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क्या ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से राहुल गांधी की छवि सुधरी?

२७ जनवरी २०२३

जैसे-जैसे कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ अपने अंतिम पड़ाव की ओर पहुंच रही है, कई विशेषज्ञ मान रहे हैं कि उनकी छवि सुधरी है. हालांकि सोशल मीडिया पर ‘फर्जी वीडियो’ ने उनका पीछा नहीं छोड़ा है.

पांच महीने चली भारत छोड़ो यात्रा में राहुल गांधी
पांच महीने चली भारत छोड़ो यात्रा में राहुल गांधीतस्वीर: Altaf Qadri/AP/picture alliance

क्या राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान फोन पर अश्लील नाच देखा? क्या कांग्रेस नेता ने यात्रा के दौरान राहुल गांधी के पांव छुए? क्या भारत जोड़ो यात्रा के दौरान पाकिस्तान का झंडा लहराया गया? इन सारे सवालों के जवाब ना में हैं.

ये सवाल उन फर्जी वीडियो संदेशों से निकले हैं जिन्हें भारत जोड़ो यात्रा के दौरान सोशल मीडिया पर प्रसारित किया जाता रहा. हालांकि इस दुष्प्रचार के बावजूद बहुत से विशेषज्ञ मान रहे हैं कि यात्रा से राहुल गांधी की छवि में सुधार हुआ है और वह ‘प्ले बॉय' की अपनी इमेज से निकलकर एक गंभीर नेता के रूप में स्वीकार्यता बढ़ाने में कामयाब रहे हैं.

राहुल गांधी की 3,500 किलोमीटर लंबी भारत जोड़ो यात्रा अगले हफ्ते पूरी हो रही है. 52 वर्षीय गांधी ने दक्षिण से अपनी यात्रा शुरू करके उत्तरी राज्यों तक पूरे भारत का सफर किया है. इस यात्रा को भारत के मुख्य धारा के मीडिया ने बहुत कम जगह दी लेकिन सोशल मीडिया पर लोग इसके बारे में बात करते रहे.

क्या भारत के लिए महत्वहीन होती जा रही है कांग्रेस

इसी दौरान एक के बाद एक दर्जनों ऐसे वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हुए जिनमें गलत-सलत दावे किए गए थे. मसलन एक वीडियो में राहुल गांधी को एक अश्लील बोलों वाला गीत फोन पर देखते दिखाया गया. हालांकि बाद में पता चला कि वीडियो में ऑडियो बाद में जोड़ी गई थी और यह एक बॉलीवुड गीत था जिस पर गलत ऑडियो लगा दिया गया था.

भाजपा की तरफ से फर्जी वीडियो

एक अन्य वीडियो में दावा किया गया कि राहुल गांधी की मेज पर शराब परोसी गई. यह वीडियो भी डिजिटल छेड़छाड़ करके तैयार किया गया था. भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित मालवीय ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर करते हुए दावा किया कि एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने राहुल गांधी के फीते बांधे.

मालवीय ने लिखा, "पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जीतेंद्र सिंह ने घुटनों पर झुककर राहुल गांधी के फीते बांधे. यह घमंडी बिगड़ैल अपने आप काम करने के बजाय उनकी पीठ थपथपाता दिखा.” यह वीडियो दस लाख से ज्यादा बार देखा गया.

हालांकि यह दावा गलत साबित हुआ. भवंर जींतेंद्र सिंह ने कहा, "यात्रा में चलते हुए मेरे जूते के फीते खुल गए, तभी राहुल गांधी जी की नजर पड़ी और उन्होंने मुझे फीते बांध लेने को कहा. इस छोटी सी बात को गलत तरीके से पेश कर देश को गुमराह करने के लिए राहुल गांधी जी से माफी मांगे अमित मालवीय.” यह वीडियो दो लाख से भी कम लोगों तक पहुंचा.

इस बारे में समाचार एजेंसी एएफपी ने मालवीय से टिप्पणी चाही लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. अमित मालवीय द्वारा साझा किए गए वीडियो को दस लाख से ज्यादा बार देखा गया. बाद में ट्विटर ने उसे ‘संदर्भ से बाहर जाकर पेश किया गया' बताते हुए टैग कर दिया.

एएफपी और अन्य समाचार एजेंसियों वह फैक्ट चेकिंग का काम करने वाली कई वेबसाइटों ने ऐसे 30 से ज्यादा फर्जी दावों की सच्चाई पेश की, जो भारत जोड़ो यात्रा के दौरान सोशल मीडिया पर फैलाए गए.

‘बौखला गई है बीजेपी'

कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम की प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत कहती हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने कम से कम 10-15 ‘बड़े झूठ' फैलाए जिनमें राहुल गांधी के खाने-पीने और पहनने से लेकर उन्होंने कैसे पूजा की, यह तक शामिल था. श्रीनेत कहती हैं, "बीजेपी बौखला गई है. यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने राहुल गांधी की छवि बिगाड़ने की कोशिश की है. और वे फिर ऐसा करेंगे. यह एक सोची-समझी मशीनरी है जो मीडिया और बड़े कॉरपोरेट घरानों के साथ मिलकर उन्हें निशाना बना रही है."

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भारत में फर्जी खबरें और गलत दावों का सोशल मीडिया पर विस्फोट का दौर चल रहा है. हाल के सालों में ऐसे संदेशों का जमकर प्रसार हुआ जो ना सिर्फ गलत थे बल्कि जिनके कारण लोगों की जान तक गई. मिशीगन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इन्फॉर्मेशन में एसोसिएट प्रोफेसर जॉयजीत पॉल कहते हैं कि फैक्ट चेकिंग से इन फर्जी खबरों को रोकने में ज्यादा मदद नहीं मिल रही है.

प्रोफेसर पाल ने कहा, "भारत में जिस तरह का ध्रुवीकरण हम देख रहे हैं, लोग सच के बजाय उस बात पर यकीन करेंगे या कम से कम यकीन करने का दावा करेंगे, जो उनकी सोच को सही ठहराता है.”

छवि में सुधार

पांच महीने तक पैदल चलने के दौरान राहुल गांधी ने भारत की सड़कें ही नहीं नापीं, उन्होंने यह दिखाने की भी कोशिश की कि वह एक शाही राजनीतिक परिवार की संतान नहीं बल्कि एक आम आदमी हैं. उनके आलोचक भी मान रहे हैं कि इस यात्रा ने राहुल गांधी की छवि सुधारने में मदद की है.

राजनीतिक विश्लेषक पारसा वेंकटेश्वर जूनियर कहते हैं, "गलत हो या सही, बीजेपी के प्रचार के कारण उन्हें लोग एक निकम्मे व्यक्ति के रूप में देखने लगे थे. वह उसे बदलने में कामयाब रहे हैं.”

नई दिल्ली में काम करने वालीं राजनीति विश्लेषक जोया हसन कहती हैं, "राहुल गांधी ने खुद कहा है कि उनके पास इस यात्रा के जरिए लोगों के पास जाने और सोशल मीडिया पर इसके बारे में लिखने के अलावा कोई चारा नहीं था.” हसन कहती हैं कि जो भी विपक्ष की आलोचना हो वही प्राइम न्यूज बन जाती है और जो लोगों को साथ लाने वाली सकारात्मक बातें हों, उनकी कोई खबर नहीं हो रही है.

हालांकि राव को इस बात पर संदेह है कि राहुल गांधी की इस यात्रा या छवि में सुधार से कांग्रेस को मत मिलेंगे. वह कहते हैं, "उन्होंने अपनी सार्वजनिक छवि तो सुधार ली है लेकिन इससे वोट मिलेंगे या नहीं इस बारे में मैं पक्के तौर पर कुछ नहीं कह सकता.”

वीके/एए (एएफपी, एपी)

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