पालतू कुत्तों के एक दूसरे के साथ खेलने की अधिक संभावना तब होती है, जब उनका मालिक वहां मौजूद रहता है. एक नए अध्ययन के मुताबिक कुत्ता ऐसा करते हैं क्योंकि वे अपने मालिक को लुभाना चाहते हैं.
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कुत्तों और इंसानी रिश्ते पर नए शोध की मुख्य लेखक और पशु व्यवहार विज्ञान विशेषज्ञ लिंडसे मेहरकम कहती हैं कि हमारे कुत्ते अपने मालिक द्वारा रूचि के स्तर पर ध्यान देते हैं जो कि अच्छी तरह से स्थापित है. वे कहती हैं, "लेकिन हम किसी भी ऐसे शोध के बारे में नहीं जानते हैं जिसमें इंसानी दर्शक के प्रभाव को दिखाया गया हो जो प्रजातियों के व्यवहार को प्रभावित करते हैं. इस मामले में कुत्तों के बीच का खेल है."
मॉनमाउथ यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान की सहायक प्रोफेसर मेहरकम की देखरेख में 10 जोड़े पालतू कुत्तों पर प्रयोग किया गया जो पिछले छह महीने से साथ रह रहे थे. कुत्तों के मालिक के मुताबिक दोनों दिन में कम से कम एक बार खेल खेलते थे. शोधकर्ताओं ने कुत्ते के जोड़े का तीन शर्तों के साथ वीडियो बनाया- जहां मालिक गैरहाजिर था, जहां मालिक मौजूद था लेकिन उन्हें अनदेखा कर रहा था और जहां मालिक मौजूद था और मौखिक प्रशंसा और दुलार कर रहा था. शोधकर्ताओं ने इस प्रयोग को ठोस बनाने के लिए प्रत्येक स्थिति को अगले कुछ दिनों में तीन बार दोहराया.
मेहरकम कहती हैं, "हमने पाया कि मालिक के मौजूद रहने से कुत्तों के बीच खेल सुविधाजनक बनता है." इंसान के ध्यान बढ़ने से कुत्तों के बीच कुश्ती, पीछा करना और कोमल रूप से काटने जैसे व्यवहार बढ़ जाते हैं. शोध के सह लेखक और एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के क्लाइव वाइन के मुताबिक, "यह वास्तव में काफी हैरानी की बात है कि कुत्तों को जब भी एक दूसरे के साथ खेलने का मौका मिलता है वे खेलते हैं लेकिन जब कोई इंसान ध्यान देता है तो वे ज्यादा खेलना शुरू कर देते हैं."
अपने पालतू जानवरों से तो सभी प्यार करते हैं लेकिन उनके खानपान और दूसरी जरूरतों पर खर्च करने में जर्मन लोग काफी आगे हैं.
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अरबों का खर्च
ट्रेड एसोसिएशन के आंकड़े दिखाते हैं कि जर्मन लोगों ने केवल एक साल 2019 में पालतू जानवरों पर 5 अरब यूरो खर्च किए. लोग ना केवल उनके खानपान के सामान बल्कि इनके खास खिलौनों, कपड़ों और दूसरी एक्सेसरीज और ग्रूमिंग पर भी पैसे खर्च करते हैं.
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बढ़ा ऑनलाइन शॉपिंग का चलन
जर्मनी की रीटेल पेट शॉप में 4.325 अरब यूरो की बिक्री हुई जो कि पिछले साल के मुकाबले 2.4 फीसदी ज्यादा थी. पालतू जानवरों के लिए ऑनलाइन चीजें मंगवाने का चलन भी बढ़ा है. एक साल में करीब 70.5 करोड़ यूरो की खरीदारी की गई.
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जंगली पक्षियों का भी ख्याल
जर्मन लोगों ने अपने पालतू जानवरों के अलावा जंगली पक्षियों को खिलाने के लिए भी करीब 12.5 करोड़ यूरो का दाना ऑनलाइन खरीदा. ये वे पक्षी हैं जो शहरों के व्यस्त चौराहों पर या जंगलों में यूं ही भटकते मिलते हैं.
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बिल्ली पसंद जर्मन
बिल्ली के खाने पर लोगों ने सबसे ज्यादा खर्च किया. इस पर 1.6 अरब यूरो खर्च हुए. देश में सबसे पसंदीदा पालतू जानवर बिल्ली ही है और 1.47 करोड़ बिल्लियां लोगों के घरों में उनके साथ रहती हैं. गनीमत है कि बिल्ली पालने पर मालिक को अतिरिक्त टैक्स नहीं भरना पड़ता.
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नंबर दो पर कुत्ता
कुत्ते के खाने पर जर्मनी में एक साल में करीब 1.5 अरब यूरो खर्च हुए. रीटेल शॉप्स से कुत्तों की चीजों की खरीदारी में काफी बढ़त दर्ज हुई. देश में एक करोड़ से अधिक पालतू कुत्ते हैं और चूंकि मालिक को इन पर टैक्स भरना पड़ता है इसलिए एक एक की गिनती होती है.
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कुछ खास पेट्स
कुत्ते, बिल्लियों के अलावा भी लोगों ने करीब 52 लाख दूसरे छोटे जीव पाले हैं. अगर चिड़िया, मछली और शीशे में रखे जाने वाले दूसरे छोटे जानवरों को जोड़ लें तो जर्मनी के करीब 45 फीसदी घरों में कोई ना कोई पालतू जीव है. आरपी/आईबी (डीपीए)