फ्रैंक सिनात्रा एस्टेट, बिली इंग्लिश और स्मोकी रॉबिनसन जैसे बड़े-बड़े संगीत सितारों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से अपने लिए सुरक्षा की मांग की है. एक खुले खत में इन कलाकारों ने एआई को “मानवीय रचनात्मकता पर हमला” बताया है.
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‘बैड गाई' जैसे 2023 के सबसे लोकप्रिय गीतों में से एक रचने वालीं बिली इंग्लिश और 1960 व 1970 के दशक के सुपरस्टार रहे स्मोकी रॉबिन्सन जैसे बड़े-बड़े संगीत सितारों को लगता है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रचनात्मकता के लिए खतरा है. इन सितारों ने एक खुला खत लिखा है, जिसमें कलाकारों को एआई से सुरक्षा देने की मांग की गई है.
‘आर्टिस्ट राइट्स अलायंस' नामक गैरसरकारी संगठन द्वारा जारी यह खत कहता है, "हमें एआई द्वारा पेशेवर कलाकारों की आवाजों और उनकी नकल को चुराने के खिलाफ सुरक्षा करनी चाहिए. यह रचनाकारों के अधिकारों का उल्लंघन है और पूरी संगीत-व्यवस्था को खत्म कर रहा है.”
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जायज हक का सवाल
पिछले करीब दो साल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की लोकप्रियता और इस्तेमाल में लगातार तेजी आई है. लेकिन इसका दुरुपयोग भी उसी तेजी से बढ़ा है. इस कारण बहुत से कलाकारों ने चिंता जताई है. उनका कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने फ्रॉड और उनके काम की चोरी के बहुत से रास्ते खोल दिए हैं. एआई कंटेंट की चोरी ना कर सके, इसके लिए भी कई तरह के तकनीकी विकास पर काम हो रहा है.
खत पर केटी पेरी, जे बैलविन और पर्ल जैम जैसे कलाकारों ने दस्तखत किए हैं. वे लिखते हैं, "हम सभी डिजिटल म्यूजिक प्लैटफॉर्म और संगीत से जुड़ी सेवाएं उपलब्ध कराने वालों से अनुरोध करते हैं कि संगीत तैयार करने वाले कलाकारों की जगह वे एआई आधारित म्यूजिक जेनरेशन तकनीकका इस्तेमाल ना करें या हमें हमारे काम के लिए जायज धन से महरूम ना करें.”
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कलाकार कहते हैं कि अगर एआई पर नियंत्रण नहीं किया गया तो एक ऐसी होड़ शुरू हो जाएगी जो पतन की ओर ले जाएगी और उनके काम की कीमत को कम करके जायज हक उनसे छीन लेगी.
कानूनी कदमों की जरूरत
पिछले महीने ही अमेरिका के टेनेसी राज्य ने ‘एल्विस एक्ट' नाम से एक कानून पारित किया था जिसके तहत कलाकारों को एआई के खिलाफ सुरक्षा मुहैया की गई है. अमेरिकी संगीत के गढ़ नैशविल शहर वाला टेनेसी ऐसा करने वाला अमेरिका का पहला राज्य बन गया है.
एनश्योरिंग लाइकनेस, वॉइस एंड इमेज सिक्योरिटी (एल्विस) एक्ट इसी साल 1 जुलाई से लागू हो जाएग. इसमें कहा गया है कि बिना कलाकार की सहमति के एआई टूल के जरिए कलाकार की आवाज की नकल नहीं की जा सकती. एआई से किसी भी व्यक्ति की आवाज की नकल करना अब चुटकियों का खेल हो गया है.
2023 में कितनी बदली सोशल मीडिया की दुनिया
ट्विटर नहीं रहा, लेकिन एक्स और थ्रेड्स पैदा हुए. एआई के चर्चे धीरे-धीरे हर जुबान पर आ गए. एक नजर 2023 में सोशल मीडिया की बड़ी हलचलों पर.
तस्वीर: STEFANI REYNOLDS/AFP
ट्विटर बिका, एक्स हुआ
एक साल पहले इलॉन मस्क ने ट्विटर को खरीद उसके सीईओ समेत कई बड़े अधिकारियों को निकाल दिया और बदल कर एक्स बना दिया. जुलाई में लोगो सामने आया और नीले रंग की चिड़िया हर जगह से उड़ा दी गई.
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कम हुआ प्लेटफॉर्म का स्टेटस
मशहूर हस्तियों के सक्रिय होने के कारण 17 सालों में ट्विटर का पॉप कल्चर पर काफी असर रहा है. मस्क के खरीदने से पहले ही उसमें कमी आ चुकी थी. हालांकि अब भी छोटे-मोटे समूहों के लिए ये अहम अड्डा बना हुआ है.
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मस्क इफैक्ट
गलत जानकारियां फैलाने और नस्लवाद जैसे कई आरोप मस्क की इस कंपनी पर लगे. कंपनी की विज्ञापनों से कमाई और यूजर्स की तादाद में भी भारी कमी दिखी. ट्विटर पर बैन कई हस्तियों को मस्क एक्स पर वापस ले आए.
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मैस्टोडॉन, ब्लूस्काई और थ्रेड्स
मस्क के एक्स से नाखुश लोगों के लिए कई नए विकल्प सामने आए. ट्विटर से ही निकले मैस्टोडॉन, ब्लूस्काई जैसे कई प्लेटफॉर्म पेश हुए. इसकी मांग को देखते हुए फेसबुक की पेरेंट कंपनी भी अपना प्लेटफॉर्म थ्रेड्स लेकर आ गई.
तस्वीर: STEFANI REYNOLDS/AFP
थ्रेड्स के खुल गए धागे
जुलाई में थ्रेड्स के खूब चर्चे हो रहे थे. दुनिया भर में करोड़ों लोगों ने साइन अप किया. लेकिन दिसंबर में मेटा के सीईओ मार्क जकरबर्ग ने अपने इस बयान ने सबको चौंका दिया कि उनकी कंपनी 'इंटरऑपरेबिलिटी' को टेस्ट कर रही है.
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क्या है 'इंटरऑपरेबिलिटी'
मैस्टोडॉन और ब्लूस्काई पहले से ही 'इंटरऑपरेबिलिटी' पर काम रहे हैं. आइडिया यह है कि जैसे हम सबका कोई फोन नंबर और ईमेल अकाउंट होता है, वैसे ही हमारे सोशल मीडिया अकाउंट हों जिन्हें हम किसी भी प्लेटफॉर्म पर यूज कर सकें.
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थ्रेड्स पर दिखा नमूना
दिसंबर में मार्क जकरबर्ग ने थ्रेड्स पर पोस्ट किया कि थ्रेड्स अकाउंट मैस्टोडॉन और दूसरी ऐसी सर्विसेज पर उपलब्ध रहेंगे, जो एक्टिविटीपब प्रोटोकॉल का इस्तेमाल करते हैं. माना जा रहा है कि इससे यूजर्स पहले से कहीं ज्यादा लोगों से जुड़ पाएंगे.
तस्वीर: STEFANI REYNOLDS/AFP
मेंटल हेल्थ की चिंताएं
लोगों, खासकर बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया के बुरे असर को लेकर इस साल खूब चर्चा हुई. अमेरिकी सर्जनों ने कहा कि इसके पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि सोशल मीडिया बच्चों और टीनएजर्स के लिए सुरक्षित है.
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टेक कंपनियों और पेरेंट्स से मांग
मजबूत सामाजिक संबंधों को सेहत की कुंजी मानने वाले अमेरिका के 'नेशनल डॉक्टर' सर्जन जनरल डॉक्टर विवेक मूर्ति कह चुके हैं कि पेरेंट्स को अपने बच्चों को सोशल मीडिया से बचाना होगा. उनका कहना है कि इसके इस्तेमाल से बच्चों की दुनिया के बारे में और खुद अपने बारे में राय तक बदल जाती है.
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अमेरिकी मां-बाप सवाल उठा रहे हैं, और आप?
अक्टूबर में अमेरिका के दर्जनों राज्यों ने मेटा को सू कर दिया. आरोप लगाया कि वह युवाओं को नुकसान पहुंचा रहा है और उनके मानसिक स्वास्थ्य के साथ जानबूझ कर खेल रहा है. खासकर इंस्टाग्राम और फेसबुक के ऐसे फीचरों पर सवाल खड़े किए गए हैं, जिनकी लत लग जाती है.
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इस क्षेत्र में काम करने वाले कार्यकर्ताओं और कलाकारों ने टेनेसी के इस कानून को ऐतिहासिक बताते हुए इसकी तारीफ की है. अब अमेरिका में संघीय स्तर पर और अन्य कई राज्यों में भी ऐसे ही कानून लाने पर विचार किया जा रहा है.
कलाकार इस बात से इनकार नहीं करते कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने उनके लिए भी बहुत सी नई संभावनाएं पैदा की हैं. आर्टिस्ट्स राइट्स अलायंस (एआरए) ने कहा, "एआई में मानवीय रचनात्मकता को आगे बढ़ाने की असीमित संभावनाएं हैं” लेकिन इसके नकारात्मक नतीजे से सावधान रहने की भी जरूरत है.
एआरए के जेन जैकबसन कहते हैं, "स्ट्रीमिंग की दुनिया में कलाकार पहले से ही कमाई के लिए संघर्ष कर रहे हैं और अब उनके ऊपर एआई के पैदा किए शोर के साथ प्रतिद्वन्द्विता का बोझ भी आन पड़ा है.”