नया अध्यक्ष चुनना पहला कदम, कांग्रेस के लिए आगे कई चुनौतियां
चारु कार्तिकेय
१९ अक्टूबर २०२२
कांग्रेस पार्टी में सालों से बने हुए नेतृत्व के असमंजस का अंत हो गया है, लेकिन नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को एक तरफ सत्तारूढ़ बीजेपी से लड़ना है और दूसरी तरफ गांधी परिवार के प्रतिनिधि होने की छवि से.
मल्लिकार्जुन खड़गेतस्वीर: Hindustan Times/IMAGO
विज्ञापन
मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में 24 सालों में पहली बार गांधी परिवार के बाहर से कोई कांग्रेस का सदस्य पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना है. 1978 से पार्टी की अध्यक्षता नेहरू-गांधी परिवार के पास ही रही है. सिर्फ 1992 से 1996 तक पी वी नरसिम्हा राव और फिर 1996 से 1998 तक सीताराम केसरी अध्यक्ष रहे.
1998 से लेकर 2017 तक सोनिया गांधी का बतौर अध्यक्ष एक मजबूत कार्यकाल रहा, जिस दौरान शुरुआती झटकों के बाद पार्टी ने लगातार दो बार केंद्र में सरकार बनाई. लेकिन 2014 में सत्ता से बाहर होते ही पार्टी के लिएसंकट के एक लंबे दौर की शुरुआत हो गई, जिसका अंत अभी भी नहीं हुआ है.
मल्लिकार्जुन खड़गे को एक साथ कई मोर्चों पर काम करना पड़ेगातस्वीर: Deepak Gupta/Hindustan Times/IMAGO
2017 में राहुल गांधी ने अध्यक्षता संभाली लेकिन 2019 में लगातार दूसरी बार लोक सभा चुनावों में पार्टी की हार के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और अध्यक्ष पद बिगड़ते हुए स्वास्थ्य से जूझती उनकी मां के पास वापस चला गया.
चुनौतियों की लंबी सूची
लेकिन पार्टी के संकटों का अंत नहीं हुआ. कर्नाटक में चुनाव जीतने के बावजूद सत्ता हाथ से निकल गई. पंजाब में पार्टी चुनाव हार गई और सत्ता से बाहर हो गई. महाराष्ट्र में पुराने प्रतिद्वंदी शिव सैनिकों के साथ बनाया गया गठबंधन भी धराशायी हो गया और वहां भी पार्टी सत्ता से बेदखल हो गई.
राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में अंतरकलह बढ़ गया. राजस्थान में तो दो बार पार्टी टूटने के कगार पर पहुंच गई. कार्यकर्ताओं और पुराने नेताओं का पार्टी छोड़ कर जाना जारी रहा. अमरिंदर सिंह, कपिल सिबल, गुलाम नबी आजाद आदि जैसे बड़े नेता पार्टी छोड़ कर चले गए.
चुनावों में धांधली के हथकंडे
13:30
This browser does not support the video element.
और कांग्रेस अध्यक्ष चुनावों से ठीक पहले अशोक गहलोत को लेकर जो हुआ उससे तो केंद्रीय नेतृत्व की साख पर बट्टा भी लगा और केंद्रीय नेतृत्व का राज्यों में पार्टी की इकाइयों से विसंबंधन भी उजागर हो गया. सालों से यह सब चुपचाप देख रहे पार्टी के कई सदस्यों की तरह खड़गे को भी इन हालात से जन्मी चुनौतियों का एहसास होगा.
करीब हैं 2024 के चुनाव
अब देखना यह है कि वो इन चुनौतियों से कैसे जूझते हैं. उनके साथ अतिरिक्त बोझ गांधी परिवार के प्रतिनिधि होने की उनकी छवि का भी है. ऐसे में क्या वो स्वतंत्र रूप से अध्यक्ष पद की जिम्मेदारियां निभा पाएंगे या गांधी परिवार के ही इशारों पर निर्भर रहेंगे, इस तरह के सवालों का उन्हें जवाब देना होगा.
उनके पास ज्यादा समय भी नहीं है. अगले लोक सभा चुनावों में अब दो साल से भी कम का समय बचा है. विपक्ष का नेतृत्व करने की दावेदारी में भी कांग्रेस पीछे है. तृणमूल कांग्रेस, जेडीयू, आम आदमी पार्टी, टीआरएस आदि जैसी पार्टियां भी लगातार अपनी दावेदारी पेश कर रही हैं.
खड़गे को एक साथ कई मोर्चों पर काम करना पड़ेगा - अपनी पार्टी की कमर कसना, विपक्ष की दूसरी पार्टियों के साथ तालमेल बनाना और बीजेपी को चुनौती देना. देखना होगा कि वो इन लक्ष्यों में कितने सफल हो पाते हैं.
ईडी की जद में विपक्षी नेता
भारत में प्रवर्तन निदेशालय पिछले कुछ महीनों से राजनीतिक भ्रष्टाचार के कई मामलों में कार्रवाई कर रही है. ज्यादातर मामले विपक्षी नेता और राजनीतिक दल से जुड़े हैं.
तस्वीर: Akash Anshuman/abaca/picture alliance
सोनिया गांधी
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ कर चुकी है. कांग्रेस का कहना है कि केंद्र सरकार ईडी का इस्तेमाल राजनीतिक हथियार के रूप में कर रही है.
तस्वीर: Raj K Raj/Hindustan Times/IMAGO
राहुल गांधी
सोनिया गांधी से पहले कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से ईडी कई घंटे की पूछताछ कर चुकी है. राहुल से भी नेशनल हेराल्ड केस में पूछताछ हुई है.
आईएनएक्स मीडिया और एयरसेल मैक्सिस मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम की ईडी जांच कर रही है. पी चिदंबरम को ईडी ने 2019 में आईएनएक्स मीडिया मामले में गिरफ्तार किया था.
तस्वीर: UNI
कार्ति चिदंबरम
पी चिदंबरम के बेटे और सांसद कार्ति चिदंबरम पर कथित वीजा रैकेट मामले की जांच सीबीआई कर रही है. आरोप है कि 2011 में जब पी चिदंबरम केंद्र में गृह मंत्री थे तब पंजाब में काम कर रही एक चीनी कंपनी के लोगों को वीजा दिलाने के लिए कार्ति चिदंबरम ने कथित तौर पर रिश्वत ली थी.
तस्वीर: IANS
अभिषेक बनर्जी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी अपनी पत्नी रुजीरा बनर्जी के साथ कथित कोयला तस्करी मामले में ईडी की जांच के घेरे में हैं. इस मामले में अभिषेक बनर्जी से ईडी दो बार पूछताछ कर चुकी है.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
संजय राउत
शिवसेना के सांसद संजय राउत के खिलाफ ईडी पात्रा चॉल घोटाले की जांच कर रही है. ईडी की छापेमारी के दौरान उनके घर से साढ़े ग्यारह लाख रुपये बरामद हुए थे. पूछताछ के बाद 31 जुलाई को ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. राउत का आरोप है कि ईडी केंद्र के निर्देशों पर काम कर रही है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/R. Maqbool
सत्येंद्र जैन
आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में ईडी गिरफ्तार कर चुकी है. उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है.
तस्वीर: Hindustan Times/imago images
पार्थ चटर्जी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी पार्थ चटर्जी पर कथित स्कूल भर्ती घोटाले का आरोप है. उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी के फ्लैट से 50 करोड़ रुपये से ज्यादा की नकदी मिल चुकी है. ममता बनर्जी ने पार्थ चटर्जी को न केवल मंत्री पद से हटा दिया है बल्कि पार्टी से बाहर का भी रास्ता दिखा दिया है.
तस्वीर: Prabhakar Mani Tewari/DW
फारूक अब्दुल्ला
फारूक अब्दुल्ला से मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के बाद उनके खिलाफ चार्जशीट दायर की गई है. उन पर जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष रहते हुए वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे थे. 2019 में अब्दुल्ला का बयान ईडी ने दर्ज किया था.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Khan
नवाब मलिक
एनसीपी नेता नवाब मलिक को ईडी ने इसी साल फरवरी में मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया था. जांच एजेंसी उनकी एक जमीन सौदे की जांच कर रही थी, जो संदिग्ध तौर पर अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से जुड़ी थी.