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डाइट कोक में मौजूद एस्पार्टेम से कैंसर भी हो सकता है

४ जुलाई २०२३

रिसर्चरों का कहना है कि एस्पार्टेम से कैंसर हो सकता है. खाने पीने की बहुत सी चीजों में एस्पार्टेम में डाला जाता है. सॉफ्ट ड्रिंक, जेलाटीन, कन्फेक्शनरी का सामान, या बिना चीनी वाली खांसी की गोलियां.

कोका कोला डायट सोडा, में इस्तेमाल होने वाली मिठास जो कृत्रिम पदार्थों से बनी है, जल्द ही एक कार्सिनोजेन घोषित होने की संभावना है.
कोका कोला डायट सोडा, में इस्तेमाल होने वाली मिठास जो कृत्रिम पदार्थों से बनी है, जल्द ही एक कार्सिनोजेन घोषित होने की संभावना है. तस्वीर: Igor Golovniov/Zuma/picture alliance

एस्पार्टेम दुनिया के 90 से ज्यादा देशों में इस्तेमाल किया जाता है, जैसे ब्रिटेन, स्पेन, फ्रांस, इटली, डेनमार्क, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड. इन सभी देशों ने एस्पार्टेम इंसानों के सेवन के लिए सुरक्षित माना है.

कोका कोला डाइट सोडा, में इस्तेमाल होने वाली मिठास जो कृत्रिम पदार्थों से बनी है, जल्द ही एक कार्सिनोजेन घोषित होने की संभावना है. कार्सिनोजेन यानी ऐसा पदार्थ, जीव या एजेंट, जो कैंसर के लिए जिम्मेदार हो सकता है. न्यूज एजेंसी रायटर्स ने सूत्रों के हवाले से एक रिपोर्ट में यह खुलासा किया है कि कैंसर के शोध के लिए बनी अंतरराष्ट्रीय एजेंसी, आईएआरसी पिछले ही महीने इस फैसले पर पहुंची.

यह ग्रुप के बाहरी विशेषज्ञों की एक मीटिंग के बाद तय किया गया. इन लोगों ने प्रकाशित हुए प्रमाणों की जांच करने के बाद इसका आकलन किया. आशंका है कि एस्पार्टेम को जुलाई में इंसानों में कैंसर करने वाला संभावित कार्सिनोजेन घोषित कर दिया जाएगा. आईएआरसी विश्व स्वास्थय संगठन की कैंसर पर रिसर्च करने वाली संस्था है.

एस्पार्टेम आमतौर पर घरों में इस्तेमाल होने वाली चीनी से लगभग 200 गुना अधिक मीठा होता है. तस्वीर: Erich Geduldig/imagebroker/IMAGO

एस्पार्टेम क्या है और यह कहां इस्तेमाल होता है

एस्पार्टेम की खोज 1965 में अमेरिकी विज्ञानी जेम्स श्लैटर ने की थी. एस्पार्टेम आमतौर पर घरों में इस्तेमाल होने वाली चीनी से लगभग 200 गुना अधिक मीठा होता है. अमेरिका के फूड और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने 1974 में इसको एक टेबलटॉप स्वीटनर के रूप में इस्तेमाल की मंजूरी दी थी. इसके अलावा च्यूइंग गम, नाश्ते में खाए जाने वाले अनाज और खाद्य पदार्थों के लिए सूखे बेस के रूप में भी एस्पार्टेम को मंजूरी मिली थी.

एस्पार्टेम बहुत से पॉपुलर खाद्य उत्पादों में पाया जाता है जो बाजारों में आमतौर पर उपलब्ध हैं जैसे सॉफ्ट ड्रिंक्स, जेलाटीन, कन्फेक्शनरी का सामान, या बिना चीनी वाली खांसी की गोलियां. इसका इस्तेमाल इतना ज्यादा इसलिए किया जाता है क्योंकि यह मिठास तो देता है लेकिन कैलोरी के मामले में लगभग ना के बराबर है. इसके अलावा सैक्रीन की तरह इसके स्वाद में कड़वाहट नहीं होती. 

कोका कोला का डाइट कोक, मार्स के एक्स्ट्रा शुगरफ्री च्युइंग गम, स्नैपल जीरो शुगर टी और जूस, ट्राइडेंट शुगर फ्री पेपरमिंट गम कुछ ऐसे उदहारण है जिनमें एस्पार्टेम पाया जाता है.

कितनी मात्रा में एस्पार्टेम है सेफ?

हालांकि आईएआरसी के रिपोर्ट में यह खुलासा नहीं हुआ है कि इंसानों के लिए कितनी मात्रा में एस्पार्टेम का सेवन सुरक्षित है. इसको लेकर जेईसीएफए की पहले से कुछ नसीहतें मौजूद हैं. जेईसीएफए विश्व स्वास्थय संगठन की विशेषज्ञ समिति है. समिति का यह कहना है कि एक व्यस्क जिनका वजन 60 किलो के करीब है, उनको तब एस्पार्टेम से खतरा है जब वे हर दिन डाइट सोडा के 12 से 36 कैन पिएं. 1981 से जेईसीएफआ की यही राय रही है और जिसको अमेरिका और यूरोप जैसे देशों ने भी माना है. 

लाइफ स्टाइल से कैंसर का खतरा

लेकिन जेईसीएफए ने भी एस्पार्टेम के इस्तेमाल पर इस साल दोबारा समीक्षा की है. इसके नतीजे उसी दिन घोषित किए जाएंगे जब आईऐआरसी भी एस्पार्टेम के मामले में अपना फैसला सुनाएगा. समाचार एजेंसी रॉयटर्स को मिली जानकारी के मुताबिक दोनों घोषणाएं 14 जुलाई को हो सकती हैं. 

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किन देशों में इस्तेमाल होता है एस्पार्टेम?

एस्पार्टेम दुनिया के 90 से ज्यादा देशों में इस्तेमाल किया जाता है, जैसे ब्रिटेन, स्पेन, फ्रांस, इटली, डेनमार्क, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड. इन सभी देशों ने एस्पार्टेम इंसानों के सेवन के लिए सुरक्षित माना है. इससे पहले आईएआरसी के निर्णयों की इस बात को लेकर आलोचना हुई है कि वे ऐसे पदार्थों या स्थितियों को लेकर बेकार ही लोगों के मन में डर पैदा करता है जिनसे बच पाना लगभग नामुमकिन है. आईएआरसी चार वर्गों में खतरे का आकलन करता है.

आलोचकों का कहना है कि आईएआरसी किसी चीज से खतरे की बजाय सबूतों की मजबूतों के आधार पर फैसले लेता है. एफडीए के हिसाब से एस्पार्टेम की प्रतिदिन इस्तेमाल की जाने वाली सुरक्षित मात्रा प्रति किलोग्राम के लिए 50 मिलीग्राम है. हालांकि यूरोप की नियामक एजेंसी ने इससे थोड़ा कम यानी 40 मिलीग्रीम प्रति किलोग्राम की मंजूरी दी है.

एचवी/एनआर (रॉयटर्स)

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