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समाज

टिक टॉक पर नीदरलैंड्स में 1.2 खरब रुपये का मुकदमा

३ जून २०२१

टिक टॉक पर यूरोपीय माता-पिताओं ने ठोका 1.2 खरब रुपये का मुकदमा किया है.

तस्वीर: Rasit Aydogan/AA/picture alliance

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि अपनी सामग्री के जरिए टिक टॉक बच्चों को खतरे में डाल रहा है और बहुत ज्यादा डेटा जमा कर रहा है. उनका दावा है कि चीन का यह ऐप यूरोपीय संघ के कानूनों का उल्लंघन कर रहा है. संगठन ने हर बच्चे के लिए 500 यूरो से 2000 यूरो के बीच हर्जाना मांगा है.

नीदरलैंड्स में माता-पिताओं के एक समूह ने टिक टॉक पर एक खरब 24 अरब रुपये का दावा किया है. संगठन ने कहा है कि सोशल मीडिया ऐप बच्चों की सुरक्षा और निजता की रक्षा के लिए जरूरी कदम नहीं उठा रहा है. नीदरलैंड्स और कई अन्य यूरोपीय देशों के 64 हजार से ज्यादा माता-पिताओं का प्रतिनिधित्व करने वाला संगठन मार्किट इन्फॉर्मेशन रिसर्च फाउंडेशन ने मंगलवार को ऐम्सटर्डम के एक कोर्ट में याचिका दायर की है.

क्या हैं आरोप?

संगठन का दावा है कि टिक टॉक बच्चों से बिना उचित इजाजत के डेटा जमा कर रहा है. संगठन के वकील डॉव लिंडर्स ने डच समाचार साइट Trouw को बताया कि चीनी सोशल मीडिया ऐप जरूरत से ज्यादा डेटा जमा कर रहा है, जो यूरोपीय संघ के कानूनों का उल्लंघन है.

उन्होंने कहा, "यह स्पष्ट नहीं है कि टिक टॉक निजी डेटा का इस्तेमाल किस तरह करता है. यह व्यक्तिगत पसंद-नापसंद के आधार पर विज्ञापन देने या डेटा को चीन या अमेरिका भेजने से जुडा हो सकता है. साथ ही, वे सही तरीके से इजाजत भी नहीं लेते हैं. 16 साल से कम उम्र के बच्चे भी बिना अपने माता-पिता की इजाजत के, बड़ी आसानी से अकाउंट बना सकते हैं.”

संगठन के मुताबिक खतरनाक चुनौतियां पूरी करने के चक्कर में दुनियाभर में बहुत से बच्चों का जान जा चुकी है. मिसाल के तौर पर ब्लैकआउट चैलेंज के जरिए टिक टॉक पर मौजूद लोगों को अपने साथियों का दम तब तक घोंटने की चुनौती दी गई, जब तक कि वे बेहोश ना हो जाएं. लिंडर्स कहती हैं कि मौत भले ही न हो, लेकिन इस तरह के खतरनाक खेल या चुनौतियां बच्चों को मनोवैज्ञानिक या शारीरिक नुकसान पहुंचा सकती हैं. हालांकि ऐसी चुनौतियों की अफवाहें टिक टॉक के आने से पहले भी उड़ती रही हैं.

टिक टॉक का कहना है कि वह अपने युवा यूजर्स की सुरक्षा के लिए मेहनत कर रही है. उदाहरण के लिए स्मार्टफोन ऐप ने 13 से 15 साल के बच्चों के अकाउंट्स को निजी ही रखा है. यानी इन बच्चों के वीडियो कोई अनजान व्यक्ति नहीं देख सकता. इसके अलावा अनुचित पाए जाने वाले वीडियों को हटा दिया जाता है और उनके बनाने वालों के अकाउंट्स को बंद कर दिया जाता है. साथ ही, लोगों को भी अनुचित वीडियो के बारे में सूचित करने की सुविधा दी गई है.

टिक टॉक एक कंपनी बाइटडांस की सोशल मीडिया ऐप है जिसके दुनियाभर में 70 करोड़ उपभोक्ता हैं. समाचार चैनल भी इस ऐप का इस्तेमाल समाचार देने के लिए कर रहे हैं. इनमें डॉयचे वेले भी शामिल है.

कैसे एकजुट हुए माता-पिता?

जुलाई 2020 में मार्किट इन्फॉर्मेशन रिसर्च फाउंडेशन की शुरुआत हुई थी. तब से पूरे यूरोप से 64 हजार दावे जमा किए जा चुके हैं. इनमें से एक तिहाई से ज्यादा नीदरलैंड्स से हैं. हर माता-पिता से संगठन 17.50 यूरो यानी करीब डेढ़ हजार रुपये लेता है. संगठन का दावा है कि वह दस लाख बच्चों की तरफ मुकदमा लड़ रहा है, भले ही वे उससे सीधे न जुड़े हों.

लिंडर्स बताती हैं, "आप इस मुकदमे को दूसरे ऐसे कई मुकदमों से जोड़कर देख सकते हैं. जैसे कि अरगेंडा केस, जिसमें जलवायु परिवर्तन के खिलाफ नीदरलैंड्स के हरेक व्यक्ति की ओर से दावा किया गया था. हमारा केस उन सभी बच्चों के लिए है जो टिक टॉक का इस्तेमाल करते हैं.”

संगठन ने 1.4 अरब यूरो का जो दावा किया है, वह हर बच्चे को 25 मई 2018 से अब तक हुए संभावित नुकसान के आधार पर तय किया गया है. संगठन का दावा है कि जो सबसे कम उम्र बच्चे खतरे में डाले गए हैं, उनकी उम्र 13 साल से कम है और उनके लिए प्रति बच्चा 2,000 यूरो यानी लगभग एक लाख 80 हजार रुपये का हर्जाना मांगा गया है. 13 से 15 साल तक के बच्चों के लिए एक हजार यूरो (लगभग 90 हजार रुपये) और 16 से 17 साल के किशोरों के लिए 500 यूरो (45 हजार रुपये) का हर्जाना मांगा गया है.

टिक टॉक पर कार्रवाइयों का सिलसिला

वजूद में आने के बाद से टिक टॉक अक्सर विवादों में रहा है. 2019 में अमेरिका ने इस ऐप के खिलाफ एक जांच की थी, जिसके बाद इसे प्रतिबंधित करने की चेतावनी दी गई थी. भारत ने 2019 में अस्थायी तौर पर और फिर 2020 में स्थायी रूप से इस ऐप को बैन कर दिया था. 29 जुलाई 2020 को भारत सरकार ने टिकटॉक समेत 233 चीनी ऐप्स को यह कहते हुए बैन कर दिया था कि ये ऐप भारत की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए खतरा हैं.

इंडोनेशिया में 3 जुलाई 2018 को टिकटॉक पर पॉर्नोग्रफी, अनुचित सामग्री और ईशनिंदा जैसे आरोप लगाते हुए बैन कर दिया था. इसके बाद कंपनी ने कहा कि वह 20 लोगों को नौकरी पर रखेगी और सामग्री को सेंसर किया जाएगा. इस आश्वासन पर आठ दिन बाद बैन हटा लिया गया. बांग्लादेश में ऐप को 2018 में एक बार बैन किया जा चुका है. पाकिस्तान ने भी पिछले साल अक्टूबर में इस ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया था जिसे बाइटडांस के आश्वासन के बाद हटा लिया गया. चीन ने भी विदेशी सामग्री प्रसारित करने के आरोप में इस ऐप को बैन कर दिया था.

रिपोर्ट: जॉन कलाटो 

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