पहले से तेज घूम रही है धरती, सबसे छोटे दिन का नया रिकॉर्ड
१ अगस्त २०२२
खबर है कि धरती तेज चकराने लगी है. हाल ही में उसने सबसे छोटे दिन यानी अपनी धुरी पर सबसे तेज घूमने का नया रिकॉर्ड बनाया है. यूं दिन छोटे होने लगे तो क्या होगा?
अपनी धुरी पर पृथ्वी का एक चक्कर एक दिन के बराबर होता है, यानी 24 घंटे.तस्वीर: M. Gann/blickwinkel/McPHOTO/picture alliance
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बीती 29 जून को दिन 24 घंटे का नहीं था. पृथ्वी ने अपनी धुरी पर चक्कर 1.59 मिलीसेंकड कम समय में पूरा कर लिया और इस तरह यह अब तक का सबसे छोटा दिन साबित हुआ. इसके एक महीने से भी कम समय यानी 26 जुलाई को पृथ्वी ने अपनी धुरी पर चक्कर पूरा करने में 1.50 मिली सेकंड कम समय लिया.
इंडीपेंडेंट अखबार ने एक रिपोर्ट छापी है जिसके मुताबिक पृथ्वी की अपनी धुरी पर घूमने की रफ्तार तेज हो गई है. 2020 में भी पृथ्वी ने 1960 के दशक के बाद सबसे छोटे दिन का रिकॉर्ड बनाया था. उस साल 19 जुलाई को दिन 24 घंटे से 1.4602 मिलीसेकंड छोटा रहा था. रिपोर्ट कहती है कि 2021 में भी पृथ्वी के घूमने की रफ्तार तेज रही लेकिन उसने कोई नया रिकॉर्ड नहीं बनाया.
पृथ्वी की गति तेज होने की वजह तो फिलहाल नहीं बताई गई है लेकिन कुछ वैज्ञानिकों ने कहा है कि धरती के गर्भ में घट रहीं गतिविधियां इसका कारण हो सकती हैं. कुछ वैज्ञानिकों ने तो यह भी कहा है कि जलवायु परिवर्तन इसकी वजह हो सकता है.
चीन ने ली पूरे मंगल की तस्वीरें
चीन के एक अंतरिक्ष यान ने पूरे मंगल ग्रह की तस्वीरें ली है. इसके लिए उसने ग्रह के 1,300 चक्कर लगाए. देखिए, मंगल के हर ओर की तस्वीरें...
तस्वीर: picture alliance / ZUMAPRESS.com
तियानवेन-1
तियानवेन-1 नाम का मानवरहित यान फरवरी 2021 में मंगल की कक्षा में पहुंचा था और तब से वहां की तस्वीरें भेज रहा है.
तस्वीर: CNSA/REUTERS
1,300 चक्कर
पिछले साल इस यान ने मंगल के 1,300 चक्कर लगाए और तब जाकर ये तस्वीरें जमा कीं.
तस्वीर: CNSA/REUTERS
दक्षिणी ध्रुव भी दिखा
इस यान ने दक्षिणी ध्रुव की तस्वीरें भी ली हैं जो पृथ्वी से नजर नहीं आता. इसी ओर मंगल के पानी के भंडार मौजूद हैं.
तस्वीर: CNSA/REUTERS
मंगल का हर कोण
चीन के एक अंतरिक्ष यान ने मंगल के हर ओर की तस्वीरें ली हैं.
तस्वीर: CNSA/XinHua/picture alliance
पानी की संभावना
चीन का यह यान मानवरहित था. वह पानी के भंडारों की तरफ की तस्वीरें लेने में कामयाब रहा. मंगल पर जीवन की संभावना के लिए पानी की मौजूदगी सबसे बड़ा प्रश्न है.
तस्वीर: CNSA/REUTERS
उत्तरी ध्रुव
ऐसा दिखता है मंगल ग्रह का उत्तरी ध्रुव. चीनी एजेंसी की ली गई इस फोटो में बर्फ की परतें नजर आती हैं.
तस्वीर: CNSA/XinHua/picture alliance
मंगल पर पैराशूट
चीनी एजेंसी ने जुलाई 2021 में यह तस्वीर साझा की. इसे कैद किया चीनी मार्स रोवर 'शूरॉन्ग' ने और इसमें मंगल की सतह पर नजर आ रही है चीनी पैराशूट और बैकशेल की छाया.
तस्वीर: CSNA/AFP
रोवर ही रोवर
शूगॉन्ग रोवर से 30 मीटर की दूरी पर मौजूद रोवर ने उसी पैराशूट और बैकशेल की ऐसी तस्वीर खींची.
तस्वीर: CSNA/AFP
मंगल की धरती पर चीन का झंडा
सीएनएसए यानि चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ने जून 2021 में यह फोटो शेयर की, जिसमें चीनी झंडे के साथ मंगल पर मौजूद प्लेटफॉर्म नजर आता है. इसे भी शूगॉन्ग रोवर ने लिया था.
तस्वीर: CNSA/AP/picture alliance
बारीकियां दिखाती फोटो
यह मंगल के धरातल की बहुत ऊंचे रिजॉल्यूशन वाली तस्वीर है, जिसे तियानवेन-1 ने लिया. ऐसी फोटो को पैनक्रोमेटिक इमेज कहा जाता है.
तस्वीर: CNSA/Xinhua/picture alliance
यह रहा कैमरा
तियानवेन-1 मिशन का हिस्सा बने शूगॉन्ग रोवर ने अपने इसी कैमरे से मंगल की तस्वीरें ली हैं. चीन का यह मिशन अभी भी जारी है.
तस्वीर: CNSA/Handout via REUTERS
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इंडिपेंडेंट के मुताबिक अगर पृथ्वी इसी तरह गति बढ़ाती जाती है तो एक नए नेगेटिव लीप सेकंड की जरूरत पड़ सकती है ताकि घड़ियों की गति को सूरज के हिसाब से चलाए रखा जा सके. लेकिन यह नेगेटिव लीप सेकंड स्मार्टफोन, कंप्यूटर और अन्य कम्यूनिकेशन सिस्टम की घड़ियों में गड़बड़ी पैदा कर सकता है. एक ‘मेटा ब्लॉग' के हवाले से अखबार ने लिखा है कि लीप सेकंड वैज्ञानिकों और खगोलविदों के लिए तो फायदेमंद हो सकता है लेकिन यह एक ‘खतरनाक परंपरा है जिसके फायदे कम नुकसान ज्यादा हैं.'
ऐसा इसलिए है क्योंकि घड़ियां 23:59:59 के बाद 23:59:60 पर जाती हैं और फिर 00:00:00 से दोबारा शुरू हो जाती हैं. टाइम में यह बदलाव कंप्यूटर प्रोग्रामों को क्रैश कर सकता है और डेटा को करप्ट कर सकता है क्योंकि यह डेटा टाइम स्टैंप के साथ सेव होता है.
मेटा ने यह भी कहा है कि अगर नेगेटिव लीप सेकंड लाया जाता है तो घड़ियों का समय 23:59:58 के बाद सीधा 00:00:00 पर जाएगा जिसका ‘विनाशकारी प्रभाव' हो सकता है. ‘इंटरेस्टिंग इंजीनियरिंग' के मुताबिक इस समस्या को हल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समयसूचकों को ‘ड्रॉप सेकंड' जोड़ना होगा.
लीप सेकंड की अवधारणा
अगर लीप सेकंड जोड़ा जाता है तो यह कोई पहली बार नहीं होगा. दुनियाभर की घड़ियां जिस कोऑर्डिनेटे यूनिवर्सल टाइम (यूटीसी) के आधार पर चलती हैं उसे 27 बार लीप सेकंड से बदला जा चुका है. असल में कुछ साल पहले तक सोचा जाता था कि पृथ्वी की अपनी धुरी पर घूमने की रफ्तार कम हो रही है. ऐसा 1973 तक एटॉमिक क्लॉक से की गई गणना के बाद माना गया था.
इसी के बाद इंटरनेशनल अर्थ रोटेशन एंड रेफरेंस सिस्टम्स सर्विस (आईईआरएस) ने लीप सेकंड जोड़ना शुरू किया जो 27वीं बार 31 दिसंबर 2016 को किया गया था. कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर लंबे समय में देखा जाए तो यह संभव है कि पृथ्वी की अपनी धुरी पर गति धीमी पड़ रही हो. ऐसा मानने की एक वजह चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण है जो धरती को अपनी ओर खींचता है जिससे उसकी गति धीमी हो रही है. इसी गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी सूर्य के चारों ओर गोलाई में नहीं बल्कि चपटे रास्ते से चक्कर लगाती है.
जेम्स वेब टेलीस्कोप की पांच तस्वीरें जिन्होंने बदल दिया नजरिया
जेम्स वेब टेलीस्कोप की भेजीं तस्वीरें इंसान को ब्रह्मांड में वहां ले जाती हैं, जहां अब तक इंसान की नजर नहीं पहुंची थी. इन तस्वीरों को देखना समय में अरबों साल पीछे जाना है.
तस्वीर: NASA/ESA/CSA & and STScI
जहां जन्मे सितारे
सदर्न रिंग नेब्युला गैसों का फैलता बादल है जो एक मरते सितारे से घिरा है. इसका व्यास आधे प्रकाश वर्ष के बराबर है. नेब्युला ही वो जगह है जहां किसी तारे का जन्म होता है.
तस्वीर: NASA, ESA, CSA, STScI, and The ERO Production Team
अदृश्य भी दिखने लगा
ये जो आपको चमकते पहाड़ लग रहे हैं, असल में करीना नेब्युला में एनजीसी-3324 नाम के एक जन्मते सितारे के कोने हैं. जेम्स वेब टेलीस्कोप ने तारे के उन हिस्सों की तस्वीरें ली हैं जो पहले अदृश्य थे.
तस्वीर: NASA, ESA, CSA, STScI, Webb ERO Production Team
अरबों साल दूर आकाशगंगाएं
एसएसीएस 0723 आकाशगंगाओं का एक समूह है जो अपने पीछे मौजूद तारों के प्रकाश को भी एक लेंस की तरह फैलाकर दिखाता है. इस तस्वीर में कुछ रोशनियां 13 अरब साल पहले चली थीं जो अब दिखी हैं.
तस्वीर: NASA, ESA, CSA, STScI, Webb ERO Production Team
करोड़ों तारों का घर
स्टीफन्स क्विंटेट पांच आकाशगंगाओं का एक घर है. इस तस्वीर में क्विंटेट के जो रूप नजर आ रहे हैं वे आज से पहले कभी इतनी स्पष्टता से नहीं देखे गए थे.
तस्वीर: NASA, ESA, CSA, STScI, Webb ERO Production Team
गैस का विशालकाय गोल
डबल्यूएएसपी-96 बी पृथ्वी के सौर मंडल के बाहर एक विशाल ग्रह है जिसकी खोज 2014 में हुई थी. यह गैसों का विशाल गोला है जो पृथ्वी से लगभग 1,150 प्रकाश वर्ष दूर है. इसका भार बृहस्पति जितना है और यह हर तीन-चार दिन में अपने तारे का एक चक्कर पूरा कर लेता है.
तस्वीर: NASA/ESA/CSA & and STScI
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लेकिन कुछ एटॉमिक घड़ियों ने इस अवधारणा को बदला है कि धरती की गति धीमी पड़ रही है. इन घड़ियों का आकलन एकदम उलटा है यानी गति बढ़ रही है. इसी आधार पर इंटरेस्टिंग इंजीनियरिंग ने कहा है कि हो सकता है छोटे दिनों का 50 साल लंबा दौर शुरू हो रहा है.