मुफ्त निवास का ऑफर देते जर्मन शहर
२१ जून २०२५
जर्मनी के एक छोटे से शहर गुबेन में अपनी डेस्क के पीछे बैठी अनिका फ्रांत्से मुस्कुराते हुए कहती हैं, "यहां किफायती आवास ढूंढने की कोई मुश्किल नहीं है, यहां ट्रैफिक जाम नहीं है, यहां आपाधापी भी नहीं है और मुझे पार्किंग की जगह ढूंढने में कभी परेशानी नहीं हुई."
38 साल की अनिका का भूतपूर्व जर्मन लोकतांत्रिक गणराज्य (जीडीआर) के पूर्वी बर्लिन में हुआ था. जर्मन दीवार गिरने से पहले और एकीकरण के बाद में उन्होंने अपना अधिकांश जीवन राजधानी के उसी जिले में बिताया. लेकिन फिर भागदौड़, बढ़ती असमानता को लेकर लाचारगी और साथ ही आवास संकट के कारण वो बर्लिन से निकलने की तैयारी करने लगीं.
इसी दौरान ब्रांडनबुर्ग से गुजरते हुए, उन्होंने अपनी कार में लोकल रेडियो पर, "ट्रायल लिविंग" (प्रोबेवोनन) स्कीम के बारे में सुना. इसमें लोगों को पोलैंड के साथ जर्मनी की सुदूर पूर्वी सीमा पर बसे, गुबेन में चार हफ्ते तक मुफ्त में रहने का मौका दिया जा रहा था. योजना का मकसद अधिक से अधिक लोगों को शहर में बसने के लिए प्रोत्साहित करना था, ताकि जनसंख्या में कमी से लड़ने में मदद मिल सके.
अब अनिका को गुबेन में आठ महीने हो चुके हैं. वह यहीं रह रही हैं और ट्रायल लिविंग प्रोजेक्ट का प्रबंधन भी कर रही हैं. गुबेन में वह 100 वर्ग मीटर का स्प्लिट-लेवल अपार्टमेंट किराये पर ले सकीं. अपार्टमेंट में वॉक-इन अलमारी है, जिसकी कीमत बर्लिन के सस्ते इलाकों में शेयर किए जाने वाले फ्लैट के किराये से भी कम है.
अनिका कहती हैं, "यहां हमेशा शांति रहती है, शोर गुल नहीं होता, सड़कों पर कूड़ा-कचरा कम है और आप हमेशा अपने परिचितों से मिलते हैं, ये मुझे काफी अच्छा लगता है." एक खास अनुभव के बारे में वह कहती हैं कि यहां नदी पार कर एक पोलिश कैफे में फैंसी केक खाने भी जाया जा सकता है.
2024 में गुबेन में 30 लोगों ने इस योजना में हिस्सा लिया और उनमें से छह लोग लंबे समय के लिए यहां डेरा जमा चुके हैं. अनिका के मुताबिक, मीडिया कवरेज के कारण और भी लोग यहां आए. पास के कस्बे लुजाटिया में भी अब इसी तरह की स्कीम शुरू की गई है. फ्रैंकफर्ट (ओडर) और हाल ही में आइजेनहुटेनश्टाट भी इस प्रोजेक्ट में शामिल हो चुके हैं. यह प्रोजेक्ट असल में जीडीआर में सामाजिक आवास योजना के तहत शुरू किया गया स्टालिश्टाट मॉडल का ही नया रूप है.
घटती और उम्रदराज होती आबादी के खिलाफ एक समाधान
गुबेन उन सैकड़ों औद्योगिक कस्बों और शहरों में से एक है, जिनकी जनसंख्या में 1990 में जर्मन एकीकरण के बाद बड़े बदलाव हुए. घटती जन्म दर, युवाओं के जर्मनी के समृद्ध राज्यों में जाने और बढ़ती जीवन प्रत्याशा ने यहां बुढ़ापे की समस्या को और विकराल कर दिया.
फिलहाल गुबेन में 16,600 लोग रहते हैं. यह जनसंख्या 1995 की 29,100 की आबादी के मुकाबले लगभग आधी है. 2030 तक के दशक में इसके16 प्रतिशत और घटने का अनुमान है. कामकाजी उम्र की आबादी में भी 27 फीसदी की गिरावट का अंदाजा है.
जब ट्रायल लिविंग योजना पहली बार शुरू हुई थी, तब शहर के मेयर फ्रेड मारो ने बर्लिन के टीएजी अखबार से कहा, "हम एक पूरी पीढ़ी खो रहे हैं."
2024 की सर्दियों में, स्वतंत्र नागरिक समाज संस्था बैर्टेल्समान फाउंडेशन ने एक शोध प्रकाशित किया. शोध में पाया गया कि जर्मनी, अनुमानित श्रम बाजार मांग को पूरा करने के लिए आप्रवास पर निर्भर रहेगा. अन्य यूरोपीय देशों की भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति है. इसी वजह से लोगों को यूरोपीय संघ के बाहर सेलाना होगा.
बैर्टेल्समान फाउंडेशन की प्रवास नीति एक्सपर्ट सुजाने शुल्त्स कहती हैं, "आर्थिक दृष्टिकोण से, हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि स्थान आकर्षक बने रहें, व्यवसायों को वहां टिके रहने के लिए प्रोत्साहन मिले, लेकिन यह उससे कहीं अधिक जरूरी है, मसलन, स्वागत करने वाली संस्कृति और सामाजिक मेलजोल."
शुल्त्स ने संघीय रोजगार एजेंसी के पिछले हफ्ते प्रकाशित शोध का हवाला देते हुए एक और चौकाने वाली बात कही. उन्होंने कहा कि जर्मनी में बसने वाले 18 से 65 आयुवर्ग के ऐसे लोग जो विदेश में पैदा हुए हैं, उनमें से लगभग एक चौथाई ने पिछले साल जर्मनी छोड़ने के बारे में सोचा. सर्वे में शामिल दो तिहाई लोगों ने भेदभाव को इसका कारण बताया. एक तिहाई ने कहा कि उन्हें स्वागतयोग्य गर्मजोशी नहीं दिखती. शुल्त्स मानती हैं कि आप्रवासन के मुद्दे पर बयानबाजी और नीतियां गलत संदेश दे रही हैं.
डीडब्ल्यू से बातचीत में शुल्त्स ने कहा, "राजनीति से असंतोष इसका एक मुख्य कारण है और मुझे लगता है कि इसका बहुत कुछ पिछले डेढ़ साल में हुए घटनाक्रमों से भी लेना-देना है-जर्मनी में मूड वास्तव में बदल चुका है." उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को सामाजिक और आर्थिक रूप से साथ लाने में मदद करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की दरकार है.
जर्मनी के पूर्वी इलाकों में दक्षिणपंथी उभार का असर
जर्मनी के पूर्वी राज्यों की छवि दक्षिणपंथी चरमपंथ के गढ़ जैसी बन चुकी है. इसका असर नए निवासियों को आकर्षित करने में संघर्ष के रूप में भी दिख रहा है. 1999 में गुबेन में अल्जीरियाई शरणार्थी फरीद गौंदौल की नवनाजियों ने हत्या कर दी. वह मामला मीडिया में खूब छाया रहा.
जर्मनी के पूर्वी राज्यों में फरवरी 2025 में हुए संघीय चुनावों में लगभग 42 फीसदी मतदाताओं ने दक्षिणपंथी पार्टी, अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) को वोट दिया. एएफडी कठोर आप्रवासी विरोधी बयानबाजी के लिए जानी जाती है. जर्मनी की घरेलू खुफिया एजेंसी ने पार्टी को "दक्षिणपंथी चरमपंथी" के रूप में वर्गीकृत किया है. हालांकि पार्टी ने इस मामले को अदालत में चुनौती दी है. इसके बाद एजेंसी ने कहा कि वह अदालत के फैसले तक इस शब्द के इस्तेमाल से परहेज करेगी.
अनिका फ्रांत्से का कहना है कि ऐसे आंकड़े शहर के रोजमर्रा के जीवन को नहीं दर्शाते हैं. वह एएफडी पर ध्यान केंद्रित करने से निराश हैं. अनिका के मुताबिक गुबेन के लगभग 60 प्रतिशत लोगों ने उदारवादी या मध्यमार्गी दलों को वोट दिया.
अनिका कहती हैं, "लोगों के अपने पूर्वाग्रह और अपनी रूढ़िया होती हैं, लेकिन मेरे अनुभव में, आप फिर भी लोगों से जुड़ सकते हैं, बस उन्हें थोड़ा समय चाहिए क्योंकि वे ज्यादा विविधता के आदी नहीं हैं."
अन्य इलाकों से तुलना करते हुए वह कहती हैं, "मैं कल्पना नहीं कर सकती कि किसी दूसरे छोटे यूरोपीय शहर में इससे कुछ अलग हो सकता है."
अब ट्रायल लिविंग योजना अपने दूसरे वर्ष में है. गुबेन को इस बार पूरे जर्मनी, साथ ही बेल्जियम, अल्जीरिया, मिस्र और ब्राजील से 40 आवेदन मिले हैं. सफल आवेदकों को केवल 100 यूरो में हाल ही में रेनोवेट किए गए अपार्टमेंट में रहने की सुविधा दी जाएगी.
इसके साथ ही यहां के बाशिंदों को साप्ताहिक सामाजिक समारोहों में भाग लेने, स्थानीय म्यूजियम की मदद से शहर में कलात्मक योगदान देने और स्थानीय कंपनी में इंटर्नशिप करने के मौके भी मिलते हैं.
मजबूत अतीत वाला शहर गुबेन
गुबेन कभी अपने कपड़ा और हैट उद्योग के लिए प्रसिद्ध था. यहां पहली बार मौसमरोधी ऊनी टोपी बनाई गई थी. 1960 में खोली गई एक सिंथेटिक फाइबर फैक्ट्री लंबे समय तक इस जिले में सबसे बड़ी नियोक्ता थी.
अब यूरोपीय संघ और जर्मन सरकार लुजाटिया में निवेश कर रहे हैं. कभी इस इलाके को लिग्नाइट यानी भूरे कोयले के लिए जाना जाता था. अब वहां चरणबद्ध तरीके से कार्बन न्यूट्र्रल अर्थव्यवस्था की तैयारी की जा रही है.
अनिका के मुताबिक, फिलहाल लगभग 300 नौकरियां भरी जानी बाकी हैं. अमेरिकी सलामी निर्माता कंपनी BiFi ने 2024 में गुबेन में एक कारखाना खोला है. कनाडाई लिथियम बैटरी निर्माता रॉक टेक यहां 17 फुटबॉल पिचों के बराबर बड़ा एक प्लांट खोलने जा रही है.
अनिका फिलहाल, एक ऐसे जीवन का आनंद ले रही हैं जो जर्मनी की विशाल राजधानी की तुलना में सुकूनभरा है. अनिका को बचपन से ही घुड़सवारी सीखने का शौका था, गुबेन में उन्होंने इसे पूरा किया.
38 साल की अनिका कहती हैं, "मुझे नहीं पता कि मैं यहां बूढ़ी होना चाहती हूं या नहीं, लेकिन यही बात तो मैं बर्लिन के बारे में भी कह सकती हूं."