अमेरिकी राष्ट्रपति और प्रथम महिला अपने कोरोना जांच के नतीजे के इंतजार में क्वारंटीन हो गए हैं. दरअसल ट्रंप की वरिष्ठ सलाहकार होप हिक्स की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद ट्रंप ने ऐसा किया है.
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ट्रंप ने अपनी कोरोना जांच कराई है और नतीजे के इंतजार में हैं. ट्रंप के साथ-साथ प्रथम महिला भी क्वारंटीन हो गई हैं. गुरुवार की रात राष्ट्रपति ने ट्वीट किया कि होप हिक्स कोरोना पॉजिटिव पाई गईं हैं. हिक्स, ट्रंप की वरिष्ठ सलाहकार के रूप में काम करती हैं. हिक्स नियमित रूप से ट्रंप के साथ एयर फोर्स वन में यात्रा करती हैं और पहली प्रेसिडेंशियल डिबेट के लिए क्लीवलैंड, ओहियो साथ गईं थी. इसके अलावा हिक्स ने बुधवार को मिनसोटा में हुई रैली के लिए भी साथ सफर किया था. ट्रंप ने ट्वीट कर कहा, "होप हिक्स, जो कि बिना किसी ब्रेक के इतनी मेहनत कर रही हैं, उनकी कोविड-19 रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. यह डरावना है! प्रथम महिला और मैं कोरोना जांच नतीजे का इंतजार कर रहे हैं. इसी बीच, हम अपने आपको क्वारंटीन कर रहे हैं."
ट्वीट के पहले फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने इस बात की पुष्टि की और कहा है कि वे अपने टेस्ट के नतीजों का इंजतार कर रहे हैं. हिक्स, ट्रंप के साथ बेहद करीब रह कर काम करती हैं और उनके साथ एयरफोर्स वन और राष्ट्रपति के आधिकारिक हेलीकॉप्टर पर भी होती हैं. हिक्स, ट्रंप के लिए वरिष्ट परामर्शदाता के रूप में काम करने वाली और कोरोना पॉजिटिव होने वाली अब तक की सबसे वरिष्ठ व्हाइट हाउस अधिकारी हैं.
व्हाइट हाउस में रोजाना कोरोना जांच
व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा है कि कोरोना वायरस के संक्रमण से राष्ट्रपति को दूर रखने के लिए कदम उठाए जाते रहे हैं. ट्रंप के कई करीबियों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद व्हाइट हाउस ट्रंप के बेहद करीब रहने वाले अधिकारियों और वरिष्ठ सलाहकारों की रोजाना कोरोना जांच कराने लगा. उप राष्ट्रपति माइक पेंस के करीब रहने वाले लोगों की भी रोज जांच होती है और इसमें पत्रकार भी शामिल हैं.
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जूड डीरे ने कहा, "राष्ट्रपति अपने और अमेरिकी लोगों के लिए काम करने वाले लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को गंभीरता से लेते हैं."
वायरस के कारण सिर्फ अमेरिका में ही दो लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और देश में 72 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं.
महामारी के प्रति ट्रंप की प्रतिक्रिया को लेकर आलोचना हो चुकी है, इसमें खतरे को कम कर आंकना और सार्वजनिक स्वास्थ्य दिशा-निर्देशों का पालन करने से इनकार करना शामिल है-जिसमें मास्क नहीं पहनना भी है.
कोरोना: भारत में 100 गुना ज्यादा हो सकते हैं असली आंकड़े!
मई से जून के बीच पूरे देश में कराए गए आईसीएमआर के सेरो-सर्वे में सामने आया है कि देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के हर सामने आने वाले मामले के मुकाबले 100 ऐसे मामले हैं जिनके बारे में मालूम नहीं किया जा सका.
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असली आंकड़ा
सर्वे के अनुसार मई में ही भारत में 64 लाख से भी ज्यादा कुल मामले थे. उस समय आधिकारिक रूप से घोषित मामले सिर्फ 60 हजार के आस पास थे.
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चुपचाप फैलता कोरोना
सर्वे में पाया गया कि देश में संक्रमण के फैलने की दर 0.73 प्रतिशत है, जो किसी किसी इलाकों में 1.03 प्रतिक्षत तक भी चली जाती है. यह दर संक्रमण के खामोश प्रसार की ओर इशारा करती है.
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महामारी के शुरुआती चरण
शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि संक्रमण की दर इतनी कम होने का मतलब है कि भारत में महामारी उस समय अपने शुरूआती चरण में ही थी और इस वजह से देश में अधिकतर लोगों के लिए संक्रमण का खतरा अभी बना हुआ है.
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100 गुना बड़ी समस्या
आईसीएमआर ने कहा है कि प्रयोगशालाओं में जांच के द्वारा पाए गए हर मामले के मुकाबले देश में 82 से ले कर 130 तक ऐसे मामले हैं जो छिपे हुए हैं. इसका मतलब समस्या जितनी बड़ी दिखती है उस से करीब 100 गुना ज्यादा बड़ी है. यह संख्या अलग अलग स्थानों पर बदल जाती है.
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गलत जांच के नतीजे
जानकारों का मानना है कि बड़ी संख्या में संक्रमण के मामलों का ना पाया जाना जांच की गलत प्रक्रिया की वजह से हो सकता है. कई महीनों से विशेषज्ञ देश में रैपिड जांच में नेगेटिव पाए जाने वालों की आरटीपीसीआर जांच से पुष्टि ना करने को लेकर चिंता जता रहे हैं.
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शून्य मामले वाले जिले
कई जिले जिनमें या तो शून्य या काफी कम संक्रमण के मामले रिपोर्ट हुए हैं, सर्वे में उनमें भी संक्रमण की उंची दर मिली. यह भी गलत जांच की तरफ इशारा करता है.
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नया निर्देश
शायद इसी वजह से केंद्र ने राज्यों को दिए गए नए निर्देश में कहा है कि ऐसे लोग जिनमें संक्रमण के लक्षण थे लेकिन उनकी रैपिड जांच का नतीजा नेगेटिव आया था, उनकी आरटीपीसीआर जांच की जाए.
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मृत्यु दर पर भी संशय
सर्वे में पाया गया कि संक्रमण के मामलों और संक्रमण से मृत्यु का अनुपात मई में 0.0018 से 0.11 प्रतिशत के बीच था. जून में यह अनुपात 0.27 से 0.15 प्रतिशत हो गया था. आधिकारिक तौर पर दर्ज की गई दर 1.7 प्रतिशत है. अमेरिका में यह दर 0.12 प्रतिशत है और स्पेन और ब्राजील में एक प्रतिशत. लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि भारत के आंकड़े और ज्यादा हो सकते हैं क्योंकि यहां मृत्यु की रिपोर्टिंग बहुत कम होती है.
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देशव्यापी सर्वे
सर्वे 11 मई से चार जून तक हुआ. इसके लिए 21 राज्यों से 28,000 संक्रमित लोगों के खून में एंटीबॉडीज की जांच की गई.
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गांवों में स्थिति खतरनाक
सर्वे के मुताबिक मई और जून तक ही संक्रमण गांवों में फैल चुका था. सेरो-पॉजिटिविटी सबसे ज्यादा (69.4 प्रतिशत) ग्रामीण इलाकों में ही पाई गई. शहरी झुग्गियों में 15.9 प्रतिशत और शहरी झुग्गी से बाहर वाले इलाकों में 14.6 प्रतिशत पाई गई. हालांकि सर्वे अधिकतर ग्रामीण इलाकों में ही किया गया था.