगरटिप लगा है, जो एक छोटे सूटकेस के आकार की मशीन से जुड़ा होता है. यह चार प्रमुख तंत्रिका कोशिकाओं या त्वचा में टच रिसेप्टिव को उत्तेजित करता है, जिससे मरीज को "वास्तविक स्पर्श का अनुभव" होता है.
शोधकर्ता अगले कुछ महीनों में कम से कम 10 ऐसे लोगों को भर्ती करने की योजना बना रहे हैं, जिन्हें संवेदनशीलता की कमी महसूस हो रही है, ताकि यह बेहतर तरीके से समझा जा सके कि समय के साथ स्पर्श की भावना कैसे कम हो जाती है.
यूसीएल के रोबोटिक्स विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर हेल्गे वुर्डेमान ने कहा, "हम यह समझना चाहते हैं कि क्या हम समय के साथ संवेदनशीलता में गिरावट का पता लगा सकते हैं. और फिर हम उस डाटा को चिकित्सकों को वापस देना चाहते हैं ताकि वे अपनी चिकित्सा पद्धति में बदलाव कर सकें और स्पर्श की अनुभूति के नुकसान को धीमा कर सकें."
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कई तरह के उपयोग संभव
इन वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तकनीक का उपयोग रोबोट की सहायता से होने वाली सर्जरी में भी किया जा सकता है, जिससे डॉक्टर यह मूल्यांकन कर सकें कि वे जिस प्रकार के ऊतक से काम कर रहे हैं, वह कैंसरयुक्त है या नहीं.
स्वास्थ्य देखभाल के अलावा, इस उपकरण के अधिक उन्नत संस्करण भी विकसित किए जा सकते हैं, जैसे कि दस्ताने जो आपके हाथों में "पूरी संवेदना" पैदा कर सकते हैं. इस तरह के दस्ताने परमाणु कचरे को निष्क्रिय करने में भी मदद कर सकते हैं, जहां बड़े रोबोट अक्सर खतरनाक क्षेत्रों में काम करते हैं.
साइंस और तकनीकी इनोवेशन के मामले में सबसे बड़े देश
संयुक्त राष्ट्र के विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) ने उन देशों की सूची जारी की है, जो साइंस और टेक्नोलॉजी के मामले में हो रही इनोवेशन के मामले में सबसे ऊपर हैं.
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सबसे ऊपर चीन
चीन में सबसे ज्यादा, 26 ऐसे केंद्र हैं, जहां साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में तेज विकास हो रहा है. इनमें बीजिंग और शंघाई जैसे प्रमुख केंद्र इनोवेशन को बढ़ावा दे रहे हैं. टॉप 10 में चीन के चार केंद्र हैं.
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अमेरिका
चीन के बाद दूसरे नंबर पर अमेरिका है, जिसमें 20 इनोवेशन हब हैं जिनमें सिलिकॉन वैली और बोस्टन-कैंब्रिज जैसे प्रतिष्ठित केंद्र शामिल हैं. उसके तीन केंद्र टॉप 10 में शामिल हैं.
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जर्मनी
आठ इनोवेशन क्लस्टर्स के साथ, जर्मनी यूरोप में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए एक अग्रणी देश है, जिसमें म्यूनिख इसका सबसे प्रमुख हब है. टॉप 10 में उसका कोई केंद्र नहीं है.
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दक्षिण कोरिया
तकनीक-आधारित अर्थव्यवस्था के लिए जाना जाने वाला दक्षिण कोरिया 4 क्लस्टर्स का घर है, जिसमें सोल एक प्रमुख इनोवेशन हब है और दुनिया में चौथा सबसे बड़ा क्लस्टर है.
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भारत
भारत के पास भी 4 क्लस्टर्स हैं, जिनमें बेंगलुरु सबसे आगे है. हालांकि भारत का कोई हब टॉप 15 में नहीं है.
तस्वीर: Aijaz Rahi/AP/picture alliance
फ्रांस और ब्रिटेन
तीन-तीन इनोवेशन केंद्रों के साथ फ्रांस और ब्रिटेन दुनिया के सबसे बड़े इनोवेशन केंद्रों में शामिल हैं. फ्रांस में पेरिस और ब्रिटेन में केंब्रिज सबसे बड़े केंद्र हैं.
तस्वीर: GONZALO FUENTES/REUTERS
जापान
जापान में तीन इनोवेशन सेंटर हैं. टोक्यो-योकोहामा दुनिया का सबसे बड़ा इनोवेशन सेंटर है, जबकि ओसाका-कोबे-क्योटो भी टॉप 10 में है.
प्रोफेसर वुर्डेमान ने कहा, "यदि आपको रेडियोधर्मी सामग्री को अलग करना है, तो विभिन्न घटकों को छांटने के लिए वास्तविक स्पर्श की संवेदना महत्वपूर्ण हो सकती है."
शोधकर्ताओं ने अपनी तकनीक को ब्रिटिश साइंस फेस्टिवल में पेश किया, जो यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट लंदन में आयोजित किया गया. इस बारे में एक शोध नेचर पत्रिका में भी प्रकाशित हुआ है.