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यूक्रेन युद्ध की ग्राउंड कवरेज के लिए पत्रकारों को DW अवॉर्ड

कोंस्टांटिन गनचारोव
२ मई २०२२

डीडब्ल्यू फ्रीडम ऑफ स्पीच अवॉर्ड 2022 की घोषणा हो गई है. यह अवॉर्ड फ्रीलांस फोटोजर्नलिस्ट एवगिनी मलोलेत्का और एसोसिएटेड प्रेस के वीडियोग्राफर और फोटोजर्नलिस्ट मिस्तेस्लाव चेर्नोव को दिया गया है.

मारियोपोल के मातृत्व अस्पताल से उठते धुएं की ओर इशारा करते इनविजी मलोलिएत्का.
मारियोपोल के मातृत्व अस्पताल से उठते धुएं की ओर इशारा करते इनविजी मलोलिएत्का.तस्वीर: Mstyslav Chernov/AP Photo/picture alliance

दोनों पत्रकारों ने यूक्रेन के दक्षिण-पूर्वी शहर मारियोपोल की तबाही और रूसी कब्जे की तस्वीरें और वीडियो दुनिया को दिखाए हैं. दोनों ने मारियोपोल में काम कर रहे डॉक्टरों, स्वंयसेवियों और अनगिनत युद्ध पीड़ितों की दास्तान को दुनिया के सामने रखा. 

विश्वभर में चर्चित, रूसी बमबारी में तबाह होने वाले अस्पताल की तस्वीरें भी मलोलेत्का और चेर्नोव ने ही खींची थीं.

डीडब्ल्यू से बातचीत में एवगिनी मलोलेत्का ने कहा कि जब रूस ने कथित दोनेत्स्क रिपब्लिक और लुहांस्क रिपब्लिक को अलग देश के रूप में मान्यता दी, तभी से स्पष्ट हो गया था कि जंग अब टल नहीं सकती. बस सवाल इतना ही था कि कब शुरू होगी. उन्होंने कहा, "हमें जानकारी थी कि वे मारियोपोल के जरिये पहले से अलग किए जा चुके क्रीमिया तक एक रास्ता बनाना चाहते हैं." 24 फरवरी को जब रूसी हमला शुरू हुआ तो दोनों पत्रकार अजोव सागर के बने बड़े बंदरगाह वाले इस शहर में थे.

दोनेत्सक में रूसी हमले का निशाना बने घर. तस्वीर: Evgeniy Maloletka/AP/picture alliance

मारियोपोल रूस हमले का निशाना बनने वाली सबसे शुरुआती शहरों में से एक था. मलोलेत्का ने बताया, "हमने मिसाइलों का निशाना बनते अपार्टमेंटों को कैमरे में रिकॉर्ड किया. शुरुआत में मारियोपोल का पूर्वी इलाका गोलाबारी से प्रभावित था. बाकी सारे हिस्सों में शांति बनी हुई थी. पत्रकार अपना काम कर पा रहे थे, स्वतंत्र रूप से घूम पा रहे थे." हालांकि ऐसा ज्यादा दिन नहीं रहा.

मारियोपोल की रक्षा

कुछ ही दिनों बाद यूक्रेनी सैनिकों की संख्या मारियोपोल में बढ़ने लगी. मलोलेत्का के मुताबिक, "पूरी आर्मी शहर में आ गई, क्योंकि खुले में डटे रहना संभव नहीं रह गया था." गोलाबारी तेज होती जा रही थी और शहर के मुख्य हिस्से पर भी हमले बढ़ रहे थे. हवाई हमले हो रहे थे, रूस के खुफिया दस्ते शहर के अंदर आकर अपना काम कर रहे थे.

एक घायल गर्भवती महिला को ले जाते यूक्रेनी सुरक्षाकर्मी और वॉलंटियरतस्वीर: Evgeniy Maloletka/AP/picture alliance

इस वजह से स्वतंत्र रूप से घूम पाना संभव नहीं रह गया था. बहुत कम वाहन सड़कों पर दिख रहे थे, फोन लाइनें धीरे-धीरे बंद हो रही थीं. 10 मार्च आते-आते बाहरी संपर्क बंद हो गया. मलोलेत्का ने बताया, "लोग घबराए हुए थे और हमसे पूछ रहे थे कि क्या चल रहा है. वो हर तरह की जानकारी चाह रहे थे, मानवीय गलियारों के बारे में जानना चाहते थे."

दोनों पत्रकार परिजनों और वॉलंटियरों के साथ अस्पतालों में भी पहुंचे जहां शव इकट्ठे किए जा रहे थे. युद्ध के बीच बहुत सी कब्रगाहों तक नहीं पहुंचा जा सकता था, इसलिए कुछ मृतकों को घरों के पास ही दफनाना पड़ा. जब मौतें बढ़ती गईं, तो सामूहिक कब्रें खोदी गईं. मलोलेत्का बताते हैं, "30 मीटर लंबा और करीब 3 मीटर चौड़ा गड्ढा खोदा गया और अस्पताल से आती लाशों को वहां दफनाया जाता रहा."

मलोलेत्का और चर्नोव के 15 मार्च को युद्ध प्रभावित हिस्से से बाहर निकलने से पहले अस्पताल के बाहर की तस्वीर.तस्वीर: Evgeniy Maloletka/AP Photo/picture alliance

चेर्नोव और मलोलेत्का ने छोटे बच्चों की भी रूसी हमले का शिकार होता देखा. मलोलेत्का के मुताबिक, "हमने अस्पताल में भर्ती जितने भी बच्चों की तस्वीरें लीं, उन सभी की मौत हो चुकी है. कोई 15 साल का था तो कोई मात्र 3 माह का, सब गोलाबारी की वजह से. बच्चों को मरते देखना बहुत भयावह होता है."

बच्चों और महिलाओं को कई दिनों तक भूमिगत बंकरों में रहना पड़ा है.तस्वीर: Mstyslav Chernov/AP Photo/picture alliance

खंडहर बना मारियोपोल

धीरे-धीरे मारियोपोल का पूरा आधारभूत ढांचा बर्बाद हो गया. मलोलेत्का बताते हैं, "उन्होंने(रूस ने) फायर ब्रिगेड को निशना बनाया. शायद इसलिए कि शहर में आग बुझाना और दबे हुए लोगों को निकालना नामुमकिन हो जाए और लोगों में डर बैठ जाए. फिर रूसी सैनिक शहर में घुसे. टैंकों के साथ आगे बढ़े, रास्ते में आने वाली हर चीज को मिटाते हुए जा रहे थे. यह मध्यकालीन तरीका था, अगर आप किसी शहर को जीत नहीं सकते या बचा नहीं सकते तो उसे खंडहर बना दो."

मातृत्व अस्पताल के बाहर हमले के बाद की स्थिति. तस्वीर 9 मार्च को खींची गई थी.तस्वीर: Mstyslav Chernov/AP Photo/picture alliance

जब मातृत्व अस्पताल पर 9 मार्च को बम गिरा तो दोनों पत्रकार पास में ही थे. मलोलेत्का बताते हैं, "वहां बहुत जोरदार धमाका हुआ, जिससे पास की इमारतों की खिड़कियां तक टूट गईं. हमने देखा, वहां सब कुछ टूट चुका था. लोग सदमे में थे, बेसमेंट से भाग रहे थे. हमने देखा कि कैसे गर्भवती महिलाओं को वहां पहुंचाया गया. यह बहुत भारी पल थे."

मलोलेत्का नहीं मानते कि उस अस्पताल में किसी भी तरह की सैन्य गतिविधि या सैन्य हथियार मौजूद थे, जैसा कि रूस दावा कर रहा है. अस्पताल का एक हिस्सा मातृत्व अस्पताल की तरह काम कर रहा था. पत्रकार क्षतिग्रस्त अस्पताल में थे जब रूसी टैंक वहां पहुंचे. मलोलेत्का ने बताया, "हम पूरा दिन अस्पताल में छुपे रहे. हमने सफेद स्क्रब पहना हुआ था, डॉक्टरों के भेष में, और रूसी टैंकों को शहर से आते-जाते देखा."

मारियोपोल शहर के एक बम शेल्टर में छुपे यूक्रेनी. तस्वीर: Evgeniy Maloletka/AP Photo/picture alliance

12 मार्च की सुबह, यूक्रेनी सेना ने पत्रकारों को सुरक्षित जगह पर पहुंचा दिया. मलोलेत्का ने बताया कि उसके बाद वे शहर के कुछ हिस्से में घूम सकते थे. बाद में पुलिस अधिकारियों की मदद से उन्हें सैटेलाइट इंटरनेट मिला, जिससे वे डेटा भेज पाए.

बाद में उन्हें अपनी जान बचाने के लिए कहा गया. मलोलेत्का के मुताबिक, "हमें कहा गया कि अगर हमें रूसियों ने पकड़ लिया तो वे हमें उनकी इच्छानुसार जानकारी देने को कहेंगे." यहां तक कि उनकी रिपोर्ट को उन्हीं के मुंह से झूठा बुलवा सकते हैं. 

मारियोपोल से कैसे निकले

15 मार्च को मलोलेत्का और चेर्नोव जंग में झुलसते मारियोपोल से निकले. मलोलेत्का ने बताया, "हम धीरे-धीरे जा रहे थे. मारियोपोल और ओरिखीव के रास्ते पर. यहां हर गांव में कम से कम एक चेकपॉइंट बना हुआ था. कुल मिलाकर हमने 15 या 16 रूसी चेकपॉइंट पार किए. हमें डर था कि कहीं हमारे फोन ना छीन लिए जायें. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. रात में हम आखिरकार रूस और यूक्रेनी सैनिकों के बीच बने बॉर्डर को पार कर गए."

मिस्तेस्लाव चेर्नोव, पत्रकारतस्वीर: Evgeniy Maloletka/AP Photo/picture alliance

यूक्रेन के प्रॉसिक्यूटर जनरल ऑफिस के मुताबिक, अप्रैल के आखिर तक 18 पत्रकारों की मौत हो चुकी है. 3 पत्रकार गुमशुदा हैं और 13 घायल हैं. प्रभावितों में- ब्रिटेन, चेक रिपब्लिक, अमेरिका, डेनमार्क, संयुक्त अरब अमीरात, रूस, आयरलैंड, स्विट्जरलैंड, फ्रांस और लिथुआनिया के पत्रकार शामिल हैं.

इवगिनी मलोलेत्का तस्वीर: Evgeniy Maloletka

साल 2015 से डीडब्ल्यू फ्रीडम ऑफ स्पीच अवॉर्ड दे रहा है. यह सम्मान मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की आजादी में अहम भूमिका निभाने वालों को दिया जाता है.

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