जर्मनी में कई शरणार्थी पैसे के चक्कर में अपना शरीर बेच रहे हैं. ऐसे आरोप लगाने वाले गैर सरकारी संगठनों से डॉयचे वेले के इंफोमाइग्रेंट्स ने बात की.
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16 साल की उम्र में एक सीरियाई-फलस्तीनी किशोर 2015 में जर्मनी आया. उसे उम्मीद थी कि एक बार वो जर्मनी पहुंच जाए, फिर अपने परिवार को भी यहां ले जाएगा. वह अपनी आठ साल की बहन के बारे में बहुत चिंतित था. उसका पूरा परिवार अब भी सीरिया की राजधानी दमिश्क में फंसा हुआ है और वह जर्मनी की राजधानी बर्लिन में है. जर्मनी में दाखिल होते वक्त उसकी उम्र 18 साल से कम थी. लिहाजा उसे जर्मनी के यूथ ऑफिस ने सुरक्षा दी. लेकिन 18 साल का होते ही उसे यूथ सेंटर छोड़ना पड़ा.
इसके बाद उसे बर्लिन के एक जिमनाजियम में दूसरे शरणार्थियों के साथ रहना पड़ा. उनकी मदद करने के लिए वहां न तो कोई सोशल वर्कर था, न ही किसी किस्म की सुरक्षा. जिमनाजियम में रहने के दौरान कुछ लड़कों ने उसका शोषण किया. उसके साथ मार पीट हुई, उसे धमकियां दी गयीं और फब्तियां भी मिलीं, वो भी बार बार.
चूर-चूर होते पाकिस्तानियों के ख्वाब
शरणार्थी संकट के बीच हजारों पाकिस्तानी भी यूरोप में पहुंचे हैं. ग्रीस से पाकिस्तानी इफ्तिखार अलीकी भेजी कुछ तस्वीरें भेजीं यूरोप में बेहतर जिंदगी के इन लोगों के सपने की हकीकत को बयान करती हैं.
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सफाई का काम
हजारों पाकिस्तानी अपने घरों से निकले और उनकी मंजिल जर्मनी या उसके पड़ोसी देश थे. किसी ने सोचा भी न होगा कि खतरनाक पहाड़ी और समंदरी रास्ते पर जिंदगी दांव पर लगाने के बाद उन्हें एथेंस के शरणार्थी शिविर में शौचालय साफ करना होगा.
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झूठे सब्जबाग
इनमें से ज्यादा लोग पाकिस्तान के पंजाब प्रांत हैं. एजेंटों ने उन्हें जर्मनी तक पहुंचाने का खर्चा प्रति व्यक्ति पांच लाख रुपए बताया था और सबसे ये पैसा एडवांस में ही ले लिया गया. लेकिन अब एजेंटों के दिखाए सब्जबाग झूठे साबित हो रहे हैं.
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शरण संभव नहीं
सीरिया और अन्य संकटग्रस्त देशों से आए शरणार्थियों को बालकन देशों के रास्ते जर्मनी जाने की इजाजत दी गई थी. लेकिन यूरोपीय सरकारों का मानना है कि ज्यादातर पाकिस्तानी आर्थिक कारणों से यूरोप आ रहे हैं. इसलिए उन्हें यहां शरण दिए जाने की संभावना बहुत कम है.
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रहने की शर्त
इन लोगों का कहना है कि ग्रीस में अधिकारियों ने सफाई का काम सिर्फ उन्हें ही सौंपा है. इनसे कहा गया है कि पाकिस्तानी नागरिकों को शरणार्थी शिविर में रखने की इजाजत ही नहीं है, फिर भी उन्हें वहां रहने की इजाजत सिर्फ इस शर्त पर दी गई है कि वो सफाई करेंगे.
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नाउम्मीद
ऐसे सैकड़ों पाकिस्तानी आप्रवासियों को अब उम्मीद ही नहीं है कि वो ग्रीस से आगे पश्चिमी यूरोप की तरफ जा पाएंगे और इसलिए वो वापस पाकिस्तान जाना चाहते हैं. इनमें से बहुत से मानसिक और शारीरिक बीमारियों का शिकार हैं. कई लोगों ने आत्महत्या की कोशिश भी है.
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खाना भी पूरा नहीं
ग्रीस में शरण की आस में रह रहे ज्यादातर पाकिस्तानियों का कहना है कि शिविर में उन्हें पर्याप्त खाना भी नहीं मिलता है और वो अच्छा भी नहीं होता है. कई लोगों का कहना है कि उन्हें सिर्फ जिंदा रहने के लिए रोज एक वक्त का खाना दिया जाता है. ऐसे में कई लोग बीमारियों का शिकार हैं.
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वतन वापसी भी मुश्किल
विडंबना तो ये है कि ज्यादातर लोगों के पास पासपोर्ट या अन्य दस्तावेज भी नहीं है और पाकिस्तान वापस जाना भी उनके लिए कठिन है. एथेंस में पाकिस्तानी दूतावास की तरफ से उनकी पहचान और पासपोर्ट जारी करने की प्रक्रिया बहुत धीमी है.
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याद आते हैं बच्चे
पाकिस्तान के जिला गुजरात से संबंध रखने वाले 41 साल के सज्जाद शाह भी अब वापस वतन लौटना चाहते हैं. उनके तीन बच्चे हैं. वो कहते हैं कि कैंप में बच्चे को खेलते देख उन्हें अपने बच्चे याद आते हैं और जल्द से जल्द उनके पास जाना चाहते हैं.
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खराब हालात
अन्य देशों से संबंध रखने वाले आप्रवासियों और शरणार्थियों को यूनानी अधिकारियों ने रिहायशी इमारतों में रहने को जगह दी है जबकि पाकिस्तानियों को ज्यादातर अस्थायी शिविरों में रखा गया है. हालत इसलिए भी खराब है कि उन्हें यूरोप की कड़ी सर्दी की आदत नहीं है.
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नहीं मिलता जवाब
इन लोगों का कहना है यात्रा दस्तावेजों के लिए उन्होंने एथेंस के पाकिस्तानी दूतावास में अर्जी दी है लेकिन महीनों बाद भी कोई जबाव नहीं मिला है. कुछ लोगों ने शरणार्थी एजेंसी से भी खुद को स्वदेश भिजवाने की अपील की, लेकिन उन्होंने कहा कि इसके लिए पासपोर्ट या अन्य दस्तावेज चाहिए.
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गुहार
बहुत से लोगों ने पाकिस्तान सरकार से भी जल्द से जल्द वतन वापसी की गुहार लगाई है. एहसान नाम के एक पाकिस्तानी आप्रवासी ने डीडब्ल्यू को बताया, “न हम वापस जा सकते हैं और न आगे. बस पछतावा है और यहां टॉयलेट की सफाई का काम है.”
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उस युवक को डर था कि अगर हंगामा हुआ तो उसे वापस सीरिया भेज दिया जाएगा. इस डर से वह चुप रहा. यह सब सहता गया. फिर एक दिन वह जिमनाजियम से गायब हो गया. जिमनाजियम छोड़ते ही उसके पास कोई पता ठिकाना नहीं रहा, लिहाजा उसे सरकार से वित्तीय मदद भी नहीं मिली. और इस लाचारगी ने उसे यौनकर्मियों की दुनिया में धकेल दिया. इस दौरान वह अपने से काफी बड़े एक शख्स के संपर्क में आया. उसने सेक्स के बदले छह महीने तक घर में रहने का प्रस्ताव दिया.
लेकिन यह ऐसा अकेला मामला नहीं है. ऐसे कई और मामले सामने आये हैं. जर्मनी में युवा शरणार्थियों के देह व्यापार में जाने के कई मामले सामने आये हैं. पैस के लिए सेक्स बेच रहे शरणार्थियों में ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, सीरिया और इराक के लोग शामिल हैं. ज्यादातर की उम्र 16 से 25 साल के बीच है. कुछेक 35 साल के भी हैं.
कई शरणार्थी जर्मनी अपने माता पिता या अभिभावकों के बिना पहुंचे हैं. बर्लिन में शरणार्थियों की मदद करने वाले ग्रुप मोआबिट हिल्फ्ट की डायना हेनिगेस कहती हैं, "18 साल का होने का यह मतलब नहीं है कि बच्चा वयस्क हो चुका है और प्रशासन यही भूल रहा है.” हेनिगेस के मुताबिक शरण की संभावना और शिक्षा जैसी बातें अहम भूमिका निभा रही है. नशे की लत और बेघर होने के चलते भी शरणार्थी युवा सेक्स बेचने की राह पर जा रहे हैं.
हिल्फे फुर युंग्स के डायरेक्टर राल्फ रोएटन ने भी शरणार्थियों द्वारा पैसे के लिए अपना शरीर बेचने की रिपोर्टों की पुष्टि की है. इंफोमाइग्रेंट्स से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उनके सहयोगी बर्लिन में शरणार्थियों से मिल रहे हैं और उन्हें एड्स और सेक्स के चलते होने वाली बीमारियों के बारे में जागरूक कर रहे हैं. रोएटन के मुताबिक सेक्स बेचने के लिये मजबूर होने वाले शरणार्थियों में ज्यादातर सीरिया, इराक और अरब देशों के युवा हैं.
दुनिया के सबसे बड़े देह बाजार
हैवोकस्कोप रिसर्च इंस्टीट्यूट ने कई देशों में होने वाले देह व्यापार के आंकड़े जमा किये हैं. इसमें भारत को भी बड़ा बाजार बताया गया है. एक नजर इन देशों पर.
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12. इंडोनेशिया: 2.25 अरब डॉलर
इंडोनेशिया में देह व्यापार गैरकानूनी है. इसे नैतिक अपराध माना जाता है. लेकिन इसके बावजूद मुस्लिम बहुल इंडोनेशिया में देह व्यापार काफी फैला हुआ और संगठित है. यूनिसेफ के मुताबिक इंडोनेशिया में देह व्यापार से जुड़ी 30 फीसदी युवतियां नाबालिग है.
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11. स्विट्जरलैंड: 3.5 अरब डॉलर
स्विट्जरलैंड में देह व्यापार के अड्डे को आम तौर पर "सेक्स रूम" कहा जाता है. इसे सरकार से वित्तीय मदद भी मिलती है. यह शहर के केंद्र से बाहर होते हैं. वहां शावर, लॉकर, डेस्क और वॉशिंग मशीन भी होती है. ज्यूरिख शहर ने तो देह व्यापार के ठिकाने को शहर से दूर बसाने के लिए 26 लाख डॉलर भी दिए.
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10. तुर्की: 4 अरब डॉलर
तुर्की में देह व्यापार कानूनी है लेकिन देह व्यापार को बढ़ावा देना प्रतिबंधित है. तुर्की का अप्रावसन कानूनी देह व्यापार के लिए तुर्की आने की इजाजत नहीं देता है. लेकिन इसके बावजूद तुर्की 10वें नबंर पर है.
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9. फिलीपींस: 6 अरब डॉलर
देह व्यापार फिलीपींस में गैरकानूनी है. लेकिन सब जानते हैं कि फिलीपींस सेक्स टूरिज्म के लिए किस हद तक बदनाम है. बहुत ज्यादा गरीबी और इंटरनेट तक आसान पहुंच ने इस देश को सेक्स टूरिज्म के लिए चुंबक जैसा बना दिया है. बच्चे और नाबालिग भी इसका शिकार हो रहे हैं.
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8. थाइलैंड: 6.4 अरब डॉलर
यह देश भी सेक्स टूरिज्म के लिए मशहूर है. थाइलैंड में देह व्यापार कानूनी है. यहां खास जगहों पर ही देह व्यापार की अनुमति है. स्थानीय अधिकारी कभी कभार यौनकर्मियों की रक्षा भी करते हैं. वियतनाम युद्ध के बाद से ही थाइलैंड सेक्स टूरिज्म के लिए मशहूर हुआ.
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7. भारत: 8.4 अरब डॉलर
आबादी के लिहाज से दुनिया के दूसरे बड़े देश, भारत में देह व्यापार से जुड़ा कानून बड़ा उलझा हुआ है. पैसे के लिए सेक्स करना कानूनी है लेकिन सार्वजनिक जगहों पर, होटल में ऐसा करना, अड्डा चलाना या इसे बढ़ावा देना गैरकानूनी है. निजी आवास में बालिग के साथ आपसी सहमति से सेक्स करना कानूनी है.
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6. दक्षिण कोरिया: 12 अरब डॉलर
हालांकि दक्षिण कोरिया में यह गैरकानूनी है लेकिन कोरियन वुमेन्स डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट कुछ और ही कहानी बयान करती है. दक्षिण कोरिया में देह व्यापार का कारोबार 12-13 अरब डॉलर का है. यह जीडीपी का 1.6 फीसदी है. रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण कोरिया के 20 से 64 साल के 20 फीसदी पुरुष महीने में औसतन 580 डॉलर देह व्यापार पर खर्च करते हैं.
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5. अमेरिका: 14.6 अरब डॉलर
अमेरिका में आम तौर पर देह व्यापार कानूनी है. हालांकि नेवाडा राज्य के कुछ इलाकों में यह गैरकानूनी है. अमेरिका में देह व्यापार के लिए आधिकारिक तौर पर आवेदन किया जा सकता है. इस कारोबार से जुड़े लोगों को टैक्स, कर्मचारियों की हिफाजत, न्यूनतम मजदूरी, बीमा, मेडिकल जांच के नियम मानने पड़ते हैं.
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4. जर्मनी: 18 अरब डॉलर
अनुमान के मुताबिक जर्मनी में 40,000 सेक्स वर्कर हैं. यह कानूनी है लेकिन सामाजिक दशा और अधिकारों से जुड़े कई नियम हैं. यौनकर्मियों को दूसरे पेशों की तरह सामाजिक सुरक्षा मिल सकती है. देह व्यापार के लिए मजबूर करना या स्थिति का लाभ उठाना अपराध है.
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3. जापान: 24 अरब डॉलर
देह व्यापार जापान के इतिहास के साथ जुड़ा है. 1956 के एंटी प्रोस्टिट्यूशन एक्ट के मुताबिक, "कोई भी व्यक्ति यौनकर्मी नहीं बनेगा और ना ही ग्राहक बनेगा." कानूनी कमियों के चलते जापान में सेक्स उद्योग शुरू हुआ, यह उद्योग खुद को देह व्यापार नहीं कहता है.
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2. स्पेन: 26.5 अरब डॉलर
यूएन यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के मुताबिक 39 फीसदी स्पेनिश पुरुषों ने एक बार यौनकर्मी से संबंध बनाए हैं. 2009 में स्पेन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक सर्वे किया जिसमें 32 फीसदी पुरुषों ने यह स्वीकारा. यह हॉलैंड और ब्रिटेन की तुलना में 14 फीसदी ज्यादा है.
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1. चीन: 73 अरब डॉलर
दुनिया का सबसे बड़ा यौन कारोबार उस देश में होता है जहां देह व्यापार गैरकानूनी है. चीन में सरकार यौनकर्मियों के साथ अपराधियों की तरह पेश आती है. समय समय पर छापे मारे जाते हैं लेकिन इसके बावजूद चीन के मसाज पार्लरों, बारों और नाइट क्लबों में यह फलता फूलता रहा है.