कुत्तों की नाक में होता है खास तरह का ‘इंफ्रारेड सेंसर’
६ मार्च २०२०
एक शोध से पता चला है कि कुत्तों की नाक के सिरे पर एक प्रकार का इंफ्रारेड सेंसर होता है जो उन्हें तापमान में बदलाव का पता लगाने में सक्षम बनाता है.
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एक नए शोध से पता चला है कि कुत्ते इंफ्रारेड सेंसर के जरिए तापमान में बदलाव का पता लगा सकते हैं, जैसा की तब होता है जब अन्य जानवर कुत्तों के आस-पास होते हैं. यह ‘इंफ्रारेड सेंसर' कुत्तों की नाक के छोर पर होता है.
स्वीडन की लुंद यूनिवर्सिटी और हंगरी की एटवोस लोरैंड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस खोज से यह समझने में मदद मिलेगी कि जानवरों को अपने शिकार का पता कैसे लगता है, तब जब अन्य इंद्रियां जैसे दृष्टि, सुनने की शक्ति और गंध बाधित हो जाती है. यह शोध साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुआ है. शोध में वैज्ञानिकों ने यह पाया कि कुत्तों की नाक की नोक पर नग्न, गीली त्वचा की सतह जो तंत्रिकाओं के छोर से भरी हुई है वह इंफ्रारेड सेंसर के तौर पर काम करती है. शोध की मुख्य लेखक एना बालिंट के मुताबिक, "कुत्ते गर्म शरीर से आने वाले थर्मल विकिरण को महसूस करने में सक्षम होते हैं और वे इस संकेत के मुताबिक अपने व्यवहार को भी निर्देशित कर सकते हैं.”
वह कहती हैं, "हमने अपने परीक्षण में यह जानने की कोशिश की कि जब कुत्तों को उच्च तापमान की तुलना में ठंडे तापमान वाली वस्तु के संपर्क में लाया गया तो क्या उनके मस्तिषक में एक खास हलचल हुई.”
ब्रेन स्कैन में यह पता चला कि कुत्तों को जब उनके आस-पास से अधिक तापमान वाली वस्तुओं के संपर्क में लाया गया तो उनके मस्तिष्क की गतिविधियां बढ़ गई. लुंद यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक रॉनल्ड क्रोगर के मुताबिक, "यह संभव है कि अन्य मांसभक्षी जानवर भी इसी तरह के इंफ्रारेड सेंसर से लैस हों जिसका मतलब है कि शिकार और शिकारी के बीच संबंधों की कहानी में एक नया अध्याय जुड़ गया है.”
साथ ही उनका कहना है कि शिकारी और शिकार की रणनीतियों का पुनर्मूल्यांकन किया जाना चाहिए और शरीर की गर्माहट को ध्यान में रखते हुए शिकारी जानवरों के जीव विज्ञान पर फिर से विचार करना चाहिए. इस शोध में अन्य कुत्तों के अलावा गोल्डन रिट्रीवर्स और बॉर्डर कॉलीस शामिल थे.
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बिल्लियां इंसानों के जज्बात समझती हैं. उन्हें एहसास होता है कि कब उनके मालिक का मूड अच्छा है और कब बुरा.
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बिल्लियां दिन में 16 घंटे सोती हैं. बाकी के वक्त में से एक तिहाई यानि लगभग तीन घंटे वे खुद को साफ करने में लगाती हैं.
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जिस तरह से इंसानों की पहचान फिंगरप्रिंट्स से होती है, वैसे ही बिल्लियां नाक के प्रिंट से पहचानी जाती है.
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कुत्तों की तुलना में बिल्लियों का दिमाग इंसानों से ज्यादा मेल खाता है. यहां तक कि वे इंसानों की ही तरह सपने भी देखती हैं.
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स्तनपायी जीवों में बिल्ली की आंखें अपने शरीर के आकार के अनुसार सबसे बड़ी होती हैं. अधिकतर बिल्लियों की पलकें नहीं होतीं.
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खाने के मामले में बिल्लियां बेहद नखरीली होती हैं. वे भूखी रह लेंगी लेकिन जो खाना उन्हें पसंद नहीं, उसे जबरन नहीं खाएंगी.
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बिल्ली के दूध के दांत बेहद नुकीले होते हैं. लेकिन ये ज्यादा दिन नहीं रहते. छह महीने बाद ये गिर जाते हैं और नए दांत आते हैं.
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बिल्लियां जब पैदा होती हैं, तब आम तौर उनकी आंखें नीली होती हैं. वक्त के साथ साथ उनकी आंखों का रंग बदलता रहता है.
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टर्किश वैन नाम की नस्ल को पानी में रहना बहुत पसंद है. इसके शरीर पर एक ऐसी कोटिंग होती है जिससे यह भींग ही नहीं पाती.
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बिल्लियां नौ हफ्ते गर्भवती रहती हैं. डस्टी नाम की बिल्ली ने अपने जीवन में 420 बिल्लियों को जन्म दिया था. यह रिकॉर्ड 1952 में बना.
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बिल्ली के आगे के पैरों पर पांच-पांच और पीछे के पैरों पर चार-चार उंगलियां होती हैं.
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बिल्ली छलांग लगाने में माहिर होती हैं. वे अपने शरीर के आकार से पांच गुना दूरी तक छलांग लगा सकती है.
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बिल्लियों के शरीर में कुल 230 हड्डियां होती हैं, यानि इंसानों से 24 ज्यादा.
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बिल्ली का दिल इंसानों की तुलना में दोगुना तेजी से धड़कता है, एक मिनट में 110 से 140 बार.
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काली बिल्ली का दिखना अधिकतर जगहों में अपशगुन माना जाता है लेकिन ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में मान्यता इसके विपरीत है.