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समाज

युद्ध और आपदा से विस्थापन

२८ अप्रैल २०२०

आपदा और युद्ध के कारण पिछले साल 3.34 करोड़ लोग अपने ही देश के भीतर शरणार्थी बन गए. यह आंकड़ा 2012 के बाद सबसे अधिक है.

Somalia Mogadishu | Coronavirus | Flüchtlingslager
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Mohamed

2012 के बाद इतनी बड़ी संख्या में लोगों को अपने देश के ही भीतर घर छोड़ना पड़ा. साल 2019 में 3.34 करोड़ लोग बेघर हो गए और उन्हें रिफ्यूजी की तरह रहना पड़ रहा है. जेनेवा स्थित इंटरनल डिस्प्लेसमेंट मॉनिटरिंग सेंटर (आईडीएमसी) के मुताबिक 2019 में संघर्ष की जगह प्राकृतिक आपदाओं की वजह से बहुत से लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हए. जो लोग पिछले साल बेघर हो गए उनमें ऐसे लोग भी शामिल हैं जो आपदा से बचने के लिए घर छोड़ कर चले गए. ऐसे लोगों की संख्या 2.49 करोड़ है.

रिपोर्ट में बांग्लादेश, भारत और मोजांबिक जैसे देशों में पिछले साल आए चक्रवाती तूफान का जिक्र किया गया है. अफ्रीका में आई बाढ़ के कारण भी लोग रिफ्यूजी बनने को मजबूर हुए. संघर्ष के कारण भी लोग अपने देशों में ही शरणार्थी बन गए. संघर्ष के कारण 85 लाख लोग विस्थापित हुए. बुर्किना फासो, कांगो, इथियोपिया,दक्षिण सूडान और सीरिया जैसे देशों में संघर्ष जारी है. साल की समाप्ति पर वैश्विक रूप से विस्थापित हुई आबादी की संख्या 5.8 करोड़ हो चुकी थी. कुल संख्या में इससे पिछले साल विस्थापित हुए लोग भी शामिल हैं.

नॉर्वेजियन रिफ्यूजी काउंसिल (एनआरसी) के प्रमुख यान इगेलैंड कहते हैं, "सामूहिक रूप से हम दुनिया के सबसे कमजोर वर्ग को सुरक्षित करने में असफल हो रहे हैं." एक बयान में उन्होंने कहा, "कोरोना वायरस के इस दौर में जारी राजनीतिक हिंसा पूरी तरह से संवेदनहीन है." उन्होंने सरकारों से संघर्ष विराम और शांति वार्ता की अपील की है. आईडीएमसी की निदेशक एलेक्जेंड्रा बिलाक कहती हैं कि कोरोना वायरस महामारी के कारण आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों के लिए और अधिक खतरा पैदा हो रहा है. बिलाक के मुताबिक, "इस कारण उनके पहले से ही रहने वाले हालात से समझौता होगा. उन तक पहुंचाई जानी वाली मदद और मानवीय सहायता भी सीमित हो जाएगी."

आईडीएमसी का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी के चलते विस्थापित लोगों को मौसम की मार पड़ने से पहले उनके घरों तक पहुंचाना सरकारों के लिए कठिन काम होगा क्योंकि हजारों लोगों को एक साथ आश्रयों में नहीं रखा जा सकता है. विस्थापित हुए लोग भी रिलीफ कैंपों में रहते हैं और ऐसे में वहां भी संक्रमण का खतरा अधिक रहता है. बिलाक कहती हैं, "आप कोविड-19 के प्रसार से लड़ने के लिए अपनी राष्ट्रीय कोशिशों के साथ उन संवेदनशील मानवीय राहत प्रयासों को कैसे संतुलित करते हैं यह एक मुश्किल भरा काम होने वाला है."

एए/सीके (डीपीए)

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