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यूरोपीय कानूनों की सख्ती से परेशान अमेरिकी टेक कंपनियां

२७ अगस्त २०२५

हाल ही में यूरोपीय संघ के अमेरिका के साथ व्यापारिक समझौते के बाद दोनों के बीच तनावों में थोड़ी नरमी आई थी. लेकिन अपने डिजिटल कानूनों को लेकर ईयू एक बार फिर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के निशाने पर है.

डिजिटल कंपनियों की प्रतीकात्मक तस्वीर
यूरोपीय संघ का डिजिटल कानून के निशाने पर कई अमेरिकी कंपनियां भी हैंतस्वीर: Kenzo Tribouillard/AFP/Getty Images

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने उन देशों पर नए शुल्क लगाने की धमकी दी है जो अमेरिकी टेक कंपनियों की ताकत को सीमित करने की कोशिश कर रहे हैं. इसका आधार बने हैं ईयू के दो प्रमुख कानून, डिजिटल मार्केट्स एक्ट (डीएसए) और डिजिटल सर्विसेज एक्ट (डीएमए).

यूरोपीय संघ का मानना है कि इन कानूनों की मदद से वो डिजिटल दुनिया में सुधार लाने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि इन कानूनों के तहत बीते एक साल में मेटा, एप्पल और ऐसी बड़ी अमेरिकी कंपनियों पर लगाए गए भारी भरकम  जुर्मान से ट्रंप प्रशासन खासा नाराज है. यही वजह है कि ट्रंप ने बिना ईयू का नाम लिए जो कहा है, उसे लेकर चिंता उभर रही है. 

बहुत तेजी से फैलती जा रही डिजिटल दुनिया में ये कानून केवल यूरोप ही नहीं बल्कि दुनिया भर के यूजरों के लिए अधिक सुरक्षा, पारदर्शिता और विकल्प दिलवाने का माद्दा रखते हैं. ईयू के व्यापार प्रमुख मारोस शेफचोविच ने भी हाल ही में साफ किया कि यूरोपीय संघ की "रेगुलेटरी ऑटोनॉमी" यानी नियामक स्वायत्तता पर कोई समझौता नहीं होगा. उन्होंने बताया कि इसी कारण से ये मुद्दे अमेरिका के साथ हाल ही में संपन्न हुई ईयू की व्यापार वार्ता से अलग रखे गए हैं.

डॉनल्ड ट्रंप अमेरिकी कंपनियों पर जुर्माना लगाए जाने की आलोचना करते रहे हैं.तस्वीर: Mike Theiler/UPI Photo via Newscom/picture alliance

कितने सख्त हैं डीएसए और डीएमए

ईयू के ये नियम संघ के 27 सदस्य देशों में अमेरिकी टेक कंपनियों को उनके संचालन में बड़े बदलाव करने पर मजबूर कर रहे हैं.

डिजिटल सर्विसेज एक्ट 2023 से लागू है जो ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों को अवैध कंटेंट, गलत सूचना, और फर्जी या खतरनाक चीजों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए बाध्य करता है. इन कंपनियों को लोगों के जान माल को नुकसान पहुंचा सकने वाली हर जानकारी ईयू से साझा करनी होगी. एप्पल, गूगल, मेटा, इंस्टाग्राम और एमेजॉन जैसे बहुत बड़े अमेरिकी प्लेटफॉर्मों को इसके उल्लंघन से बचने के लिए कई अतिरिक्त कदम उठाने पड़ते हैं. जोखिमों का मूल्यांकन, डाटा साझा करना और बार-बार अवैध सामग्री पोस्ट करने वाले यूजरों को सस्पेंड करने जैसे कदम इनमें शामिल हैं. 

एआई पर लगाम के लिए दुनिया का पहला कानून लाने की तैयारी

इस कानून के नियमों का उल्लंघन करने पर कंपनियों को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है जैसे कि उनके वैश्विक कारोबार का 6 फीसदी तक जुर्माना लग सकता है. बार बार नियमों का उल्लंघन करने से कंपनियों के यूरोप में कारोबार पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जा सकता है.

अमेरिकी तंकनीकी कंपनियों तस्वीर: Ozan Kose/AFP/Getty Images

मार्च 2024 से लागू डिजिटल मार्केट्स एक्ट बाजार में किसी भी कंपनी के एकाधिकार को रोकने और उपभोक्ताओं को अधिक विकल्प देने के उद्देश्य से बनाया गया. एप्पल, गूगल, मेटा और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों को अब अपने ऐप स्टोर, पेमेंट सिस्टम और विज्ञापन के मॉडलों में पारदर्शिता लानी होगी. ऐसी हर कोशिश पर नजर होगी जिसमें बड़ी कंपनियां अपनी संभावित प्रतिद्वंद्वी कंपनियों को खरीद कर बाजार में अपना एकक्षत्र राज बनाए रखना चाहें.

इस कानून के तहत कंपनियों को ऐसी हर खरीद के बारे में यूरोपीय आयोग को बताना होगा. इन नियमों का बार-बार उल्लंघन करने पर कंपनियों को उनके वैश्विक कारोबार का 20 फीसदी तक जुर्माना हो सकता है.

अमेरिकी कंपनियां और खासकर ट्रंप इसे कैसे देखते हैं

डीएमए के कारण ही गूगल को अपने सर्च डिस्प्ले को पूरी तरह से बदलने पर मजबूर होना पड़ा. ऐसा इसलिए किया गया ताकि केवल उसकी गूगल फ्लाइट्स या शॉपिंग जैसे ऐप ही सबसे पहले ना दिखें. इसी कानून के तहत यूजरों को यह विकल्प मिला कि वे जिस ऐप स्टोर से चाहें वहां से कोई ऐप डाउनलोड कर सकते हैं.

अब तक इसमें केवल दो दिग्गजों एप्पल के ऐप स्टोर और गूगल के गूगल प्ले का ही दबदबा रहा है और अपनी पसंद का ऐप स्टोर अपनी मर्जी से चुनना संभव नहीं था. इसके अलावा, डीएमए के चलते ही एप्पल को बाध्य किया जा सका कि वो एप्पल यूजरों को अपने ऐप स्टोर के बाहर भी किसी और तरीके से डेवलपर्स को पेमेंट का विकल्प मुहैया कराए.

ईयू का कहना है कि ये कानून उपभोक्ता हितों और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए हैं. हालांकि अमेरिका, खासकर ट्रंप प्रशासन, इन्हें अमेरिकी टेक कंपनियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण मानता है. ट्रंप ने ईयू का नाम लिए बिना उन देशों पर शुल्क लगाने की धमकी दी है जो "अमेरिकी तकनीक को नुकसान पहुंचाने वाले" नियम लागू कर रहे हैं.

यूरोपीय संघ की डिजिटल नीतियां पूरे विश्व में फैले टेक दिग्गजों पर बदलने का दवाब डाल रही हैं. इन बदलावों से ये प्लेटफॉर्म यूजरों के अधिकारों और दूसरी कंपनियों के साथ स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देंगी. लेकिन साथ ही ये अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव को भी हवा देती हैं. जैसे-जैसे डिजिटल अर्थव्यवस्था वैश्विक शक्ति का केंद्र बनती जा रही है, इसके लिए नियम बनाने वाले के हाथ में बहुत शक्ति होगी. अब ये संघर्ष गहराने लगा है कि इसके नियम कौन बनाएगा - इन तमाम कंपनियों का गढ़ सिलिकॉन वैली या यूरोपीय संघ के नियम बनाने वाला ब्रसेल्स?

गूगल समेत बड़ी अमेरिकी टेक कंपनियों पर कैसे नकेल कसेगा ईयू

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