'डॉग्स एंड पुअर इंडियंस आर स्टिल नॉट अलाउड'
१३ जून २०१६विज्ञापन
मशहूर पर्यटक नगरी नैनीताल के बुजुर्ग बाशिंदों से आप बात करें तो वे बताएंगे कि कैसे उस दौर में नैनीताल की मॉल रोड में भारतीयों के चलने पर पाबंदी थी और बोर्ड टंगा होता था, 'डॉग्स एंड इंडियंस आर नॉट अलाउड', यानि 'कुत्तों और भारतीयों का प्रवेश वर्जित है'. नैनी झील के किनारे किनारे चलते मॉल रोड में दो परतें हैं. फैली हुई खूबसूरत मॉल रोड के बजाय भारतीय केवल, उससे कुछ इंच नीचे झील से चिपकी दूसरी संकरी सड़क पर ही चल सकते थे. यह भारतीयों की गुलामी और ब्रिटिश प्रभुसत्ता का प्रतीक था. साथ ही यह उस 'श्रेष्ठता बोध' के घमंड का भी प्रतीक था जिसकी पैठ ब्रिटिश साम्राज्य की चेतना में हमेशा ही बहुत गहरे थी.
आज इतिहास के इस दूसरे छोर पर खड़े होकर किसी भी व्यक्ति को यह बात अमानवीय लगेगी लेकिन उस दौर में यह स्वीकार्य थी. वो औपनिवेशिक दौर था और ब्रिटिश साम्राज्य का भारत पर कब्जा था. लेकिन आजादी के करीब 7 दशक बीत जाने के बाद भी भारत में कई ऐसी जगहें हैं जहां, कम से कम गरीब भारतीयों के आने पर अघोषित पाबंदी है.
इसका एक उदाहरण दिल्ली में पिछले दिनों दिखाई दिया. सोनाली शेट्टी नाम की एक महिला अपने पति के जन्मदिन के मौके पर कुछ गरीब बच्चों को खाना खिलाना चाहती थीं. उन्होंने राजधानी दिल्ली के बीचों बीच मौजूद कनॉट प्लेस में कुछ बच्चों को जुटाया और उन्हें लेकर टॉलस्टॉय रोड पर मौजूद शिवसागर रेस्टोरेंट गईं. लेकिन वहां उन्हें रेस्टोरेंट के मालिक ने भीतर नहीं बैठने दिया. उसका तर्क था कि बच्चों ने गंदे कपड़े पहने हैं, वे साफ सुथरे नहीं हैं.
दिल्ली के एक पत्रकार ने सोनाली से इस मामले पर बात कर उसका वीडियो यूट्यूब पर अपलोड किया है. इस वीडियो में अपने साथ हुए वाकये से आहत सोनाली का कहना है, ''गांधी जी को किसी ने यही कहा था कि 'डॉग्स एंड इंडियंस आर नॉट अलाउड', और यह रेस्तरां वाले भी वही कर रहे हैं कि पुअर किड्स एंड डॉग्स आर नॉट अलाउड.'' वे कहती हैं कि वे बच्चों को पैसे देकर खाना खिला रहीं थीं ना कि मुफ्त में. रेस्टोरेंट वालों को बच्चों के कपड़ों से एतराज नहीं होना चाहिए था. हालांकि इस मामले के गर्माने के बाद दिल्ली सरकार के वरिष्ठ मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि वे इस मामले की जांच करवाएंगे और दोषी पाए जाने पर रेस्टोरेंट का लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा.
यूं तो सोनाली के साथ हुआ यह वाकया बेहद आम है. देश भर में गरीब तबके के बच्चों और लोगों को यह हर रोज झेलना होता है. उनके लिए देश भर की संभ्रांत जगहों में हमेशा ही एक अदृश्य बोर्ड टंगा होता है जिसकी क्लिष्ठ भाषा सिर्फ ये अनपढ़ ही पढ़ सकते हैं, ''डॉग्स एंड पुअर इंडियंस आर स्ट्रिक्टली नॉट अलाउड!''
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