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क्या पेंशन सुधार के कारण जर्मनी में टैक्स और बढ़ाना पड़ेगा?

स्वाति मिश्रा डीपीए, रॉयटर्स
६ दिसम्बर २०२५

विशेषज्ञ चेता रहे हैं कि जर्मन सरकार की नई पेंशन योजना, देश की जमीनी सच्चाई की अनदेखी करती है. कई अर्थशास्त्रियों ने आशंका जताई है कि इसके कारण टैक्स बढ़ सकता है, अर्थव्यवस्था और धीमी हो सकती है.

एक व्यक्ति अपने वॉलेट से यूरो निकालता हुआ. सांकेतिक वृद्धि
पेंशन वृद्धि को फंड करने के लिए पैसा चाहिए. कई विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि पेंशन सुधार के कारण टैक्स में बढ़ोतरी या खर्च में कमी जैसे उपाय करने पड़ सकते हैंतस्वीर: K. Schmitt/Fotostand/IMAGO

जर्मन सरकार के नए पेंशन पैकेज से टैक्स बढ़ सकता है और देश की धीमी अर्थव्यवस्था और मंद हो सकती है. कई अर्थशास्त्रियों ने पेंशन बढ़ोतरी के कारण गंभीर आर्थिक नतीजों का अंदेशा जताया है. 

5 दिसंबर को जर्मन संसद के निचले सदन बुंडेस्टाग में पेंशन बिल पास हो गया. चांसलर फ्रीडरिष मैर्त्स की रूढ़िवादी सीडीयू पार्टी का युवा धड़ा इस बिल से असंतुष्ट था. असंतोष दबा-छिपा, परदे के पीछे नहीं, बल्कि जाहिर था.

सत्तारूढ़ गठबंधन की आपसी असहमतियां धुर-दक्षिणपंथी एएफडी का जनाधार बढ़ाने में मदद कर रही हैं. अगले साल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. अनुमान है कि इनमें भी एएफडी को मजबूत बढ़त मिल सकती हैतस्वीर: Liesa Johannssen/REUTERS

उनकी दलील थी कि यह व्यवस्था वित्तीय रूप से व्यावहारिक और टिकाऊ नहीं है, इससे युवा पीढ़ी पर बोझ बढ़ेगा. बड़ी मुश्किल से सत्तारूढ़ पार्टी अपने ही भीतर उपजी बगावत से पार पाने में सफल रही.

अब 19 दिसंबर को बुंडेसराट, यानी जर्मन संसद के ऊपरी सदन में बिल पर मतदान होना है. अगर वहां भी यह पास हो गया, तो 1 जनवरी 2026 से कानून लागू हो सकता है.

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बढ़ाना पड़ सकता है टैक्स?

योजना के मुताबिक, अब अगले पांच साल में पेंशल पर खर्च को करीब 185 अरब यूरो तक बढ़ाया जाएगा. मगर, अब एक बड़ा सवाल है कि इस फैसले से अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले भार से कैसे निपटा जाएगा.

विशेषज्ञों का अनुमान है कि टैक्स में वृद्धि की संभावना सबसे ज्यादा है. अर्थशास्त्री वेरोनिका ग्रीम ने पेंशन खर्च बढ़ाने की योजना पर टिप्पणी करते हुए जर्मन अखबार 'बिल्ड' से कहा कि इसके कारण श्रम लागत में वृद्धि और टैक्स बढ़ोतरी हो सकती है. ग्रीम ने कहा कि ये कदम जर्मन अर्थव्यवस्था को और भी कमजोर करेंगे.

आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से कई मुश्किलें हैं. जैसे कि कामगारों की कमी है, आबादी बूढ़ी हो रही है, जन्मदर भी कम हैतस्वीर: Michael Gstettenbauer/IMAGO

आखीम वामबाख, लाइबनित्स सेंटर फॉर यूरोपियन इकॉनमिक रिसर्च (जेडईडब्ल्यू) के अध्यक्ष हैं. उन्हें भी टैक्स बढ़ने की संभावना लगती है. उन्होंने कहा कि इस बात का बड़ा जोखिम है कि आने वाले दिनों में टैक्स बढ़ाकर पेंशन पैकेज को फंड किया जाएगा. इस जोखिम के मद्देनजर वामबाख ने कहा कि अब पेंशन आयोग पर दारोमदार होगा कि वह आधारभूत सुधारों के लिए प्रस्ताव लाए.  

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श्टेफान कूथ्स, कील इंस्टिट्यूट फॉर दी वर्ल्ड इकॉनमी में आर्थिक शोध के प्रमुख हैं. उन्होंने भी चेताया कि पेंशन में वृद्धि की योजना के कारण आखिरकार या तो टैक्स बढ़ाना होगा या फिर खर्च घटाने होंगे. दोनों में से किसकी संभावना ज्यादा है, यह बताते हुए उन्होंने कहा, "टैक्स बढ़ोतरी की संभावना ज्यादा है. यह आर्थिक गति पर और बोझ डालेगा."

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बूढ़ी होती आबादी, काम करने वाले हाथ कम

इस दिशा में कई बड़ी चुनौतिया हैं. कामगारों की कमी है, आबादी बूढ़ी हो रही है, जन्मदर कम है. काम करने की उम्र वाली आबादी कम है, जिन्हें पेंशनरों की बड़ी संख्या को फंड करना होगा.

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विशेषज्ञों का कहना है कि जर्मनी का यह पेंशन विधायक जमीनी हकीकत की अनदेखी करता है. जैसा कि 'आईएनजी डॉचयलैंड' मे मैक्रो के प्रमुख क्रास्टन ब्रेजेस्की ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में कहा, "सरकार अब भी एक कभी ना खत्म होने वाले वर्तमान में जीना चाहेगी. ऐसा वर्तमान जिसमें आबादी की उम्र में हो रहे बदलाव, बढ़ता सरकारी कर्ज और डेट सस्टेनिबिलिटी के मसलों की अनदेखी की जा सकती है."

एक तरफ ये चेतावनियां हैं, और दूसरी तरफ चांसलर मैर्त्स की आशावादिता जिसे कई विशेषज्ञ अव्याहारिक बता रहे हैं. मैर्त्स ने कहा है कि जरूरी फंड लाने के लिए वह अगले साल पेंशन में विस्तृत सुधार करेंगे. खबरों के मुताबिक, प्रस्तावित सुधारों में कुछ भी मुमकिन है. मसलन, कामगारों को ज्यादा समय तक काम करना पड़े ताकि पेंशन हासिल करने से पहले वे सिस्टम में ज्यादा समय तक पैसा डाल पाएं.

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