डायबिटीज की दवा से महिलाओं में कम हुआ कोविड-19 का खतरा
२३ जून २०२०
एक शोध में पाया गया है कि नियमित रूप से डायबटीज की दवा मेटफॉरमिन लेने वाली महिलाओं में कोविड-19 के कारण जान जाने का खतरा कम हुआ. हालांकि पुरुषों में ऐसा नहीं पाया गया.
विज्ञापन
इस शोध को करने वाली यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा की रिसर्चर कैरोलिन ब्रमांटे बताती हैं, "हम जानते हैं कि मेटफॉरमिन का महिलाओं और पुरुषों पर अलग अलग तरह का असर होता है. डायबिटीज की रोकथाम में वह पुरुषों की तुलना में महिलाओं पर दोगुना ज्यादा असर करती है." उन्होंने बताया कि यह दवा शरीर में मौजूद एक प्रोटीन टीएनएफ-अल्फा की मात्रा को भी घटाती है. हालिया शोध दिखाते हैं कि इस प्रोटीन का स्तर बढ़ने से कोविड-19 के लक्षणों में बढ़ोत्तरी होती है.
मेटफॉरमिन को ले कर प्रयोगशाला में नर और मादा चूहों पर टेस्ट होते रहे हैं, इसलिए यह जानकारी पहले से मौजूद है. लेकिन इंसानों पर ऐसे टेस्ट होना अभी बाकी है. कैरोलिन ब्रमांटे के अनुसार मेटफॉरमिन आसानी से मिलने वाली दवा है जिसका सेवन सुरक्षित भी है और सस्ता ही. ऐसे में इसे कोविड-19 के इलाज के विकल्प के रूप में देखा जा सकता है.
जिस रिसर्च की यहां बात हो रही है उसके लिए अमेरिका में 6,200 महिला और पुरुषों का डाटा जमा किया गया था जो मधुमेह और मोटापे का शिकार थे. ये सभी लोग कोविड-19 से ग्रसित थे और इन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. डॉक्टरों ने पाया कि जिन महिलाओं ने मेटफॉरमिन का 90 दिन का कोर्स पूरा किया था, उनमें से बहुत कम की ही जान गई, जबकि इस दवा को ना लेने वालों में मृत्यु दर काफी ज्यादा था.
कोरोना के इलाज का दावा करने वाली दवाएं
कोविड-19 से फैली महामारी से छुटकारा दिलाने वाले टीके या सटीक दवा का इंतजार हर किसी को है. लेकिन इस बीच कुछ ऐसी नई और पुरानी दवाएं पेश की गई हैं जो कोरोना वायरस से लोगों की जान बचा सकती हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/Narinder Naru
कोरोनील
पतंजलि योगपीठ के संस्थापक बाबा रामदेव कोविड-19 के लिए देश की पहली आयुर्वेदिक दवा 'दिव्य कोरोनील टैबलेट' ले आए हैं. इसे गिलोय, अश्वगंधा, तुलसी, श्वसारि रस और अणु तेल का मिश्रण बताया जा रहा है. निर्माताओं का दावा है कि इससे 14 के अंदर कोरोना ठीक हो जाएगा. ट्रायल के दौरान करीब सत्तर फीसदी लोगों के केवल तीन दिन में ही ठीक होने का दावा किया गया है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/Narinder Naru
फेबीफ्लू
ग्लेनमार्क फार्मा की दवा फेवीपीरावीर गोली के रूप में खाई जा सकने वाली एंटी-वायरल दवा है. इसे कोविड-19 के हल्के या मध्यम दर्जे के संक्रमण वाले मामलों में दिया जा सकता है. करीब सौ रूपये प्रति गोली के दाम पर यह गोली भारतीय बाजार में फेबीफ्लू के नाम से मिलेगी. विश्व भर में इसके टेस्ट से अच्छे नतीजे मिले हैं. मरीजों में वायरल लोड कम हुआ और वे जल्दी ठीक हो पाए.
तस्वीर: Manjunath Kiran/AFP/GettyImages
डेक्सामेथासोन
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 के लिए स्टीरॉयड ‘डेक्सामेथासोन’ का बड़े स्तर पर निर्माण करने की अपील की है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने इसका परीक्षण करीब 2,000 बेहद गंभीर रूप से बीमार मरीजों पर किया. इसके इस्तेमाल से सांस के लिए पूरी तरह वेंटिलेटर पर निर्भर मरीजों की मौत को 35 फीसदी तक कम किया जा सका. यह बाजार में 60 साल पहले आई थी.
तस्वीर: Getty Images/M. Horwood
कोविफोर
भारत के हैदराबाद की हीटेरो लैब ‘कोविफोर’ दवा ला रही है. यह असल में एंटीवायरस दवा ‘रेमडेसिविर’ ही है जिसे नए नाम से पेश किया जा रहा है. कंपनी ने इसे बनाने और बेचने के लिए भारतीय ड्रग रेगुलेटर संस्था से अनुमति हासिल कर ली है.
तस्वीर: picture-alliance/AP/Gilead Sciences
एविफाविर
इस दवा को रूस में इस्तेमाल करने की अनुमति मिल गई है. ट्रायल के दौरान इंफ्लुएंजा की इस दवा से कोविड-19 के मरीजों में हालत में जल्दी सुधार आता देखा गया है. यही कारण है कि रूस ने ट्रायल पूरा होने से पहले ही देश के सभी अस्पतालों में इसका इस्तेमाल करने को कहा है.
तस्वीर: AFP/U. Perrey
सिप्ला की सिप्रेमी
सिप्ला कंपनी भी वही जेनेरिक एंटीवायरस दवा ‘रेमडेसिविर’ अपने ब्रांड सिप्रेमी के नाम पर लाई है. अमेरिका की ड्रग्स रेगुलेटर बॉडी, यूएस एफडीए ने कोविड के मरीजों में इमरजेंसी की हालत में इसके इस्तेमाल की अनुमति दी है.
तस्वीर: imago Images/Science Photo Library
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन
मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली यह दवा भारत में ही विकसित हुई थी. पहले उम्मीद की जा रही थी कि इससे कोविड-19 मरीजों को भी मदद मिल सकती है और अमेरिका ने भारत से इसकी बड़ी खेप भी मंगाई थी. लेकिन इससे खास फायदा नहीं होने के कारण फिलहाल कोरोना में इसे प्रभावी नहीं माना जा रहा है. ब्रिटेन और अमेरिका में इसका ट्रायल भी बंद हो गया है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/G. Julien
7 तस्वीरें1 | 7
डॉक्टरों ने उनकी सेहत से जुड़े अन्य पहलुओं पर भी नजर डाली और इस बात पर भी ध्यान दिया कि उनकी जान को और किस किस बीमारी से खतरा था या स्वास्थ्य के लिहाज से वे कितने फिट और कितने कमजोर थे. इस तरह से अन्य सभी रिस्क फैक्टर हटाने के बाद उन्होंने पाया कि दवा लेने वालों में जान जाने का खतरा 21 से 24 फीसदी तक कम था. हालांकि पुरुषों में इसी अध्ययन के दौरान ऐसा कोई फर्क देखने को नहीं मिला.
कोरोना महामारी के बीच दुनिया भर में कई तरह के शोध हो रहे हैं और उनके नतीजे भी साथ ही प्रकाशित किए जा रहे हैं. विज्ञान जगत में आम तौर पर ऐसा नहीं होता है. किसी भी शोध को सिद्ध करने के लिए उस पर काफी सारा डाटा जमा किया जाता है और फिर अन्य वैज्ञानिक उसकी समीक्षा भी करते हैं. लेकिन मौजूदा हालात में ऐसा नहीं हो रहा है. इसकी वजह यह उम्मीद है कि एक शोध शायद किसी दूसरे शोध में मदद दे सके. ऐसे में रिसर्च पेपर होने के बाद भी ऐसा नहीं है कि डॉक्टर फौरन ही मरीजों को डायबिटीज की दवा देने लगेंगे.
डायबिटीज बहुत ही चुपचाप आने वाली बीमारी है. लेकिन अगर आप अपने शरीर और व्यवहार पर ध्यान देंगे तो आप इससे बचाव कर सकते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/fotototo
दो किस्म का डायबिटीज
डायबिटीज दो प्रकार हैं, टाइप-1 और टाइप-2. टाइप-1 आनुवांशिक होता है, यह बच्चों और युवाओं में देखने को मिलता है. लेकिन इसके मामले बहुत ही कम होते हैं. टाइप-2 डायबिटीज ज्यादा जीवनशैली से जुड़ा है और दुनिया भर में तेजी से फैल रहा है.
तस्वीर: picture-alliance/ dpa
टाइप-1
इसमें शरीर इंसुलिन नहीं बनाता है. इंसुलिन खाने से मिलने वाले ग्लूकोज को तोड़ता है और ऊर्जा के रूप से कोशिकाओं तक पहुंचाता है. लेकिन टाइप-1 डायबिटीज के पीड़ितों को बचपन से इंसुलिन लेना पड़ता है.
टाइप-2
यह चुपचाप आता है. बढ़ती उम्र और बेहद आरामदायक जीवनशैली के चलते इंसान को यह बीमारी लगती है. इसमें शरीर शुगर को ऊर्जा में बदलने की रफ्तार धीमी या बंद कर देता है. और एक बार यह लगी तो फिर इससे पार पाना आसान नहीं होता. आगे देखिये टाइप-2 डायबिटीज के शुरूआती संकेत.
तेज प्यास लगना
टाइप-2 डायबिटीज का अहम शुरुआती लक्षण है, बार बार तेज प्यास लगना. मुंह में सूखापन रहना. ज्यादा भूख लगना और ज्यादा पानी न पीने के बावजूद बार बार पेशाब लगना.
तस्वीर: Imago/Westend61
शारीरिक तकलीफ
शुरुआती संकेत मिलने पर अगर कोई न संभले तो ज्यादा मुश्किल होने लगती है. डायबिटीज के चलते सिर में दर्द रहना, नजर में धुंधलापन सा आना और बेवजह थकने जैसी समस्यायें सामने आती हैं.
तस्वीर: picture-alliance/blickwinkel
नींद न आना
शुगर का असर नींद पर भी पड़ता है. डायबिटीज के रोगियों को बहुत गहरी नींद नहीं आती है. उनके हाथ या पैरों में झनझनाहट सी रहती है.
तस्वीर: Colourbox/A. Mak
सेक्स में परेशानी
डायबिटीज के 30 फीसदी रोगियों को सेक्स में परेशानी भी होने लगी है. इसके पीड़ित महिला और पुरुष को आर्गेज्म में परेशानी होने लगती है.
तस्वीर: Colourbox
गंभीर संकेत
कुछ मामलों के टाइप-2 डायबिटीज के शुरुआती लक्षण बिल्कुल नजर नहीं आते. उनमें दूसरे किस्म के लक्षण नजर आते हैं, जैसे फुंसी, फोड़े या कटे का घाव बहुत देर से भरना. खुजली होना, मूत्र नलिका में इंफेक्शन होना और जननांगों के पास जांघों में खुजली होना. पिंडलियों में दर्द भी रहता है.
किसे ज्यादा खतरा
मोटे और खासकर मोटी कमर वाले लोगों को, आलसियों को, सुस्त जीवनशैली के साथ सिगरेट पीने वालों को, बहुत ज्यादा लाल मीट व मीठा खाने वालों डायबिटीज का खतरा सबसे ज्यादा होता है.
तस्वीर: Fotolia/PeJo
उम्र और टाइप-2 डाबिटीज का रिश्ता
आम तौर पर 45 साल के बाद इसका पता चलता है. लेकिन भारत समेत कई देशों में बदलती जीवनशैली के साथ 25-30 साल के युवाओं को डायबिटीज की शिकायत होने लगी है. लेकिन कड़ी शारीरिक मेहनत करने वाले और संयमित ढंग से खाना खाने वाले बुजुर्गों में कोई डायबिटीज नहीं दिखता.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Kalaene
बैक्टीरिया की भी भूमिका
ताजा शोध में पता चला है कि बड़ी आंत में रहने वाले बैक्टीरिया भी टाइप-2 डायबिटीज में भूमिका निभाते हैं. आंत में हजारों किस्म के बैक्टीरिया होते हैं, इनमें ब्लाउटिया, सेरेराटिया और एकेरमानसिया भी शामिल हैं. लेकिन डायबिटीज के रोगियों में इनकी संख्या बहुत बढ़ जाती है. वैज्ञानिकों को शक है कि इनकी बहुत ज्यादा संख्या के चलते मेटाबॉलिज्म प्रभावित होने लगता है
तस्वीर: AP
शक होने पर क्या करें
खुद टोटके करने के बजाए डॉक्टर से परामर्श करें और नियमित अंतराल में शुगर टेस्ट कराएं. डायबिटीज से लड़ने का सबसे अच्छा तरीका है, कसरत या शारीरिक मेहनत. अगर आपका शरीर थकेगा तो शुगर लेवल नीचे गिरेगा और नींद भी अच्छी आएगी.
तस्वीर: Fotolia/Dmitry Lobanov
खुद के लिए 30 मिनट
हर दिन 30 मिनट कसरत कर लें, यह डायबिटीज से आपको बचाएगी. डायबिटीज हो भी गया तो कसरत उसे काबू में रखेगी. संतुलित आहार भी बहुत जरूरी है.
कैसी हो खुराक
खून में शुगर की मात्रा खाने पर निर्भर करती है. डायबिटीज के रोगियों को या डायबिटीज का शक होने पर कभी पेट भरकर न खाएं. तीन घंटे के अंतराल पर कुछ हल्का खाएं. प्याज, भिंडी, पत्ता गोभी, खीरा, टमाटर, दही, दाल, पपीता और हरी सब्जियां बेहद लाभदायक होती हैं.
तस्वीर: DW/Dagmar Wittek
मिक्स खाना
वैज्ञानिकों के मुताबिक अलग अलग आहार में भिन्न भिन्न किस्म के बैक्टीरिया होते हैं. इसीलिए बेहतर है कि फल, अनाज, सब्जी, बीज और रेशेदार फलियों से संतुलित डायट बनाई जाए. इससे आंतों में अलग अलग बैक्टीरियों का अनुपात सही बना रहेगा.
तस्वीर: Colourbox
मीठा भी साथ रहे
डायबिटीज ऐसी बीमारी है जो बहुत ज्यादा परहेज करने पर भी मारती है. शुगर लेवल अगर बहुत नीचे गिर जाए तो रोगी को चक्कर आ सकता. लिहाजा डायबिटीज से लड़ने के दौरान हमेशा कुछ मीठा अपने पास रखें. जब लगे कि शुगर लेवल बहुत गिर रहा है तो हल्का सा मीठा खा लें.