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शिक्षाभारत

भारतीय एनजीओ ‘एजुकेट गर्ल्स’ को मिला रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड

१ सितम्बर २०२५

भारत में लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने वाले एनजीओ ‘एजुकेट गर्ल्स’ को 2025 का रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड मिला है. यह पहला भारतीय संगठन है, जिसे यह प्रतिष्ठित अवॉर्ड मिला है. साल 2007 में सफीना हुसैन ने इसकी शुरुआत की थी.

उत्तर प्रदेश के एक सरकारी स्कूल में पढ़ते बच्चे
‘एजुकेट गर्ल्स' एनजीओ भारत के सबसे ज्यादा वंचित क्षेत्रों के 30 हजार से अधिक गांवों तक पहुंच चुका हैतस्वीर: Prabhat Kumar Verma/ZUMA/picture alliance

भारतीय एनजीओ 'एजुकेट गर्ल्स' की स्थापना करने वालीं सफीना हुसैन का बचपन विषम परिस्थितियों में बीता. उन्हें गरीबी, हिंसा और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा. एक समय पर उन्हें अपना स्कूल भी छोड़ना पड़ा. उनके घरवाले कम उम्र में ही उनकी शादी करना चाहते थे, लेकिन इस कठिन समय में एक रिश्तेदार ने उनकी मदद की, जिसके चलते वो अपनी पढ़ाई पूरी कर पाईं. सफीना हुसैन ने मार्च 2024 में द हिंदू को दिए एक इंटरव्यू में यह जानकारी साझा की थी.

सफीना हुसैन ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अपनी ग्रैजुएशन पूरी की और उसके बाद सैन फ्रांसिस्को में काम किया. साल 2007 में वे भारत लौटीं और गैर-लाभकारी संगठन ‘एजुकेट गर्ल्स' की स्थापना की. द हिंदू की खबर के मुताबिक, यह एनजीओ ग्रामीण और शैक्षिक रूप से पिछड़े इलाकों में पांच से 14 साल की उम्र की लड़कियों की पहचान करता है और उन्हें स्कूलों में भर्ती करवाता है.

लड़कियों की शिक्षा में योगदान के लिए मिला अवॉर्ड

रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड फाउंडेशन ने अपने बयान में लिखा है कि ‘एजुकेट गर्ल्स' संगठन को "शिक्षा के माध्यम से लड़कियों और युवतियों की सांस्कृतिक रूढ़िवादिता को दूर करने, उन्हें निरक्षरता के बंधन से मुक्त करने और उन्हें अपनी पूर्ण मानवीय क्षमता प्राप्त करने के लिए कौशल, साहस और क्षमता प्रदान करने की प्रतिबद्धता" के लिए जाना जाता है.

फाउंडेशन द्वारा जारी की गई सूचना किट में बताया गया है कि सफीना हुसैन ने दो साल तक इस समस्या का अध्ययन किया और उसके बाद ‘फाउंडेशन टू एजुकेट गर्ल्स ग्लोबली' एनजीओ की स्थापना की, जिसे ‘एजुकेट गर्ल्स' भी कहा जाता है. इस एनजीओ ने अपने काम की शुरुआत राजस्थान से की. वहां उन्होंने लड़कियों की शिक्षा के मामले में सबसे जरूरतमंद समुदायों की पहचान की.

ऐसी लड़कियां जो कभी स्कूल नहीं गई थीं या स्कूल छोड़ चुकी थीं, उनकी पहचान की गई और वापस स्कूल ले जाया गया. साल 2015 में इस एनजीओ ने कई नई पहलें कीं. उन्होंने दुनिया का पहला डेवलपमेंट इंपैक्ट बॉन्ड (डीआईबी) लॉन्च किया, जिसका मकसद आर्थिक मदद को हासिल किए गए लक्ष्यों से जोड़ना था. उनका यह प्रोजेक्ट खासा सफल रहा.

50 गांवों से शुरुआत करके 30 हजार तक पहुंचे

रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड फाउंडेशन द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, ‘एजुकेट गर्ल्स' एनजीओ ने 50 ग्रामीण स्कूलों के साथ अपने पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी. लेकिन अब यह एनजीओ भारत के सबसे ज्यादा वंचित क्षेत्रों के 30 हजार से अधिक गांवों तक पहुंच चुका है और 20 लाख से अधिक लड़कियों को इसका फायदा मिला है.

यह एनजीओ चार राज्यों के 85 से ज्यादा जिलों में काम कर रहा है. इसके तहत, 23 हजार से अधिक ‘टीम बालिका' वॉलंटियर काम करती हैं, जो घर-घर जाकर स्कूल छोड़ चुकी लड़कियों की पहचान करती हैं, उनके माता-पिता की चिंताओं को दूर करती हैं और दोबारा से स्कूल जाने में उनकी मदद करती हैं.

इस एनजीओ ने ओपन-स्कूलिंग प्रोग्राम ‘प्रगति' भी शुरू किया. इस कार्यक्रम के तहत, 15 से 29 साल के उम्र की लड़कियां अपनी पढ़ाई पूरी कर सकती हैं और विभिन्न अवसरों तक अपनी पहुंच बना सकती हैं. यह कार्यक्रम 300 युवतियों के साथ शुरू हुआ था और अब तक 30 हजार से अधिक युवतियां और महिलाएं इसका लाभ उठा चुकी हैं.

ऐसी लड़कियां जो कभी स्कूल नहीं गई थीं या स्कूल छोड़ चुकी थीं, उन्हें वापस स्कूल भेजा गयातस्वीर: DW

लड़कियों को शिक्षा देना है सबसे अच्छा निवेश

फाउंडेशन ने अपने बयान में कहा है कि ‘एजुकेट गर्ल्स' एनजीओ ने अपने कार्यक्रमों के जरिए दो मोर्चों पर जंग छेड़ी है- सामाजिक और प्रणालीगत. सामाजिक बाधाओं की वजह से लड़कियों को घर पर ही रहना पड़ता है और घरेलू काम करने पड़ते हैं. वहीं, प्रणालीगत बाधाओं की वजह से लड़कियों की शिक्षा तक पहुंच में सुधार के लिए जरूरी धन और संसाधन सीमित हो जाते हैं.

सफीना हुसैन कहती हैं कि लड़कियों की शिक्षा, दुनिया की सबसे मुश्किल समस्याओं को हल करने में अहम भूमिका निभा सकती है. वे कहती हैं, "यह एक देश द्वारा किए जा सकने वाले सबसे अच्छे निवेशों में से एक है, जो 17 में नौ सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजी) को प्रभावित करता है, जिसमें स्वास्थ्य, पोषण और रोजगार शामिल है.” वो कहती हैं कि उनका एनजीओ लड़कियों के लिए शिक्षा की कमी और गरीबी के चक्र को तोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है.

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