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वामपंथी कट्टरपंथ को अनदेखा नहीं कर सकते: जर्मन पुलिस

३ जनवरी २०२०

नए साल के मौके पर जर्मनी के लाइपजिग शहर में वामपंथियों और पुलिस के बीच हुई हिंसा के बाद राजनीतिक तनाव बढ़ा है. पिछले सालों में पुलिस पर हुए हमलों में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है. इस पर पुलिस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है.

Neujahr - Leipzig Connewitz Polizist verletzt
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Willnow

नए साल के मौके पर लाइपजिग शहर में पुलिस और धुर वामपंथी लोगों के बीच में हुए टकराव को लेकर पुलिस ने चिंता जताई है. इस टकराव में एक पुलिसकर्मी गंभीर घायल हो गया था. पुलिस ने सात पुरुषों और दो महिलाओं को पुलिसकर्मी की हत्या की कोशिश के आरोप में हिरासत में लिया था. जर्मनी के गृहमंत्री हॉर्स्ट सीहोफर ने कहा, "ऐसी घटनाएं दिखाती हैं कि धुर वामपंथी लोगों की तरफ से भी हिंसा होती रहती है. एक मजबूत राज्य को मजबूत पुलिस की भी जरूरत होती है."

लाइपजिग के मेयर बुर्खार्ड युंग ने भी इस घटना पर चिंता जताई है. युंग एसडीपी पार्टी के नेता हैं. उन्हें दक्षिणपंथी पार्टियों से अकसर आलोचना झेलनी पड़ती है कि वे शहर में बढ़ रहे वामपंथी उग्रवाद को रोकन में नाकामयाब हैं. युंग ने कहा, "यह नया साल शांति की बजाय एक हिंसात्मक गतिविधि के साथ शुरू हुआ है. मेरी संवेदनाएं घायल हुए पुलिसकर्मी और उनके परिवार के साथ हैं. मैं उनके जल्द ही स्वस्थ होने की कामना करता हूं."

तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Willnow

लाइपजिग के कॉनेवित्स इलाके में हुई हिंसा में एक 38 वर्षीय पुलिसकर्मी घायल हो गया. उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया जहां उनका एक आपातकालीन ऑपरेशन हुआ. पुलिस के बयान के मुताबिक 1 जनवरी की रात कुछ लोगों के समूह ने पुलिस की तरफ एक जलता हुआ शॉपिंग कार्ट फेंक दिया. साथ ही एक पुलिसवाले के ऊपर जलते हुए पटाखे फेंक दिए. पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की है. यह इलाका वामपंथ समर्थक माना जाता है.

पुलिस के खिलाफ हिंसा

वामपंथी नेताओं ने इस हिंसा के लिए पुलिस के तौर तरीकों को जिम्मेदार ठहराया है. समाजवादी वामपंथी पार्टी के नेता यूलिआने नागेल जो उस रात इलाके में मौजूद थे, ने इस घटना पर ब्लॉग लिखा. उन्होंने कहा कि पुलिस का भीड़ को काबू में रखने का तरीका सही नहीं था. पुलिस ने लोगों पर बल प्रयोग किया जिससे कई लोग घायल हो गए. उनका कहना है कि पुलिस ने लोगों से ठीक तरीके से संवाद नहीं किया. नागेल ने कहा कि पुलिस की किसी भी कार्रवाई से पुलिस के प्रति हिंसा को न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता है.

जर्मनी में एक पुलिस यूनियन के उपाध्यक्ष यॉर्ग राडेक ने कहा, "इस बात को कोई सही नहीं ठहरा सकता कि पुलिस जिसका काम कानून स्थापित करना है, उसी के ऊपर पटाखे और बोतलें फेंकी जाएं."

अप्रैल 2019 में जर्मन पुलिस के अपराध के आंकड़ों के मुताबिक पुलिस के खिलाफ हिंसा में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. राडेक ने बताया कि जर्मनी में रोज पुलिसवालों पर औसतन 32 हमले होते हैं. उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर ये हमले चरमपंथियों के नहीं होते, ये सामान्य होते हैं जैसे पहचान पत्र मांगने पर पुलिसकर्मी को थप्पड़ मार देना.

राइनर वेंड्ट.तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Schutt

जर्मन पुलिस यूनियन के अध्यक्ष राइनर वेंड्ट ने इस हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है. उन्होंने कहा, "चरमपंथ का सामान्य मतलब है कि लोगों के बीच में हिंसा कर डर फैला दिया जाए. यहां रोज ऐसा ही हो रहा है. हालांकि ये एक नए तरीके से हो रहा है. एक अधिकारी को निशाना बनाकर हमला किया जाता है. और हमको लगता है कि दुर्भाग्य से इन हमलों में कभी कोई मारा भी जा सकता है."

वामपंथी हिंसा

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक जर्मनी में वामपंथी चरमपंथियों की संख्या दक्षिणपंथी चरमपंथियों से कम है. संविधान सुरक्षा कार्यालय और जर्मनी के खुफिया विभाग के मुताबिक जर्मनी में 9,000 ऐसे वामपंथी चरमपंथी हैं जो हिंसा कर सकते हैं. साथ ही ऐसे दक्षिणपंथी लोगों की संख्या 12,000 है.

लाइपजिग सेक्सोनी राज्य में है. यह राज्य दोनों तरह के कट्टरपंथियों का केंद्र बनता जा रहा है. यहां कई इलाकों में दोनों पक्षों के लोगों में झड़पें देखने को मिलती हैं. नवंबर 2019 में पुलिस ने सोको लिंक्स नाम से एक खास इकाई तैयार की थी जो वामपंथी हिंसा पर ध्यान देने के लिए थी. सेक्सोनी में कई कंपनियों और निर्माण क्षेत्रों पर वामपंथी चरमपंथियों ने हमले किए थे. इन हमलों में एक कर्मचारी घायल भी हुआ था. वेंड्ट का कहना है कि जो भी वामपंथी हिंसा का विचार रखते हैं या उसकी योजना बनाते हैं, उन्हें रोकना जरूरी है. उन्होंने कहा, "सेक्सोनी में धुर दक्षिणपंथी चरमपंथ का बड़ा खतरा है. लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि हम वामपंथी चरमपंथ पर ध्यान ही ना दें."

बेन नाइट/आरएस

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