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कोई अनोखी घटना नहीं थी पृथ्वी पर मानव जीवन का होना

१८ फ़रवरी २०२५

एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि धरती पर मानव जीवन मुमकिन हो सका, उन स्थितियों के कारण जिन्होंने धरती को जीने लायक बनाया. यह कोई अद्भुत घटना नहीं थी और ये स्थितियां दूसरे ग्रहों पर भी जीवन के पनपने की वजह बन सकती हैं.

पृथ्वी की सांकेतिक तस्वीर
वैज्ञानिकों की एक नई स्टडी कहती है कि पृथ्वी पर मानव जीवन की उत्पत्ति कोई असंभव घटना नहीं थी. यहां के वातावरण में हुए बदलावों ने इसे इंसानों के रहने लायक बनायातस्वीर: Marc Ward/StockTrek Images/IMAGO

मानव जीवन की उत्पत्ति पृथ्वी बनने के करीब साढ़े चार अरब साल बाद हुई थी. इस समय अवधि से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस दौरान पृथ्वी कितनी अनगिनत प्रक्रियाओं और घटनाओं से होकर गुजरी होगी.

इस बारे में ही 1983 में वैज्ञानिकों ने एक सिद्धांत लिखा, जिसे हार्ड स्टेप्स थ्योरी कहा गया. इस थ्योरी के मुताबिक इंटेलिजेंट लाइफ यानी जैसा जीवन आज हम इंसान जी रहे हैं, वहां तक पहुंचने के लिए कई कठिन पड़ावों और घटनाओं से हो कर गुजरना पड़ता है. धरती पर जब इंसानों के जीवन की शुरुआत हुई उससे पहले कई भौगोलिक घटनाएं हुईं. सिद्धांत यह भी बताता है कि बिना इसके पृथ्वी या कहीं भी ऐसे जीवन का होना नामुमकिन था.

लेकिन अब वैज्ञानिक इस थ्योरी को चुनौती दे रहे हैं. उनकी इस नई थ्योरी के मुताबिक शायद इंसानी जीवन का अस्तित्व में आना इतना भी कठिन और असंभव नहीं था. समय के साथ पृथ्वी का वातावरण इंसानों के रहने लायक बना जिसके कारण मानव जीवन अस्तित्व में आया. उनका मानना है कि पृथ्वी के अलावा भी दूसरे ग्रहों पर जीवन का होना संभव है. हो सकता है कि हमारी सोच से कहीं अधिक जगहों पर जीवन अस्तित्व में आने का इंतजार कर रहा हो.

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पृथ्वी पर जीवन, कोई भाग्यशाली घटना नहीं

म्यूनिख यूनिवर्सिटी में सूक्ष्मजीव विज्ञानी और रिसर्चर डैन मिल्स की यह थ्योरी साइंस अडवांसेज नाम के जर्नल में प्रकाशित हुई है. वह इस पेपर के मुख्य लेखक हैं. इसमें एक अन्य भूविज्ञानी और खगोल वैज्ञानिक शामिल हैं.

इनका कहना है कि संभव है कि होमोसेपियंस और परग्रही जीवन रूप कई जैविक और भूमंडलीय उद्भव का नतीजा हो. कई "भाग्यशाली घटनाओं" के उलट एक ग्रह पर जीवन के पनपने की कई दूसरी वजहें होती हैं. उन्होंने इस पर भी जोर डाला कि जीवन के पनपने के लिए जो स्थितियां अनिवार्य होती हैं, जरूरी नहीं है कि ये सिर्फ धरती पर ही मौजूद हों. वैज्ञानिकों ने तो यहां तक कह दिया है कि हो सकता है शायद हार्ड स्टेप थ्योरी का असल में कभी कई अस्तित्व ही ना रहा हो.

इंसानों के रहने लायक कैसे बनी पृथ्वी

इनका दावा है कि धरती पर मानव जीवन मुमकिन हो सका, उन स्थितियों के कारण जिन्होंने धरती को जीने लायक बनाया. जैसे पोषण और ऑक्सीजन की मौजूदगी, समुद्री तापमान और खारा पानी. इनके कारण ही पृथ्वी पर जीवन के होने के आसार मजबूत हुए और प्रक्रिया तेज हुई.

पेन यूनिवर्सिटी की माइक्रोबायॉलोजिस्ट और पेपर की एक शोधार्थी जेनिफर मैकलेडी ने कहा कि जैसे ही वातावरण की स्थितियां अनुकूल होती हैं, जिस जैविक विकास के घटित होने की संभावना लगभग असंभव होती है, दरअसल तेजी से घटने लगते हैं.

वह आगे कहती हैं कि अगर पानी और बायोमॉलिक्यूल के संतुलन के लिए तापमान सही होता तो जीवन तेजी से पनपने लगता. करीब 50 करोड़ साल पहले, पृथ्वी इंसानों के रहने लायक तब बनी जब दूसरी बार ऑक्सीजन की मात्रा वायुमंडल में बढ़ी. इसका मतलब है कि मानव जीवन का इस घटना से पहले होना नामुमकिन था.

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क्या कहीं और संभव है जीवन

खगोल वैज्ञानिक इस बात का सबूत खोजने में लगे हैं कि क्या धरती के अलावा भी कहीं जीवन मौजूद है. उन्होंने करीब 5,800 ऐसी जगहों को चिन्हित भी किया है. इनमें से कुछ गैस के बेहद विशालकाय गोले हैं. कुछ तो आकार में बृहस्पति जितने बड़े हैं. कुछ की सतह धरती जितनी ही पथरीली है.

पेपर के एक अन्य रिसर्चर और खगोल वैज्ञानिक जेसन राइट कहते हैं, "फिलहाल यह अनुमान लगाया जा सकता है कि आधे से अधिक तारों के पास धरती जितने बड़े ग्रह मौजूद हैं, जहां पानी भी है जो जीवन के लिए सबसे जरूरी है.”

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आरआर/वीके (रॉयटर्स)

 

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