अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों का आखिरी हफ्ताः किसका पलड़ा भारी
२८ अक्टूबर २०२४अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ऐतिहासिक उथल-पुथल के बावजूद, चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में डेमोक्रेटिक उप राष्ट्रपति हैरिस और रिपब्लिकन पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप का मुकाबला बहुत करीबी है. चुनाव 5 नवंबर को होना है.
आखिरी हफ्ते में दोनों उम्मीदवार मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए सभी तरह की कोशिशें कर रहे हैं. 60 वर्षीय हैरिस मंगलवार को उसी जगह पर भाषण देंगी जहां ट्रंप ने 2020 में चुनाव हारने के विरोध में समर्थकों को इकट्ठा किया था. यह घटना 6 जनवरी 2021 को अमेरिकी संसद पर हमले से पहले हुई थी.
78 वर्षीय ट्रंप भी प्रतीकों पर भरोसा कर रहे हैं. उन्होंने न्यूयॉर्क के मैडिसन स्क्वॉयर गार्डन में एक बड़ी रैली की, जो उनकी अंतिम कोशिश की शुरुआत है.
स्विंग वोटर्स पर निर्भर नतीजा
जैसे-जैसे चुनाव का समय नजदीक आ रहा है, दोनों प्रतिद्वंद्वी उन सात महत्वपूर्ण राज्यों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जहां कुछ हजार मतदाता यह तय कर सकते हैं कि दुनिया की सबसे बड़ी सुपरपावर पर किसका शासन होगा.
शिकागो यूनिवर्सिटी के राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर जॉन मार्क हैंसन कहते हैं, "यह मुकाबला बहुत करीबी दिख रहा है."
इस चुनाव के नतीजों से इतिहास रचा जाना तय है. अब तक के सबसे विभाजनकारी चुनाव में अमेरिकी मतदाता या तो पहली महिला राष्ट्रपति का चुनाव करके या ट्रंप के रूप में अदालत द्वारा दोषी ठहराए जा चुके किसी सबसे उम्रदराज व्यक्ति को पहली बार राष्ट्रपति चुनकर इतिहास का नया पन्ना लिखने जा रहे हैं.
हैरिस और ट्रंप के बीच में नीतियों से लेकर शख्सियत तक अंतर एकदम साफ है. एक तरफ हैरिस हैं जो महिला, अश्वेत और विदेशी मूल की हैं, दूसरी तरफ डॉनल्ड ट्रंप हैं जिन्हें श्वेत अमेरिका का पैरोकार कहा जाता है.
आखिरी कोशिशें
जो बाइडेन के पीछे हटने के बाद उम्मीदवार बनीं हैरिस ने अपने चुनावी अभियान की शुरुआत में खुशी और सकारात्मकता का संदेश दिया, लेकिन अब उन्होंने ट्रंप को "फासीवादी" के रूप में पेश करना शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि ट्रंप लोकतंत्र और महिलाओं के अधिकारों के लिए खतरा हैं.
हैरिस ने चुनाव से ठीक एक सप्ताह पहले वॉशिंगटन के नेशनल मॉल पर रैली का आयोजन किया, जहां ट्रंप ने अपनी 2020 की हार को नकारने के लिए अपने समर्थकों को संबोधित किया था. एक समर्थक किम्बर्ली विटेकर ने हैरिस की रैली में कहा, "यह इतिहास में एक बहुत महत्वपूर्ण समय है."
यदि ट्रंप फिर से हारते हैं, तो हो सकता है कि वह परिणाम को नकार दें, जिससे अमेरिका में पहले से ही तनाव और विभाजन और बढ़ सकता है. चुनाव अभियान के आखरी दौर में ट्रंप ने अपनी चरमपंथी टिप्पणियों को बढ़ा दिया है.
उन्होंने आप्रवासियों को जानवर कहा है, सामूहिक निर्वासन के लिए शिविर स्थापित करने का वादा किया है और घरेलू विरोध को "भीतर से दुश्मन" कहा है. ट्रंप की माइग्रेशन नीति का असर भारतीयों पर भी होगा. हाल के महीनों में अवैध रूप से अमेरिका में घुसने वाले भारतीयों की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है.
उन्होंने "अमेरिका को महान बनाने" के वादे को और जोर-शोर से बोलना शुरू कर दिया है, जिसमें अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित किया गया है. सर्वेक्षणों के मुताबिक अर्थव्यवस्था मतदाताओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक है.
21 वर्षीय स्वास्थ्य विज्ञान के छात्र ड्रू रोबी ने कहा, "मैं शायद ट्रंप का समर्थन करूंगा. ईमानदारी से कहूं तो जब वह राष्ट्रपति थे तो सब कुछ बेहतर था."
चुनाव में मुख्य मुद्दा सात सबसे महत्वपूर्ण और बंटे हुए राज्यों का है: एरिजोना, जॉर्जिया, मिशिगन, नेवादा, उत्तरी कैरोलाइना, विस्कॉन्सिन और सबसे महत्वपूर्ण – पेनसिल्वेनिया.
हैरिस की चुनौती
दशकों में सबसे करीबी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव उन कुछ मतदाताओं पर निर्भर करेंगे जिनका रुख अभी स्पष्ट नहीं है. अमेरिकी चुनावी भाषा में उन्हें स्विंग वोटर्स कहा जाता है.
सर्वेक्षणों में कहा गया है कि उम्मीदवारों के बीच लिंग, नस्ल और उम्र के बीच गहरे विभाजन दिखाई दे रहे हैं. अंतिम दिनों में दोनों अभियान विज्ञापनों पर सैकड़ों मिलियन डॉलर खर्च करेंगे और दोनों स्टार समर्थकों को भी सामने लाएंगे.
बॉस ब्रूस स्प्रिंगस्टीन और पूर्व राष्ट्रपति बराक और मिशेल ओबामा हैरिस के लिए प्रचार कर रहे हैं, जबकि ट्रंप के लिए अरबपति उद्योगपति इलॉन मस्क प्रचार कर रहे हैं. लेकिन हैरिस को समग्र रूप से एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है.
मैरिलैंड यूनिवर्सिटी में राजनीति पढ़ाने वाले डेविक कैरल कहते हैं कि हैरिस के अभियान की "जमीनी स्थिति" बेहतर थी और उनके पास धन भी अधिक था, लेकिन ट्रंप को "संभवतः" रिपब्लिकन पार्टी की बेहतर स्थिति का फायदा हो सकता है.
यह अमेरिकी चुनावी कॉलेज प्रणाली में अंतर्निहित है, जो अपने आप में अनूठी है. कैरल कहते हैं, "मुकाबला बेहद तीखा है. किसी के पास भी अपनी जीत के लिए भरोसे का कोई कारण नहीं है."
वीके/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)