जर्मन सरकार के जारी किए ताजा आंकड़े दिखाते हैं कि देश में घरेलू हिंसा के शिकारों की तादाद में लगातार पांचवे साल बढ़ोत्तरी हुई है. अपेक्षा के अनुरूप पीड़ितों में ज्यादातर महिलाएं हैं.
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कुल संख्या में बढ़ोत्तरी के साथ साथ ऐसी हिंसा का सामना करने वालों में महिलाओं की संख्या भी कहीं ज्यादा है. जर्मन सरकार ने इस बारे में जारी एक नई रिपोर्ट में 2021 में दर्ज हुए मामलों की संख्या को 143,604 बताया. माना जाता है कि असली मामले इससे कहीं ज्यादा हो सकते हैं क्योंकि जर्मनी जैसे विकसित देश में भी सभी मामलों की आधिकारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई जाती.
करीबियों के हाथों हिंसा झेलती महिलाएं
पूरे जर्मनी में इस साल घरेलू हिंसा के शिकारों में 80 फीसदी से अधिक महिलाएं थीं. वहीं कथित हिंसा करने वालों में लगभग इतने ही पुरुष थे. पारिवारिक मामलों की मंत्री लीसा पाउस ने राजधानी बर्लिन में इस रिपोर्ट को पेश करने के मौके पर कहा, "हर घंटे औसतन 13 महिलाएं अपने करीबी पार्टनर के हाथों हिंसा झेलती हैं. लगभग हर दिन कोई पार्टनर या पूर्व-पार्टनर एक महिला को जान से मारने की कोशिश करता है. लगभग हर तीसरे दिन एक महिला अपने मौजूदा या पूर्व पार्टनर के हाथों जान से मार दी जाती है. यह है सच्चाई. यह भी सच है कि इसके कितने ही शिकार मदद मांगने में भी डरते हैं."
पाउस ने खुद माना कि खासकर महिलाओं की मदद के लिए बनाई गई सेवाओं का भी विस्तार करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द ऐसा करना होगा ताकि भविष्य में जर्मनी में कहीं भी महिलाओं को एक सुरक्षित ठिकाना, सही सलाह और मदद मिल सके."
कड़ी से कड़ी सजा दिए जाने की जरूरत
जर्मनी की आंतरिक मामलों की मंत्री नैंसी फेजर का मानना है कि अपराध करने वालों को उनके किए की सजा दिलवाना भी बेहद जरूरी है. उनका कहना है, "जो पुरुष महिलाओं के खिलाफ हिंसा करते हैं, चाहे वह मानसिक हो या शारीरिक, वे अपराधी हैं, और अपराधी को उनके किये की हम गंभीर से गंभीर सजा देंगे."
फेजर ने घरेलू हिंसा करने वालों को "घृणित और आधारभूत सामाजिक मूल्यों के खिलाफ" बताया. आंकड़े दिखाते हैं कि 2020 के मुकाबले 2021 में घरेलू हिंसा के दर्ज मामलों में 3 फीसदी की कमी आई है. लेकिन अभी यह साफ नहीं है कि इनको पूरे समाज के लिए प्रतीकात्मक तौर पर सही मानना चाहिए या नहीं. कारण यह है कि 2020 में लंबी अवधि तक चले लॉकडाउन के दौरान वैसे भी बहुत से पीड़ित अपनी शिकायतें दर्ज नहीं करवा पाये थे.
आरपी/एनआर (एपी)
घरेलू हिंसा पर क्या कहती हैं भारतीय महिलाएं
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के डेटा से पता चलता है घरेलू हिंसा के बारे में महिलाओं की क्या सोच है और वे इसे कितना जायज मानती हैं.
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घरेलू हिंसा जायज?
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के ताजा सर्वे के मुताबिक तीन राज्यों तेलंगाना (84 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (84 प्रतिशत) और कर्नाटक में (77 प्रतिशत) से अधिक महिलाओं ने पुरुषों द्वारा अपनी पत्नियों की पिटाई को सही ठहराया.
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महिलाओं और पुरुषों की राय
एनएफएचएस ने 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुरुषों और महिलाओं की घरेलू हिंसा पर राय ली. तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की 83 प्रतिशत से अधिक महिलाओं ने खुद माना है कि पति द्वारा उनके खिलाफ हिंसा सही है. कर्नाटक की 80 प्रतिशत महिलाओं का ऐसा ही मानना है.
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पिटाई पर पुरुषों का पक्ष
घरेलू हिंसा पर इसी सवाल के जवाब में सबसे अधिक कर्नाटक में (81.9 प्रतिशत) पुरुषों ने इसको जायज माना है. पत्नियों की पिटाई को सबसे कम (14.2 प्रतिशत) हिमाचल प्रदेश के पुरुषों ने जायज माना.
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हिमाचल में सबसे कम सहमति
पतियों द्वारा पिटाई को जायज ठहराने वाली महिलाओं की सबसे कम संख्या हिमाचल प्रदेश में 14.8 प्रतिशत थी.
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क्या था सवाल?
इस सर्वे में सवाल किया गया था: "आपकी राय में पति का अपनी पत्नी को पीटना या मारना जायज है?" इस सर्वे में कई तरह की परिस्थितियों को भी शामिल किया गया था.
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घरेलू हिंसा का आम कारण
सर्वे के मुताबिक घरेलू हिंसा को सही बताने वाले सबसे आम कारणों का हवाला दिया गया. सबसे आम कारण जो सामने आए वे थे ससुराल वालों का अनादर करना और घर व बच्चों की उपेक्षा करना.
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घरेलू हिंसा एक वैश्विक समस्या
भारत ही नहीं कई विकसित देशों में भी घरेलू हिंसा आम समस्या है. अमेरिका और यूरोपीय देशों में भी महिलाएं इसकी शिकार होती हैं. हर साल 25 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस मनाया जाता है. इस दिन को दुनिया भर में महिला हिंसा के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है.
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हिंसा की शिकार होतीं महिलाएं
लैंगिक बराबरी के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएन वीमेन के मुताबिक दुनिया भर में हर तीसरी महिला के साथ शारीरिक या यौन हिंसा हुई है.