डेल्टा वेरिएंट को सबसे तेजी से फैलने वाले वायरस संस्करण के रूप में बताया गया है. भारत, दक्षिण अफ्रीका और कई अन्य देशों में इसकी पहचान के बाद अब पाकिस्तान में इसके फैलने की पुष्टि हो गई है.
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पाकिस्तानी सरकारी अधिकारियों ने आधिकारिक तौर पर कई क्षेत्रों में कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के फैलने की पुष्टि की है. डेल्टा के मामले में बढ़ोतरी ने आम जनता में यह आशंका बढ़ा दी है कि संस्करण से प्रभावित क्षेत्रों में एक सख्त तालाबंदी की जा सकती है. डेल्टा वेरिएंट को पहली बार भारत में साल 2020 के आखिर में पाया गया था.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 31 मई 2021 को इसे डेल्टा संस्करण का नाम दिया था. पाकिस्तान में पिछले महीने गिरावट के बाद जुलाई में नए संक्रमण तेजी से बढ़े हैं. पड़ोसी देश भारत में डेल्टा वेरिएंट की तबाही के बाद अब पाकिस्तान में इसके मामले सामने आ रहे हैं.
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार में वरिष्ठ मंत्री असद उमर पहले ही कह चुके हैं कि देश जुलाई में कोरोना की चौथी लहर का सामना कर सकता है. अब उनका डर सच साबित होने लगा है. कई शहरों में, डेल्टा वेरिएंट के डर से जांच के लिए हजारों लोग हर रोज अलग-अलग परीक्षण केंद्रों पर कतार में लग रहे हैं.
इस संदर्भ में पाकिस्तान के स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता अफजल खान ने समाचार एजेंसी डीपीए से बात करते हुए इस बात की पुष्टि की कि वास्तव में लोग इस वेरिएंट से डरे हुए हैं. खान के मुताबिक, "डेल्टा वेरिएंट के फैल जाने के बाद से हजारों भयभीत लोग जांच केंद्रों में सुबह से ही कतार में लग जाते हैं. वे सभी परेशान लग रहे हैं."
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लग रहा है लॉकडाउन
स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और रावलपिंडी में डेल्टा के मामले सामने आने के बाद लगभग दो दर्जन इलाकों में लॉकडाउन लगाया गया है.
इस्लामाबाद जिला स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख जईम जिया के मुताबिक, "पाकिस्तान में कोरोना के जितने वेरिएंट आए उसके मुकाबले डेल्टा वेरिएंट बहुत तेजी से फैल रहा है. यह चिंता का विषय है."
जिया ने यह भी कहा कि सरकार स्थिति से अवगत है और इसे प्रभावित क्षेत्रों तक सीमित रखने की पूरी कोशिश कर रही है.
पाकिस्तान में चौथी लहर!
घातक वायरस की चौथी लहर का सामना कर रहे पाकिस्तान ने इस सप्ताह रोजाना संक्रमण में 40 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की और 22,500 से अधिक मौतें. देश में अब तक कोरोना के 10 लाख के करीब मामले आ चुके हैं.
पाकिस्तान सरकार के स्वास्थ्य मामलों के विशेष सहायक डॉ. फैसल सुल्तान का कहना है कि अब तक पाकिस्तान कोविड-19 के चंगुल में आने से कुछ हद तक बच गया था लेकिन डेल्टा संस्करण ने चिंता बढ़ा दी है. पड़ोसी देश भारत में तबाही का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान में ऐसा हुआ तो यह भारी तबाही होगी.
रावलपिंडी में एक बच्चे के पिता 42 वर्षीय मुदस्सर इरशाद कहते हैं, "हमने अपने टेलीविजन स्क्रीन पर देखा है कि इस वेरिएंट ने भारत में क्या किया है. मुझे डर है कि अगर पाकिस्तान में भी ऐसा ही होता है, तो यह बहुत बड़ी त्रासदी होगी."
पाकिस्तान में कोरोना के खिलाफ टीका लगाने की रफ्तार बहुत सुस्त है. वैक्सीन की सप्लाई में कमी के कारण अब तक सिर्फ दो करोड़ लोगों को ही टीका लग पाया है. 22 करोड़ की आबादी वाला देश अपनी जनता को वैक्सीन लगाने के लिए विदेशी टीकों पर निर्भर पर है.
एए/वीके (डीपीए, रॉयटर्स)
कुत्तों और बिल्लियों को भी हो सकता है कोरोना
कोविड-19 के मरीजों से कोरोना का संक्रमण उनके पालतू कुत्तों और बिल्लियों में भी फैल सकता है. उनमें भी लक्षण दिखते हैं लेकिन वे अक्सर मामूली होते हैं.
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कोरोना में दूरी रखना ही बेहतर
अगर इंसानों को कोविड-19 है तो उन्हें कुत्तों से घुलने-मिलने और चिपटने से परहेज करना चाहिए. उटरेष्ट के शोधकर्ताओं ने उन 48 बिल्लियों और 54 कुत्तों की नाक और खून के सैंपल लिए जिनके मालिकों को पिछले 200 दिन में कोविड-19 संक्रमण हुआ था. और गजब! 17.4% मामलों में कोरोना निकला. 4.2% जानवरों में लक्षण भी दिखे.
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जानवर भी बीमार पड़ सकते हैं
संक्रमित होने वाले एक चौथाई जानवर भी बीमार पड़े थे. अधिकांश जानवरों में बीमारी हल्की थी, तीन की हालत ज्यादा गंभीर थी. फिर भी चिकित्सा विशेषज्ञ ज्यादा चिंतित नहीं हैं. वे कहते हैं कि महामारी में पालतू जानवरों की खास भूमिका नहीं है. बड़ा खतरा तो मनुष्यों के बीच संक्रमण का है.
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जानवर पालें या नहीं?
ये तो मार्च 2020 में ही पता चल गया था कि बिल्लियों में भी कोरोना हो सकता है. ये बात पहली बार बताई थी, चीन के हार्बिन में वेटेरिनरी रिसर्च इन्स्टीट्यूट ने. उसी ने ये भी बताया था कि कोरोना एक बिल्ली से दूसरी बिल्लियों में भी जा सकता है. लेकिन पशु चिकित्सक हुआलान शेन कहते हैं, ये इतना आसान नहीं.
बिल्लियां पालने वाले लोग घबराएं नहीं. बिल्लियां वायरस के खिलाफ तुरंत एंटीबॉडी बना लेती हैं इसलिए लंबे समय तक संक्रमित नहीं रहतीं. कोविड-19 के गंभीर मरीज अपनी पालतू बिल्लियों को कुछ समय के लिए बाहर न जाने दें. और जो लोग स्वस्थ हैं वे अंजान जानवरों को थपथपाने के बाद करीने से हाथ धो लें.
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कौन किसे संक्रमित करता है?
रोम में घूमते निकले इस पालतू सुअर को क्या कुत्ते से एक सुरक्षित दूरी बनाकर चलना चाहिए? इस सवाल पर भी फिर से गौर करना होगा. सुअर कोरोना वायरस के कैरियर नहीं हैं, ये दावा 2020 में हार्बिन के शोधकर्ताओं ने किया था. लेकिन तब उन्होंने कुत्तों के मामले में भी यही कहा था. क्या आज भी वे ऐसा कह सकते हैं?
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जब इंसान ही बन जाएं खतरा
मलेशिया की चार साल की बाघिन नादिया, न्यू यार्क के एक चिड़ियाघर में रहती है. 2020 में उसमें कोरोना मिला था. चिड़ियाघर के प्रमुख पशु चिकित्सक ने नेशनल ज्योगॉफ्रिक पत्रिका को बताया कि ये मनुष्यों से जंगली जानवरों में होने वाला, कोविड-19 का पहला मामला था.
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चमगादड़ों पर बेकार का दोष?
माना जाता है कि वायरस जंगल से आया. चमगादड़ ही सार्स-कोवि-2 के सबसे पहले कैरियर मान लिए गए. लेकिन पशु चिकित्सक कहते हैं कि दिसंबर 2019 में वुहान में चमगादड़ों और इंसानों के बीच कोई और प्रजाति बतौर इंटरमीडियट होस्ट रही होगी. ये कौनसा जानवर होगा, अभी ठीक से पता नहीं चला है.
ये रकून, ज्ञात सार्स वायरसों का वाहक है. वायरोलॉजिस्ट क्रिस्टियान ड्रॉस्टन इसे एक गंभीर वायरस कैरियर मानते हैं. वो कहते हैं कि चीन में बड़े पैमाने पर फर के लिए रकून का शिकार होता है या फार्मों में उनकी ब्रीडिंग की जाती है. उनके मुताबिक रकून पर ही सबसे ज्यादा शक है.
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या ये नन्हा जानवर है जिम्मेदार?
पैंगोलिन पर भी वायरस फैलाने का शक है. हांगकांग, चीन और ऑस्ट्रेलिया के रिसर्चरों ने मलेशियाई पैंगोलिन में सार्स-कोवि-2 से हूबहू मिलतेजुलते वायरस की पहचान की है.
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गंधबिलावों का क्वारंटाइन
हुआलान शेन ने फैरेट यानी गंधबिलावों पर भी प्रयोग किए. नतीजा ये निकला कि इनमें भी कोरोना वायरस उसी तरीके से पनपता है जैसा आम बिल्लियों में.
विशेषज्ञों ने मुर्गीपालन से जुड़े लोगों को क्लीन चिट दी है. जैसे कि चीन के वुहान का ये व्यापारी. वैज्ञानिक मानते हैं कि, 2019 में वायरस का पहला मामला, वुहान में ही आया था. इंसानों को घबराने की जरूरत नहीं, क्योंकि मुर्गियों में सार्स-कोवि-2 के खिलाफ इम्युनिटी होती है. और बत्तखों और दूसरे परिंदों में भी.