डिजिटल दुनिया पर भी सरकारों की धौंस
२४ नवम्बर २०२१थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन के वार्षिक ट्रस्ट सम्मेलन में भाग लेने वाले सदस्यों ने कहा कि चीन और रूस जैसी सरकारें सोशल मीडिया सामग्री को ब्लॉक कर रही हैं, जिसके लिए कंपनियों को डेटा निगरानी से जुड़े दस्तावेज पेश करने होते हैं. उनका कहना है कि पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को ऑनलाइन चुप कराया जा रहा है.
अमेरिका स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर यूरोपियन पॉलिसी एनालिसिस की प्रमुख एलीना पॉलाकोवा ने कहा, "डिजिटल दुनिया तेजी से एक सत्तावादी जगह बनने की ओर बढ़ रही है."
पश्चिम से भी खतरा
अधिकार समूह एक्सेस नाउ के नीति निदेशक जेवियर पलेरो ने कहा कि खतरे पश्चिमी दुनिया से भी आ रहे हैं. उन्होंने कहा, "बहुत सारी लोकतांत्रिक सरकारें अब एकाधिकारवादी शासन की तरह काम कर रही हैं. यह सिर्फ रूस और चीन तक ही सीमित नहीं." उन्होंने अमेरिका में पुलिस द्वारा चेहरे की पहचान करने वाली तकनीक और अर्जेंटीना में पुलिस निगरानी का उदाहरण दिया.
चीन के सिंगुआ विश्वविद्यालय के श्वार्जमैन कॉलेज के डीन जू लान ने कहा कि चीन का अधिकांश इंटरनेट और डेटा कानून देश के लगभग एक अरब इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता की रक्षा करने और राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करने के बारे में है. वह कहते हैं, "वास्तविकता इससे कहीं अधिक जटिल और कम नाटकीय है जो अक्सर चित्रित किया जाता है. सरकारों को इसके उपयोग से जुड़ी लागतों और जोखिमों का प्रबंधन करने के लिए इंटरनेट जैसे डिजिटल बुनियादी ढांचे का प्रबंधन करने की आवश्यकता होती है."
सरकारें हर चीज अपनी पकड़ में रखना चाहती
पलेरो ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों को निजी संचार तक पहुंच का हवाला देते हुए कहा, "सत्ता की एकाग्रता निगरानी जैसे उल्लंघनों को सक्षम कर सकती है, लेकिन कुछ सरकारों द्वारा कंपनियों को प्रॉक्सी के रूप में इस्तेमाल करके इसे हथियार भी बनाया जा सकता है."
पैनलिस्टों ने कहा ऑनलाइन स्पेस और उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा का समाधान लोगों के हाथों में सत्ता का पुनर्वितरण करना है लेकिन व्यक्तियों के बजाय समूहों के रूप में. शोधकर्ताओं का कहना है सामुदायिक इंटरनेट या विकेंद्रीकृत नेटवर्क जहां संचार सेवाओं का एकाधिकार होने के बजाय स्थानीयकृत किया जाता है वहां सरकार या कॉर्पोरेट दिग्गज यूजर्स को अपने डेटा और गोपनीयता पर अधिक नियंत्रण देते हैं.
एए/वीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)