क्या फिर अमेरिका के राष्ट्रपति बन सकते हैं डॉनल्ड ट्रंप?
८ फ़रवरी २०२२
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप दोबारा पद पाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. उनकी रैलियों में भारी भीड़ जुट रही है और उन्होंने अच्छा-खासा धन भी जुटाया है. क्या वाकई ट्रंप दोबारा अमेरिका के राष्ट्रपति बन सकते हैं?
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हाल ही में टेक्सस में हुई एक रैली में डॉनल्ड ट्रंप ने हिलेरी क्लिंटन के बारे में बात की. और वही राग फिर अलापा कि कैसे 2020 का चुनाव वह हारे नहीं थे बल्कि जीत उनसे चुरा ली गई. उन्होंने कहा, "2020 के चुनाव में धांधली हुई और इसके बारे में सब जानते हैं.” हालांकि इन दावों को सिरे से खारिज किया जा चुका है और अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट भी चार राज्यों के चुनावी नतीजों को पलटने के मुकदमे में रद्दी की टोकरी में डाल चुका है.
ट्रंप का यह अंदाज जाना-पहचाना है. राजनीतिक समाचार देने वाली वेबसाइट द हिल में प्रचार अभियानों के मामलों के संपादक ब्रैंडन कोनराडिस कहते हैं 2016 के चुनाव में भी वह ऐसा ही करते थे, तब भी रैलियों में उन्होंने निराधार दावे किए और चुनाव जीता भी.
डॉयचे वेले से बातचीत में ब्रैंडन कहते हैं, "ट्रंप वही कर रहे हैं जो वह हमेशा करते हैं. यानी अपने कट्टर समर्थकों के सामने वे बातें कहना जो वे सुनना चाहते हैं. यह अब भी कामयाब नुस्खा है.”
तरकश में नए तीर भी
वैसे डॉनल्ड ट्रंप ने अपने तरकश से कुछ नए तीर भी निकाले हैं. जैसे कि पिछले हफ्ते कॉनरो में एक रैली में उन्होंने 6 जनवरी 2021 को अमेरिकी कैपिटॉल पर चढ़ाई करने वालों के समर्थक में जोरदार भाषण दिया. ट्रंप ने कहा, "अगर मैं दोबारा चुनाव लड़ा और जीता, तो हम 6 जनवरी वाले लोगों के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार करेंगे. और अगर इसका अर्थ उन्हें माफी देना है तो हम उन्हें माफी भी देंगे क्योंकि उनके साथ अन्याय हो रहा है.”
उस दिन सैकड़ों लोगों की भीड़ कैपिटॉल हिल बिल्डिंग में घुस गई और तोड़फोड़ मचाई. वे लोग कांग्रेस के उस सत्र को रोकना चाहते थे जिसमें जो बाइडेन की राष्ट्रपति चुनाव की जीत को औपचारिक मंजूरी दी जा रही थी. उस घटना में पांच लोगों की मौत हुई थी. तब से 700 लोगों पर आरोप तय किए जा चुके हैं.
जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में राजनीतिक प्रबंधन पढ़ाने वाले एसोसिएट प्रोफेसर माइकल कॉर्नफील्ड कहते हैं, "जब ट्रंप ऐसी भड़काऊ बातें कहते हैं तो उनका सबसे बड़ा मकसद होता है लोगों का ध्यान खींचना.”
अपनी ही पार्टी में विरोध
कॉनरो में लोगों को माफी देने वाल ट्रंप का बयान उनकी अपनी रिपब्लिकन पार्टी के लोगों को भी रास नहीं आ रहा है. कई लोगों ने सामने आकर इस विचार का विरोध किया है. ट्रंप के सहयोगी रहे लिंजी ग्राहम ने कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि वे लोग जेल जाएंगे क्योंकि वे इसी के हकदार हैं.
2021 के 100 सबसे प्रभावशाली लोग
टाइम मैग्जीन की ओर से जारी 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भी नाम शामिल है. जानिए और कौन-कौन हैं सूची में.
तस्वीर: Money Sharma/AFP/Getty Images
नरेंद्र मोदी
टाइम के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हैं. टाइम ने लिखा एक स्वतंत्र देश के रूप में अपने 74 वर्षों में भारत के तीन प्रमुख नेता रहे हैं. प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने देश के लिए धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक रूप में खाका तैयार किया. इंदिरा गांधी ने युद्ध, नागरिक संघर्ष और इमरजेंसी में सरकार चलाई और नरेंद्र मोदी तीसरे हैं, जो देश की सत्ता पर काबिज हैं.
तस्वीर: Reuters/A. Abidi
ममता बनर्जी
टाइम के प्रभावशाली लोगों की सूची में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शामिल हैं. टाइम ने उन्हें "भारतीय राजनीति में उग्रता का चेहरा" बताया. इसी साल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी ने भारी जीत दर्ज की थी.
तस्वीर: Subrata Goswami/DW
अदार पूनावाला
टाइम मैग्जीन की सूची में सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला को भी जगह दी गई है. सीरम इंस्टीट्यूट भारत में बड़े पैमाने पर कोविड की वैक्सीन कोविशील्ड बना रही है.
तस्वीर: Serum Institute of India
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर
तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को भी टाइम की लिस्ट में जगह मिली है. दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख मुल्ला बरादर को तालिबान और अमेरिका के बीच दोहा शांति समझौते पर बातचीत करने का श्रेय दिया जाता है.
तस्वीर: SOCIAL MEDIA/REUTERS
6 श्रेणियों में बांटा
टाइम मैग्जीन ने इस बार सूची को छह श्रेणियों में बांटा है. इन श्रेणियों में नेता, कलाकार, पायनियर, आइकन, टाइटन और इनोवेटर्स शामिल हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/P. Buck
कवर पर प्रिंस हैरी और मार्कल
टाइम मैग्जीन के कवर पर प्रिंस हैरी और उनकी पत्नी मेगन मार्कल की तस्वीर है. ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ के पोते प्रिंस हैरी और उनकी पत्नी मेगन मार्कल ने इसी साल एक इंटरव्यू में ऐसी बातें कही जिनकी वजह से शाही परिवार सुर्खियों में आ गया था.
तस्वीर: John Stillwell/PA Wire/empics/picture alliance
कमला हैरिस
प्रभावशाली लोगों की सूची में भारतीय मूल की अमेरिकी उप राष्ट्रपति कमला हैरिस का भी नाम है.
तस्वीर: Evelyn Hockstein/AP/picture alliance
बाइडेन, ट्रंप भी
विशेष रूप से डॉनल्ड ट्रंप और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन दोनों प्रभावशाली नेताओं की सूची में शामिल हैं. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी इस सूची में हैं.
अलेक्सी नवाल्नी
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सबसे बड़े आलोचक अलेक्सी नवाल्नी को भी टाइम ने सूची में शामिल किया है. 44 साल के नवाल्नी लंबे समय से पुतिन के आलोचक रहे हैं. नवाल्नी बीते एक दशक से अपने यूट्यूब चैनल के जरिए रूसी सरकार के भ्रष्टाचार की पोल खोलने का दावा करते हैं.
तस्वीर: Maxim Shemetov/File Photo/REUTERS
टिम कुक और इलॉन मस्क
प्रभावशाली लोगों की सूची में एप्पल के सीईओ टिम कुक और इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनाने वाली और पर्यावरण-अनुकूल ऊर्जा पर काम करने वाली कंपनी टेस्ला के सीईओ ईलॉन मस्क का भी नाम है.
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न्यू हैंपशर के गवर्नर क्रिस सुनूनू भी उन आरोपियों को माफी देने के खिलाफ हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या उन आरोपियों को माफी मिलनी चाहिए तो उन्होंने समाचार चैनल सीएनएन से कहा, "बेशक नहीं. हे भगवान, बिल्कुल नहीं.”
लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप के लिए यह विरोध मायने नहीं रखता क्योंकि इन बातों को वे ऐसे लोगों के लिए कहते ही नहीं हैं. कॉनराडिस कहते हैं, "इस आलोचना की परवाह ट्रंप को नहीं है. वह अपने खास समर्थकों से बात कर रहे हैं. वह उन लोगों से बात कर रहे हैं जिन्होंने कैपिटॉल पर चढ़ाई की थी. जो उनके कट्टर समर्थक हैं और जो भी हो जाए, वे ट्रंप के लिए ही वोट करेंगे.”
75 वर्षीय ट्रंप ने अब तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह तीन साल बाद यानी 2024 में राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ेंगे या नहीं. लेकिन, यदि वह चुनाव मैदान में उतरने का फैसला करते हैं तो अपने कट्टर समर्थकों को उन्हें साथ लेकर चलना होगा. फिलहाल तो उनके बयान ‘अगर मैं चुनाव लड़ा और जीता' से शुरू होते हैं, जिसमें कई संकेत छिपे हैं. (पढ़ेंः ट्रंप राष्ट्रपति थे, तभी ऐसा हो पाया)
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समर्थन तो भारी है
कॉनराडिस कहते हैं, "जाहिर है, कुछ भी हो सकता है. लेकिन अभी जो हालात हैं उनमें तो वह निश्चित रूप से दोबारा चुनाव लड़ना चाहते हैं और इसकी के लिए जमीन तैयार कर रहे हैं. वह नहीं चाहते कि लोग उन्हें भूल जाएं. सुर्खियों में रहना उन्हें पसंद है.”
सोशल मीडिया कंपनियां नेताओं के साथ कैसे पेश आती हैं
फेसबुक और ट्विट्टर द्वारा डॉनल्ड ट्रंप के खातों को बंद कर देने के बाद सोशल मीडिया कंपनियों के व्यवहार को लेकर काफी चर्चा हुई थी. कैसे तय करती हैं कंपनियां कि उनके मंचों पर किस नेता को क्या-क्या बोलने दिया जाए.
तस्वीर: Leah Millis/REUTERS
किसके साथ होता है विशेष व्यवहार?
फेसबुक और ट्विटर दोनों के ही मौजूदा नियम आम यूजर के मुकाबले चुने हुए नुमाइंदों और राजनीतिक प्रत्याशियों को ज्यादा अभिव्यक्ति की आजादी देते हैं. ट्विटर के जनहित नियमों के तहत तो सत्यापित सरकारी अधिकारी भी आते हैं.
तस्वीर: Ozan Kose/AFP/Getty Images
तो क्या हैं मौजूदा नियम?
ट्विटर कहती है कि सामग्री अगर जनहित में हो तो वो उसे हटाती नहीं है, क्योंकि ऐसी सामग्री का रिकॉर्ड रहेगा तभी नेताओं को जवाबदेह बनाया जा सकेगा. फेसबुक राजनेताओं की पोस्ट और भुगतान किए हुए विज्ञापनों को अपने बाहरी फैक्ट-चेक कार्यक्रम से छूट देती है. फेसबुक राजनेताओं द्वारा किए गए कंपनी के नियम तोड़ने वाले पोस्ट को भी नहीं हटाती है अगर उनका जनहित उनके नुकसान से ज्यादा बड़ा है.
तस्वीर: Diptendu Dutta/AFP
आतंकवाद गंभीर मामला
ट्विटर का कहना है कि दुनिया में कहीं भी अगर कोई नेता आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला ट्वीट करता है तो उसे कंपनी हटा देती है. किसी दूसरे की निजी जानकारी जाहिर करने वाले ट्वीटों को भी हटा दिया जाता है. फेसबुक के तो कर्मचारियों ने ही भड़काऊ पोस्ट ना हटाने पर कंपनी की आलोचना की है. यूट्यूब कहता है कि उसने नेताओं के लिए कोई अलग नियम नहीं बनाए हैं.
तस्वीर: picture-alliance/ZUMAPRESS/S. Babbar
ट्रंप के साथ क्या हुआ?
छह जनवरी 2021 को वॉशिंगटन में हुए कैपिटल दंगों के बाद ट्विट्टर, फेसबुक, स्नैपचैट और ट्विच ने ट्रंप पर हिंसा को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबंध लगा दिया था. यूट्यूब ने भी ट्रंप के चैनल पर रोक लगा दी थी.
तस्वीर: Christoph Hardt/Geisler-Fotopress/picture alliance
दूसरे नेताओं का क्या?
मानवाधिकार समूहों ने मांग की है कि इन कंपनियों को दूसरे नेताओं के खिलाफ भी इसी तरह के कदम उठाने चाहिए. कई नेता हैं जिनकी सार्वजनिक रूप से काफी आलोचना होती है लेकिन वो सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं. इनमें ईरान के सर्वोच्च नेता अयातोल्लाह खमेनेई, ब्राजील के राष्ट्रपति जाएर बोल्सोनारो और वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो शामिल हैं. म्यांमार में तख्तापलट के बाद फेसबुक ने सेना पर प्रतिबंध लगा दिया था.
तस्वीर: Office of the Iranian Supreme Leader/AP/picture alliance
अब क्या हो रहा है?
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों और कैपिटल दंगों के दौरान फेसबुक और ट्विटर की भूमिका को लेकर सवाल उठने के बाद दोनों कंपनियों ने अपनी नियमों पर राय मांगी है. फेसबुक ने अपने ओवरसाइट बोर्ड से सुझाव मांगे हैं और ट्विट्टर ने जनता से. (रॉयटर्स)
तस्वीर: Leah Millis/REUTERS
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वैसे कॉर्नफील्ड ज्यादा मुतमईन नहीं हैं. वह कहते हैं, "वह लोगों का मनोरंजन करने वाले व्यक्ति हैं जिन्हें एक अहम राजनीतिक पद मिला और उनका एक अहम राजनीतिक भूतकाल भी है. लेकिन जहां तक भविष्य की सवाल है तो वो अब हवा-हवाई है.”
ट्रंप अगर चुनाव लड़ने का फैसला करते हैं तो हालात उनके लिए बुरे नहीं दिखते. जनवरी के आखिर में द हिल ने एक सर्वेक्षण प्रकाशित किया था. 2024 के लिए आठ संभावित उम्मीदवारों पर किए गए इस सर्वेक्षण में ट्रंप को 57 प्रतिशत वोट मिले थे. दूसरे नंबर पर फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डेसांतिस थे जिन्हें सिर्फ 12 फीसदी मत मिले.
इस बीच डॉनल्ड ट्रंप ने अच्छा खासा धन भी जुटा लिया है. 2021 की दूसरी छमाही में उन्होंने 5.1 करोड़ डॉलर जमा किए जिसके बाद उनके पास कुल चंदा 12.2 करोड़ डॉलर हो गया है. कॉनराडिस कहते हैं कि इनमें से ज्यादातर पैसा आम अमेरिकी लोगों ने दिया है. वह कहते हैं, "इसी से पता चल जाता है कि उनके पास कितना समर्थन है.”