डीजल बदनाम है लेकिन बिक्री बढ़ रही है
२१ नवम्बर २०१८Diesel exports still booming
क्या संभव है पेट्रोल और डीजल के बिना जीना
क्या संभव है पेट्रोल और डीजल के बिना जीना
जर्मनी की संसद के उपरी सदन ने 2030 से पेट्रोल और डीजल कारों को सड़क पर उतरने की अनुमति न देने का पक्ष लिया है. कार उद्योग इसे असंभव मानता है तो ग्रीन पार्टी ने इसका समर्थन किया है. क्या तकनीकी तौर पर ये संभव है.
विकल्प
बुंडेसराट ने एमिशन फ्री कारों की बात की है. यह इलेक्ट्रिक कारों के अलावा बायो ईंधन के इस्तेमाल से भी संभव है, जिसकी मदद से मौजूदा मोटर भी चलाई जा सकती हैं. हाइड्रोजन गैस की मदद से चलने वाली कारें भी संभव है, लेकिन तकनीकी अभी उपलब्ध नहीं है.
गुणवत्ता
सबसे बड़ी समस्या तय की जाने वाली दूरी है. इस समय इंजीनियर इसी समस्या पर काम कर रहे हैं. फिलहाल ओपेल और टेस्ला की कारों से 500 किलोमीटर की दूरी तय करना संभव है. कंपनियां बेहतर बैटरी बनाने पर भारी निवेश कर रही हैं. 14 साल में समस्या खत्म हो सकती है.
दूरी
से चलने वाली कारों में दूरी की उतनी समस्या नहीं है. टोयोटा मिराई या हय्डाई जैसी कारें एक फिलिंग में 500 से 600 किलोमीटर की दूरी तय कर रही है. निर्माता कंपनियों का कहना है कि टैंक का आकार बिना किसी मुश्किल के बढ़ाया जा सकता है.
रिफिलिंग
एक समस्या बैटरी को रिचार्ज करने की है. इसमें फिलहाल कई घंटे लगते हैं. इस समय 300 किलोवाट रिचार्जिंग स्टेशन बनाने पर काम चल रहा है. पोर्शे की इलेक्ट्रिक कार तीन से चार साल में 400 किलोमीटर चलने लायक बैटरी 15 मिनट में चार्ज कर सकेगी.
कीमत
यह बहुत बड़ी समस्या है. इस समय छोटी इलेक्ट्रिक कारों की कीमत उस आकार की पेट्रोल कारों के मुकाबले दोगुनी है. मसलन 400 किलोमीटर तय करने वाली रेनो की इलेक्ट्रिक कार की कीमत 33,000 यूरो है. हालांकि बिक्री बढ़ने के साथ कीमतें गिर रही हैं, लेकिन उसके बहुत कम होने की उम्मीद नहीं है.
चार्जिंग स्टेशन
अगले 14 सालों में इसकी संरचना बनाना संभव होगा. यूरोपीय संघ के अनुसार जर्मनी में 2020 तक 1,50,000 चार्जंग स्टेशन काम करने लगेंगे. लेकिन अभी तक बैटरी चार्ज करने की संरचना बड़े शहरों में है. फिलहाल शहरों में 6,500 और देहातों में 2,860 चार्जिंग स्टेशन हैं.
सरकारी मदद
अभी सिर्फ 230 ऐसे स्टेशन हैं जहां जल्दी बैटरी चार्ज की जा सकती है. यानि आधे घंटे में 80 प्रतिशत बैटरी चार्ज हो जाए. सरकार ने इलेक्ट्रो मोबिलिटी प्रोग्राम के तहत मदद देनी शुरू की है. देश भर में चार्जिंग स्टेशन बनाने के लिए 30 करोड़ यूरो की मदद दी जाएगी.
पुराने पेट्रोल पंप
मौजूदा पेट्रोल पंपों की जरूरत बनी रहेगी. योजना के अनुसार 2030 से पेट्रोल और डीजल कारों को रजिस्टर नहीं किया जाएगा, लेकिन पुरानी कारें सड़क पर रहेंगी और उनके लिए पेट्रोल और डीजल की जरूरत होगी. अनुमान है कि 2050 के बाद सड़क पर पेट्रोल और डीजल कारें नहीं रहेंगी.
पर्यावरण
यह भी सवाल है कि बैटरी कितनी पर्यावरण सम्मत है. फिलहाल लिथियम बैटरी का उत्पादन उतना पर्यावरण सम्मत नहीं है. एक तो उसके लिए दुर्लभ धातु चाहिए जिसे निकालने के लिए अत्यंधिक ऊर्जा की जरूरत होती है. दूसरे उसे बनाने के लिए भी बहुत ऊर्जा चाहिए.
बिजली की जरूरत
2050 तक जब सारी गाड़ियां बैटरी से चलेंगी तो देश की करीब 4 करोड़ गाड़ियों को चलाने के लिए 120 टेरावाट बिजली की जरूरत होगी. यह जर्मनी के मौजूदा बिजली उत्पादन का 124 प्रतिशत है. यानि जर्मनी को और 24 प्रतिशत बिजली का इंतजाम सौर और पवन ऊर्जा से करना होगा.